जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति अनिता अरोडा पत्नी श्री राकेष अरोडा, उम्र-38 वर्ष,जाति- पंजाबी, निवासी- 188, सदर बाजार, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थीया
बनाम
1. मुख्य वाणिज्यिक प्रबन्धक(धनवापसी), प्रधान कार्यालय, उत्तर पष्चिम रेल्वे, हसनपुरा,जयपुर(राजस्थान)
2. मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक, उत्तर पष्चिम रेल्वे, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 242/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेष चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री विभौर गौड़, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 19.05.2016
1. प्रार्थीया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि उसने 19.5.2012 की अजमेर जंक्षन से बान्द्रा टर्मिनल की यात्रा हेतु ट्रेन संख्या 12215 से तृतीय वातानुकुलित कोच में दिनांक 9.4.2012 को अप्रार्थी रेल्वे के नसीराबाद स्थित आरक्षण कार्यालय से 5 व्यक्तियों का राषि रू. 2769 अदा कर आरक्षण करवाया। उसे टिकिट संख्या 61410384 व पीएनआर संख्या 243-4560042 दिया गया । उक्त टिकिट प्रतीक्षा सूची में होने की वजह से उसने आरक्षण कन्फर्म करने के लिए वीआईपी कोटे में आवेदन किया जिस पर 3 व्यक्तियों का आरक्षण कन्फर्म हो गया और उन्हें कोच संख्या जी-16 सीट संख्या 43,44, व 45 आवंटित की गई । चूंकि 2 व्यक्तियों के टिकिट कन्फर्म नहीं होने के कारण उसने परिवारजनों के साथ नियत तिथि 19.5.2012 को यात्रा नहीं की और उसी दिन उसने पांचों टिकिट निरस्त करवाने हेतु अप्रार्थी रेल्चे के निर्देषानुसार टीडीआर फार्म भरते हुए मूल आरक्षण टिकिट संलग्न कर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया । किन्तु अप्रार्थी रेल्वे के आष्वासनुसार उसे टिकिटों की रिफण्ड राषि रू. 2769/- एक माह में प्राप्त नहीं हुई । काफी चक्कर लगाए जाने के बाद भी जब राषि प्राप्त नहीं हुई तो उसने अधिवक्ता के माध्यम से 13.3.2014 को नोटिस दिया, जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । प्रार्थीया ने अप्रार्थी रेल्वे के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए अप्रार्थी रेल्वे ने दर्षाया है कि प्रार्थीया ने टिकिट जमा रसीद क्रमांक बी-0155009 पर अंकित अनुदेष के अनुसार धनवापसी हेतु यात्रा की तारीख से 90 दिवस के अन्दर आवेदन के साथ मूल टिकिट जमा नहीं कराए हैं । इसलिए प्रार्थीया को टिकिट की राषि रिफण्ड नहीं की गई । प्रार्थीया को उसके द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब भी दे दिया गया था । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई
अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि प्रार्थीया ने परिवाद भारत संघ जरिए महाप्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे, जयपुर के पेष नहीं किया है तथा परिवाद टीडीआर रिफण्ड से संबंधित है, इसलिए रेल्वे ट्रिब्युनल एक्ट की धारा 13 व 15 के अनुसार परिवाद खारिज होने योग्य है । जवाब परिवाद के समर्थन में श्री लक्ष्मीकांत व्यास, वरिष्ठ मण्डल वाणिज्यक प्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थीया का तर्क है कि दिनंाक 19.5.2012 के लिए करवाए गए यात्रा आरक्षण को उसी दिन निरस्त किए जाने हेतु मूल टिकिट मय प्रार्थना पत्र टीडीआर फार्म भर कर हैडटीसी, अजमेर के समक्ष प्रस्तुत किया गया था व प्राप्ति रसीद दी जाकर रिफण्ड राषि 1 माह के भीतर दिए गए पते पर प्राप्त होना बताया गया। किन्तु कई बार जाने व प्रयास किए जाने के बावजूद उक्त राषि नहीं लौटा कर अप्रार्थी रेल्वे द्वारा सेेवा में कमी की गई है। वह रिफण्ड राषि मय ब्याज एवं मानसिक क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
4. अप्रार्थी रेल्वे ने खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया है कि प्रार्थी पक्ष द्वारा निरस्त किए गए रिफण्ड के टिकिट जमा करवाए जाने पर दी गई रसीद पर लिखे पते पर यात्रा की तिथि से 90 दिवस के भीतर आवेदन नहीं किए जाने पर परिवाद मात्र इसी आधार पर निरस्त होने योग्य है । उनका यह भी तर्क रहा है कि परिवाद आज्ञापक प्रावधानों के अन्तर्गत भारत संघ जरिए महाप्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे , जयपुर प्रस्तुत नहीं किया गया है व टीडीआर राषि जो रिफण्ड से संबंधित है, रेल्वे क्लेम्स ट्राईब्युनल की धारा 13 व 15 के तहत बाधित है । परिवाद इन्हीं आधारों को ध्यान में रखते हुए खारिज किया जाना चाहिए ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने व पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन भी कर लिया है ।
6. जहां तक प्रारम्भिक आपत्ति का प्रष्न है, हस्तगत प्रकरण दावा अथवा रिट याचिका से संबंधित नहीं है व उपभोक्ता मामलों की परिधि में आने के कारण यदि महाप्रबन्धक, उत्तर पष्चिम रेल्वे ,जयपुर को पक्षकार नहीं बनाते हुए प्रस्तुत किया गया है, तो इसमें किसी प्रकार की कोई तात्विक अवैधानिकता नहीं है । रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्युनल एक्ट की जो धारा 13 व 15 में प्रावधान बताए गए है, के अन्तर्गत हस्तगत मामला टिकिट यात्रा निरस्त करवाने संबंधी ै, जो इन प्रावधानों की परिधि में नहीं आता है एवं एतद् द्वारा उठाई गई आपत्ति निरस्त की जाती है ।
7. स्वीकृत रूप से प्रार्थीया ने दिनांक 19.5.2012 को निरस्त की गई यात्रा के टिकिट हैड टीसी, अजमेर के समक्ष प्रस्तुत कर जमा कराते हुए टिकिट जमा रसीद टीडीआर प्राप्त की है । उसके द्वारा उक्त टिकिट जमा करवाए जाने के बाद रेल्वे के मुख्य वाणिज्यक प्रबन्धक(धन वापसी), प्रधान कार्यालय, उत्तर पष्चिम रेल्वे , हसनपुरा, जयपुर को उक्त टीडीआर अर्थात टिकिट जमा रसीद की प्रति संलग्न करते हुए 3 माह के अन्दर अन्दर रिफण्ड हेतु आवेदन नहीं किया गया है । हालांकि उक्त टीडीआर के उपर इस हेतु पता तथा अन्य यात्रियों के लिए अनुदेष में स्पष्ट अंकित है कि ’’ यात्रा के लिए टीडीआर के उपर लिखित पते पर मुख्य वाणिज्यक प्रबन्धक(धनवापसी), उत्तर पष्चिम रेल्वे, जयपुर को आवेदन पत्र पीछे मुद्रित पते पर भेजना अपेक्षित है । इस रसीद को मूल रूप से आवेदन पत्र के साथ वापस करें । आवेदन पत्र संबंधित धन वापसी कार्यालय में जल्द पहुच जाना चाहिए, लेकिन यात्रा की तिथि से 90 दिन के बाद नहीं । ’’ इसी अनुदेष के आगे क्रम संख्या 3 पर यह उल्लेख है कि यह यात्रियों के हित में होगा कि वह आवेदन पत्र को स्वयं दे अथवा पंजीकृत डाक द्वारा भेजे तथा इस रसीद व अन्य दस्तावेजों की एक एक प्रति रख लें । कहने का तात्पर्य यह है कि प्रार्थी पक्ष ने उक्त टिकिट हैड टीसी , अजमेर रेल्वे स्टेषन , अजमेर के पास जमा करवाने के बाद टीडीआर के साथ साथ 90 दिन के अन्दर अन्दर मुख्य वाणिज्यक प्रबन्धक(धन वापसी), प्रधान कार्यालय,उत्तर पष्चिम रेल्वे हसनपुरा,जयपुर को न तो आवेदन किया ओर ना ही व्यक्तिषः जाकर फार्म भरते हुए उक्त टीडीआर संलग्न की ।
8. यह मंच विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी रेल्वे की इन दलीलों से सहमत है कि प्रार्थीया के लिए यह अपेक्षित था कि वह रिफण्ड हेतु उक्त टिकिट जमा कराते हुए प्राप्त टीडीआर को विहित फार्म भर कर आगे भेजने के लिए बाध्य थी और उसके द्वारा ऐसा नहीं किए जाने पर यदि अप्रार्थी ने उसे रिफण्ड का भुगतान नहीं किया है, तो इसमें अप्रार्थी की सेवा में कोई कमी नहीं है । लेकिन स्थिति यह भी स्वीकृत है कि प्रार्थीया ने बिना यात्रा किए रेल्वे टिकिट को रिफण्ड हेतु तत्समय उसी दिन अर्थात 19.5.2012 को हैड टीसी , अजमेर को जमा करवा दिए । प्रार्थीया द्वारा इस टीडीआर के साथ 90 दिन के अन्दर अन्दर आगे आवेदन नहीं करना उसके स्तर पर अनियमितता अवष्य थी । किन्तु उसके द्वारा बिना यात्रा किए टिकिट उसी दिन हैड टीसी, अजमेर के समक्ष जमा करवा कर टीडीआर प्राप्त करने की कार्यवाही को देखते हुए इस मंच की राय में न्याय की मंषा के अनुरूप उसे मात्र टिकिट की राषि दिलाया जाना न्यायोचित है । सार यह है कि परिवाद आंषिक तौर पर स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थीया अप्रार्थी रेल्वे से टिकिट की राषि रू. 2769/- प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) क्रम संख्या 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी रेल्वे प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
(3) प्रकरण की परिस्थिति को मद्देनजर रखते हुए पक्षकारान खर्चा अपना अपना स्वयं वहन करेगें ।
आदेष दिनांक 19.05.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष