समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-04/2015 उपस्थित- श्री जनार्दन कुमार गोयल, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
मनीष कुमार पुत्र श्री रामस्वरूप निवासी-ग्राम-गाडौ थाना-महोबकंठ तहसील-कुलपहाड व जिला महोबा ......परिवादी
बनाम
1.रहमानियां मोबाइल ऐजेन्सीज गांधी रोड,नौगांव बुंदेलखण्ड जिला-छतरपुर ।
2.पुरवार वाच कंपनी मैन मार्केट,ऊदल चौक,महोबा जिला-महोबा ।
3.सेमसंग इण्डिया इम्पेक्ट प्रा0लि0 ए-25 ग्राउण्ड फलोर फेस्ट टावर मोहन को0 ई0 नई दिल्ली 110044 भारत ....विपक्षीगण
निर्णय
श्री जनार्दन कुमार गोयल,अध्यक्ष,द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने दि011.12.2013 को एक मोबाइल गैलेक्सी स्टार रहमानियां मोबाइल ऐजेन्सीज गांधी रोड, नौगांव जिला-छतरपुर से क्रय किया था । 7-8 माह बाद मोबाइल में परेशानी आने लगी । रोमिंग में नेटवर्क स्वयं न आना । रोमिंग में स्वयं ही कोई आप्शन खुल जाना । मोबाइल काम करते करते बंद हो जाना और 05 से 15 मिनट के लिये कार्य बन्द कर देना । मोबाइल का गर्म हो जाना और बैटरी बैकअप बहुत कम हो जाना । बात करते करते नेटवर्क छोड देना । परिवादी ने मोबाइल की कमी की कई बार डीलर को बताई तो उसने केयर सेंटर भेजने के नाम पर ले लिया और 25 दिन बाद बुलाकर वापस कर दिया । समस्यायें यथावत रहीं। पुन: डीलर को बताया और परिवादी ने डीलर से सुधरवाने की रसीद मांगी तो उसने कहा कि कंपनी सुधारने की रसीद नहीं देती । 25-30 दिन सुधारने में समय लगाने के बाद वापस करने पर एक नई समस्या उत्पन्न हो गयी कि नेट चलाने पर अधिक फंसने लगा । परिवादी ने डीलर से मोबाइल बदलकर दूसरा देने को कहा तो उसके द्वारा अपमानित करके भगा दिया । परिवादी ने मोबाइल की समस्याओं की सूचना सेमसंग के थोक डीलर पुरवार वाच कंपनी,महोबा को दी लेकिन उनके द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया,जिससे परिवादी को मानसिक,आर्थिक व शारीरिक कष्ट हुआ,जिसके लिये उसे 6,000/-रू0 व मोबाइल बदलकर दूसरा दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी सं01 ने अपना जबाबदावा प्रस्तुत किया । विपक्षी सं01 सेमसंग का अधिकृत विक्रेता है और उसने कंपनी की शर्तों के आधार पर मोबाइल विक्रय किया था तथा रसीद पर शर्तें लिखीं थीं । परिवादी ने मोबाइल की कमी के संबंध में वारंटी अवधि में कोई शिकायत नहीं की । यदि इस अवधि में मोबाइल में शिकायत होती तो परिवादी कंपनी के टोल फ्री नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज कराता । दिशा निर्देश पुस्तिका वस्तु के उपयोग हेतु दी जाती है,कोई समस्या होने पर निर्माता कंपनी से संपर्क करने हेतु उल्लेख है । विपक्षी सं01 से कभी कोई संपर्क नहीं किया गया । विपक्षी सं01 मात्र विक्रेता है निर्माता नहीं है । वारंटी निर्माता कंपनी द्वारा दी जाती है । कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर पर समस्या का समाधान किया जाता है । विवाद की स्थिति में छतरपुर म0प्र0 के न्यायालय द्वारा सुनवाई की शर्त पर परिवादी ने मोबाइल क्रय किया था । जिला फोरम,महोबा को इस परिवाद को सुनने का अधिकार नहीं है । अत: परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
विपक्षी सं02 की ओर से रामकिशोर प्रबंधक का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है । दि0 29.10.2015 द्वारा विपक्षी सं01 के विरूद्ध एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित किया गया । दि0 10.12.2015 को विपक्षी सं01 ने एकपक्षीय आदेश निरस्त कराकर जबाबदावा प्रस्तुत किया है ।
परिवादी की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त परिवाद पत्र के साथ परिवादी मनीष का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी सं01 को जबाबदावा प्रस्तुत करने के बाद साक्ष्य हेतु अवसर दिये जाने के उपरांत भी उसके द्वारा साक्ष्य नहीं दिया गया । आदेश दि0 26.03.2016 द्वारा परिवादी की साक्ष्य समाप्त की गई । विपक्षी सं01 द्वारा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत की गई और अन्य कोई साक्ष्य नहीं दी गई ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व परिवादी के अधिवक्ता के तर्क सुने गये । विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने दि010.12.2013 को सेमसंग मोबाइल 6400/-रू0 में क्रय किया । विपक्षी सं01 की उक्त एजेंसी गांधी रोड,नौगांव जिला-छतरपुर म0प्र0 में स्थित है । परिवादी का तहसील-कुलपहाड जिला-महोबा में निवास है । विपक्षी सं03 नई दिल्ली स्थित कंपनी है । विपक्षी सं02 पुरवार वाच कंपनी महोबा में स्थित है ।
विपक्षी सं01 की ओर से यह आपत्ति उठाई गई है कि जिला फोरम,महोबा को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है । क्योंकि मोबाइल जिला-छतरपुर म0प्र0 से खरीदा गया है और निर्माता कंपनी दिल्ली की है ।
के पति स्व0 प्रताप ऊर्फ परताप के नाम मौजा-अस्थैान में खाता खतौनी सं00377 में कुल रकवा 1.0200 हे0 कृषि भूमि थी और वह एक पंजीकृत कृषक थे । परिवादिनी के अनुसार दि0 04.05.2007 को परिवादिनी के पति कृषि कार्य के बावत अपनी बैलगाडी से जा रहे थे कि अचानक बैलगाडी से गिर गये तथा बैलगाडी उनके शरीर के ऊपर से निकल गई । इस दुर्घटना में परिवादिनी के पति के शरीर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें तत्काल इलाज हेतु चरखारी अस्पताल ले जाया गया,जहां से महोबा तथा महोबा से झांसी और झांसी से ग्वालियर तथा इसके उपरांत लखनऊ में इलाज चला लेकिन परिवादिनी के पति के शरीर में आई चोटों के कारण दि0 07.05.2007 को उनकी मृत्यु हो गई। परिवादिनी ने इस घटना की सूचना विपक्षी सं02 को दी,जिस पर उनके द्वारा मौजा लेखपाल के माध्यम से घटना की जांच कराई गई तथा लेखपाल द्वारा पंजीकृत किसान दुर्घटना बीमा योजना का फार्म भरा गया और परिवादिनी से अंगूठा लगवाया गया एवं उसके साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट,खतौनी की नकल,परिवार रजिस्टर की नकल आदि प्रपत्र संलग्न किये गये और बताया गया कि विपक्षी सं02 द्वारा परिवादिनी का क्लेमफार्म विपक्षी बीमा कंपनी को बीमित धनराशि के भुगतान हेतु भेज दिया जायेगा । परन्तु विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा उसकी बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया । विपक्षी सं01 बीमा कंपनी के अनुसार परिवादिनी के पति की मृत्यु दुर्घटना में न होकर बल्कि किसी बीमारी से हुई है और इसके संबंध में उनके द्वारा कथन किया गया कि परिवादिनी के कथन व प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंतर है । चूंकि बीमारी से मृत्यु दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आती इसलिये परिवादिनी अपने पति की मृत्यु के संबंध में किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है ।
विपक्षी सं01 बीमा कंपनी ने परिवादिनी के क्लेम को निरस्त करने का आधार मूलत: परिवादिनी व प्रथम सूचना रिपोर्ट के कथनों में अंतर होना कहा है । परन्तु विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादिनी के कथन या प्रथम सूचना रिपोर्ट की सत्य प्रतिलिपि साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं की जिससे यह स्पष्ट हो कि कथन में किस बिन्दु पर परस्पर विरोधाभास है और उसमें संदेह उत्पन्न होता है । जबकि विपक्षी सं02 जिलाधिकारी,महोबा द्वारा परिवादिनी को बीमित धनराशि प्रदान किये जाने की संस्तुति की गई और परिवादिनी के स्व0पति प्रताप उर्फ परताप की मृत्यु बैलगाडी से गिरने एवं गर्दन के ऊपर से बैलगाडी का पहिया निकल जाने से आई गंभीर चोटों के कारण इलाज के दौरान हो गई ।
उपरोक्त परिस्थितियों एवं अभिलेखों तथा पक्षकारान के तर्कों के आधार पर यह फोरम परिवादिनी की और से किये गये कथनों से संतुष्ट है और ऐसी स्थिति में परिवादिनी अपने पति की दुर्घटना के फलस्वरूप हुई मृत्यु के संबंध में बीमित धनराशि मु0 1,00,000/-रू0 विपक्षी बीमा कंपनी से प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खिलाफ विपक्षी सं01 इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी सं01 बीमा कंपनी परिवादिनी को आज इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अंदर बीमा धनराशि 1,00,000/-रू0 एवं मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में 2,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 प्रदान करे । अन्यथा परिवादी विपक्षी सं01 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर ब्याज भी उक्त धनराशि पर प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
विपक्षी सं02 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है ।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
28.04.2016 28.04.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्य, सदस्या,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
28.04.2016 28.04.2016