Uttar Pradesh

Faizabad

CC/04/2001

Jitendra - Complainant(s)

Versus

Railway - Opp.Party(s)

11 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/04/2001
 
1. Jitendra
Ambedkarnagar
...........Complainant(s)
Versus
1. Railway
gosaiganj faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
    

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


परिवाद सं0-04/2001


जितेन्द्र कुमार सिंह पुत्र उदयराज सिंह निवासी ग्राम जैतपुर, सोनावाॅं परगना मिझौड़ा, तहसील अकबरपुर जिला अम्बेडकरनगर                  .................परिवादी     
                    बनाम


1-    स्टेशन अधीक्षक उत्तर रेलवे गोशाईगंज जिला फैजाबाद।
2-    स्टेशन मास्टर उत्तर रेलवे गोशाईगंज फैजाबाद।
3-    रेलवे महा प्रबन्धक उत्तर रेलवे बड़ौदा हाउस नई दिल्ली।
4-    भारत सरकार द्वारा रेल मंत्रालय नई दिल्ली                 ............... विपक्षीगण                
निर्णय दिनाॅंक 11.08.2015    

 

                    
                        निर्णय 


    उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

    परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध चार बोरी प्लास्टिक के दाने की बिल्टी में से तीन बोरी प्लास्टिक के दाने की बिल्टी का पैसा दिलाये जाने हेतु यह परिवाद योजित किया है।

    संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है, कि दि0 21.04.95 को उत्तर रेलवे के दिल्ली स्टेशन से गोशाईगंज रेलवे स्टेशन जनपद फैजाबाद के लिए चार बोरी प्लास्टिक के दाने जिसकी कीमत मु0 20,000=00 थी बिल्टी नं0-878682 के द्वारा बुक 


                     (  2  )

किया। चारो बोरियों में से केवल एक ही बोरी परिवादी को दी गयी शेष तीन बोरियाॅं परिवादी को नहीं दी गयी। इस सम्बन्ध मंे कई प्रार्थना-पत्र दिये, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। परिवादी ने तीनों बोरियों का क्लेम, क्लेम अधीक्षक वाराणसी के यहाॅं दाखिल किया, परन्तु आज तक परिवादी को कोई क्लेम नहीं मिला। परिवादी ने दि0 24.12.99 को स्टेशन अधीक्षक उत्तर रेलवे गोशाईगंज तथा दावा अधीक्षक वाराणसी तथा मुख्य वाणिज्य प्रबन्धक, उत्तर रेलवे, लखनऊ मण्डल को प्रार्थना-पत्र दिया, परन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। 

    विपक्षी ने परिवादी के परिवाद को इन्कार किया और अपने जवाबदावे में कहा कि चार बोरी प्लास्टिक के दाने की बिल्टी सं0-878682 के द्वारा बुक किया, परन्तु जो मूल्य परिवादी द्वारा दर्शाया गया वह रेलवे विभाग ने स्वीकार नहीं किया। बिल्टी से सम्बन्धित जो माल गोशाईगंज स्टेशन पर प्राप्त हुआ, उसे बिल्टी धारक को प्राप्त कराया गया। नियमानुसार बुकिंग के समय बोरियों की कीमत का उल्लेख नहीं किया गया और उपभोक्ता फोरम के अन्तर्गत वाद गलत तथ्यांे को प्रेषित कर दो वर्ष बाद प्रस्तुत किया गया है इसलिए परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है और कालबाधित है। परिवादी का प्रार्थना-पत्र रेलवे क्लेम ट्रियूब्नल एक्ट 1989 की धारा-13 व 15 के अनुसार भी पोषणीय नहीं है। 

    मैं परिवाद मंे दाखिल साक्ष्य का अवलोकन किया। विपक्षी ने अपने आपत्ति में कहा है कि परिवादी का परिवाद कालबाधित है और पोषणीय नहीं है। परिवादी ने दि0 24.12.99 को क्लेम के सम्बन्ध में प्रार्थना-पत्र दिया, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब कोई कार्यवाही विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी तब परिवादी ने दि0 06.01.2001 को यह परिवाद योजित किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार परिवाद दो साल के अन्दर योजित होना चाहिए। प्रार्थना-पत्र देने के दिनाॅंक से परिवादी ने परिवाद एक वर्ष बारह दिन बाद योजित किया है, जो दो साल के अन्दर है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद कालबाधित नहीं है। दूसरी आपत्ति विपक्षी ने यह प्रेषित किया कि यह परिवाद रेलवे क्लेम ट्रियूब्नल एक्ट 1989 की धारा-13 व 15 के अनुसार पोषणीय नहीं है। मेरे विचार से परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। उसने चार बोरी प्लास्टिक के दाने कीमत मु0 20,000=00 बिल्टी सं0-878682 के द्वारा स्टेशन मास्टर उत्तर रेलवे गोशाईगंज के यहाॅं मॅंगवाया था, जिसमें से एक बोरी प्लास्टिक  के  दाने प्राप्त हुए तीन बोरी प्लास्टिक के दाने प्राप्त नहीं हुए। परिवादी ने 


                   (  3  )

प्लास्टिक के दाने की कीमत मु0 15,000=00 के सम्बन्ध में विपक्षीगण के यहाॅं प्रार्थना-पत्र दिया, लेकिन परिवादी की सुनवाई विपक्षीगण के यहाॅं नहीं हुई और उसे तीन बोरी प्लास्टिक के दाने की कीमत नहीं दिया। मु0 20,000=00 की चार बोरी प्लास्टिक के दाने मॅंगवाये गये। एक बोरी मु0 5,000=00 की थी। इस प्रकार तीन बोरी मु0 15,000=00 की होती हैं। इस प्रकार विपक्षीगण का यह कथन कि प्लास्टिक के दाने की बोरियों के दाम बिल्टी में अंकित नहीं किया गया। यदि प्लास्टिक के दाने की कीमत के सम्बन्ध में कोई विवाद था, तो उसके लिए परिवादी से विपक्षीगण रसीद की माॅंग कर सकते थे। मेरे विचार से विपक्षीगण की यह आपत्ति भी संधारण योग्य नहीं है। परिवादी ने मु0 15,000=00 तीन बोरी प्लास्टिक के दाने की माॅंग सही किया है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुॅंचता हूॅं कि परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्तता तथा पृथकता स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश
    
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्तता तथा पृथकता स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षीगण से संयुक्तता तथा पृथकता तीन बोरी प्लास्टिक के दाने की कीमत मु0 15,000=00 प्राप्त करने का अधिकारी है तथा परिवादी विपक्षीगण से 12 प्रतिशत साधारण ब्याज भी परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज वसूली पाने का अधिकारी है। वाद व्यय मु0 2,000=00 तथा मानसिक क्षतिपूर्ति मु0 3,000=00 विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी हैं। विपक्षीगण परिवादी को उपरोक्त धनराशि की अदायगी निर्णय एवं आदेश की तिथि से दो माह के अन्दर करें। 


             (विष्णु उपाध्याय)           (माया देवी शाक्य)            ( चन्द्र पाल )            
               सदस्य                    सदस्या                   अध्यक्ष       
    
                    
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 11.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।


           (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
                सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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