जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति के. राजेष्वरी पत्नी श्री के. कुमार, निवासी- 419, असलाट इंजी. स्कोटन द्वारा 56 एपीओ, नसीराबाद, अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. दी चीफ कामर्षियल आफिसर्स(क्लेम) उत्तर पष्चिम रेेल्वे,जयपुर(राज.)
2. डीआरएम, उत्तर पष्चिम रेल्वे, अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 497/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री षान्ति प्रकाष षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री अजय गोयल, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः-10.11.2014
1. प्रार्थीया द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद दर्ज की प्रकिया में था किन्तु लम्बे समय तक प्रार्थीया या उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं होने से दिनांक 10.3.2010 को परिवाद दर्ज नही ंकर खारिज किए जाने के आदेष किए जिसके संबंध में प्रार्थीया की ओर से एक आवेदन प्रकरण को पुनः नम्बर पर लाए जाने का दिनांक 24.12.2012 को पेष हुआ जो विविध प्रकरण संख्या 2/13 के रूप में संस्थित हुआ । उक्त आवेदन को भी दिनंाक 30.1.2013 के आदेष से अस्वीकार कर दिया । इन दोनों आदेषों के विरूद्व प्रार्थीया द्वारा एक अपील माननीय राज्य आयोग में की गई एवं माननीय राज्य आयोग के निर्णय दिनांक 5.9.2013 से यह प्रकरण पुनः संस्थित हुआ ।
2. परिवाद के तथ्योनुसार प्रार्थीया के पति 419, असलाट इंजी. स्कोटन द्वारा 56 एपीओ, नसीराबाद, अजमेर में लांस नायक के पद पर कार्यरत है । उसने 13.6.2008 को अपने पति का परमाकुडी से नसीराबाद स्थानान्तरण होने पर दो पार्सल अप्रार्थी रेल्वे के माध्यम से परमाकुडी से अजमेर भिजवाए किन्तु उक्त पार्सल प्रार्थीया को बुक कराने की दिनांक से आज तक प्राप्त नही ंहुए इस संबंध में अप्रार्थी रेल्वे से भुगतान हेतु पत्राचार किया जिस पर अप्रार्थी रेल्वे ने उसके पार्सल में रखे सामान की कीमत रू. 30,000/- के स्थान पर केवल रू. 7000/- का भुगतान देने को तैयार हुआ । पार्सल के प्राप्त नहीं होने पर उसे पूरा घरेलू सामान बाजार से खरीदना पडा जिससे उसे काफी मानसिक परेषानी व आर्थिक हानि हुई । अप्रार्थी रेल्वे के स्तर पर सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी रेल्वे ने जवाब प्रस्तुत कर दर्षाया है कि उत्तरदाता के पास प्रार्थीया का कोई पार्सल नहीं है क्योंकि प्रार्थीया ने पार्सल परमाकुडी रेल्वे स्टेषन से अजमेर के लिए बुक करवाया था और प्रार्थीया ने सामान बुक कराते समय पार्सल में उपलब्ध सामान का कोई ब्यौरा नहीं दिया और ना ही कीमत दर्षाई और ना ही सामान का बीमा अतिरिक्त प्रभार देकर करवाया इसलिए रेल्वे एक्ट, 1989 की धारा 3 के अनुसार रेल्वे का उत्तरदायित्व रू. 100/- प्रति किलोग्राम तक सीमिति है । प्रार्थीया यदि नियत समय अवधि में रेल्वे के सक्षम विभाग से क्लेम राषि की मांग करती तो उसे अधिकतम 7. कि.ग्रा. तक के वजन के पार्सल के लिए रू. 7000/- का भुगतान किया जा सकता था किन्तु प्रार्थीया ने नियत अवधि में कोई कार्यवाही नही ंकी साथ ही प्रार्थीया का परिवाद मियाद अवधि में नही ंहोने से मंच को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नही ंहै ।
अप्रार्थी ने आगे कथन किया है कि पार्सल परमाकुडी अर्थात दक्षिणी रेल्वे में बुक करवाया जिसकी राषि का भुगतान भी उक्त रेल्वे को किया है अप्रार्थी उत्तरदाता को कोई राषि का भुगतान नहीं किया है इसलिए प्रार्थीया व अप्रार्थी के मध्य उपभोक्ता का संबंध नही ंहै । अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया कि प्रार्थीया ने भारतसंघ को पक्षकार नहीं बनाया जो कि आवष्यक पक्षकार है तथा रेल्वे क्लेम ट्रिब्यूनल की धारा 13 व 15 के अनुसार किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में वाद सुनवाई का क्षेत्राधिकार रेल्वे क्लेम ट्रिब्यूनल को है व धारा 15 के अनुसार अन्य न्यायालय को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नही ंहै । परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया ।
4. अधिवक्ता प्रार्थीया ने अपने परिवाद में वर्णित तथ्यों के अनुरूप ही बहस की एवं बतलाया कि प्रार्थीया के पति ने जो लगेज बुक कराया उसका टिकिट जारी हुआ जो पत्रावली पर है एवं यह सामान आज तक भी प्रार्थीया को अथवा उसके पति को प्राप्त नही ंहुआ है इसलिए यह परिवाद पेष किया है । अधिवक्ता प्रार्थीया का कथन है कि लगेज टिकिट के साथ ही बुक हुआ था और इसके लिए अप्रार्थी रेल्वे को षुल्क अदा किया था इस प्रकार अप्रार्थी रेल्वे को उचित प्रतिफल देकर प्रार्थीया ने सेवाएं ली है किन्तु सामान की सुपुर्दगी प्रार्थीया अथवा उसके पति को नहीं की गई है अतः अप्रार्थी रेल्वे के पक्ष में सेवा में कमी का मामला सिद्व है ।
5. अप्रार्थी रेल्वे अधिवक्ता की बहस रही है कि प्रार्थीया ने चीफ कार्मिषियल आफिसर(क्लेमस) उत्तर पष्चिम रेल्वे व डीआरएम , उत्तर पष्चिम रेल्वे को ही पक्षकार बनाया गया है जबकि प्रार्थीया ने लगेज दक्षिण रेल्वे के स्टेषन परमाकुडी पर अजमेर भेजने के लिए बुक कराया था । प्रार्थीया के लिए यह आवष्यक है था कि वह भारतीय रेल्वे जरिए उसके चेयरमेन अथवा सक्षम अधिकारी को पक्षकार बनाती एवं भारत सरकार को पक्षकार बनाती । इसके अतिरिक्त अधिवक्ता की आगे बहस है कि यह मामला बुक कराए गए सामान की सुपुर्दगी नही ंहोने के संबंध में लाया गया है एवं प्रार्थीया ऐसे समान की कीमत की मांग की है अतः एक तरह से यह क्लेम पेष हुआ है अतः रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्युनल अधिनियम की धारा 13 व 15 के अनुसार इस विवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार मंच को नहीं है । उनकी यह भी बहस है कि प्रार्थीया स्वयं ने भी दी चीफ कामर्षियल आफिसर्स(क्लेम) उत्तर पष्चिम रेेल्वे को पक्षकार बनाया है अतः प्रार्थीया को चाहिए कि प्रार्थीया अपना क्लेम अप्रार्थी संख्या 1 के पास या अन्य सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें । उन्होने अपने तर्को के समर्थन में न्यायिक दृष्टान्त ॅतपज छवण् 40334ध्92 - 40335ध्92 ।ससंींइंक भ्पही ब्वनतज व्तकमत क्ंजमक 15ण्3ण्2011 न्दपवद व िप्दकपं टे ैजंजम ब्वउउपेेपवदमतए ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद एन्च् ंदक व्ते ंदक त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1874ध्12;छब्द्ध न्दपवद व िप्दकपं टे ल्ंेी प्दकनेजतपमे व्तकमत क्ंजमक03ण्10ण्2013 पेष किए ।
6. हमने बहस पर गौर किया । निर्विवाद रूप से परिवाद में प्रार्थीया ने भारत सरकार अथवा भारतीय रेल्वे को पक्षकार नहीं बनाया है । सामान जो बुक कराया है वह परमाकुडी रेल्वे स्टेषन पर बुक कराया है और वह दक्षिण रेल्वे के क्षेत्राधिकार में है । सामान की सूची प्रार्थीया स्वयं द्वारा बना कर दी गई है तथा लगेज का जो टिकिट है उसमें सामान क्या था, उल्लेखित नहीं है एवं सामान की कीमत क्या थी यह भी उल्लेखित नहीं है । अप्रार्थी रेल्वे ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि प्रार्थीया का यह परिवाद इस मंच की सुनवाई के क्षेत्राधिकार में नहीं है क्योंकि प्रार्थीया ने अपने सामान के संबंध में क्लेम की मांग की है जो रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्युनल की धारा 13 व 15 के अन्तर्गत गठित रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्युनल के सक्षम ही की जा सकती है। हमने उक्त अधिनियम की धारा 13 व 15 तथा न्यायिक दृष्टान्त का भी अध्ययन किया । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1874ध्12;छब्द्ध न्दपवद व िप्दकपं टे ल्ंेी प्दकनेजतपमे में स्पष्ट रूप से माना है कि लगेज के मामलों से संबंधित क्लेम्स हेतु रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्युनल ही सक्षम प्राधिकारी है तथा इस मंच को क्षेत्राधिकार नहीं है ।
7. उपरोक्त विवेचन से गुणावगुण एव विधिक प्रावधानानुसार प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
9.. आदेष दिनांक 10.11.2014 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष