राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-827/2003
1.ब्रांच मैनेजर, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, ब्रांच सोहरोना, पोस्ट
सिगापट्टी, जिला कुशीनगर।
2.ब्रांच मैनेजर, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, ब्रांच बैंक रोड, गोरखपुर।
...........अपीलार्थीगण@विपक्षीगण
बनाम
1.रहीम अंसारी, पुत्र भोज अंसारी निवासी गम्हिरिया बु0 तप्पा वासी
चिरगोडा, परगना सि0जो0, तहसील पडरोना, पो0 सिंगापट्टी, जिला
कुशीनगर।
2.ब्रांच मैनेजर, केनरा बैंक, ब्रांच बैंक रोड, गोरखपुर।
.......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
अपील संख्या-1240/2002
केनरा बैंक, बैंक रोड ब्रांच गोरखपुर द्वारा ब्रांच मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0 3
बनाम
1.श्री रहीम अंसारी, पुत्र भोज अंसारी निवासी गम्हिरिया बु0 तप्पा वासी
चिरगोडा, परगना सि0जो0, तहसील पडरोना, पो0 सिंगापट्टी, जिला
कुशीनगर।
2.दि ब्रांच मैनेजर, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, सहरोना पोस्ट सिंगापट्टी
जिला कुशीनगर।
3.दि ब्रांच मैनेजर, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, बैंक रोड ब्रांच गोरखपुर।
.......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजीव जायसवाल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित : श्री बी0के0 उपाध्याय, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 23.07.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
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1. उपरोक्त दोनों अपीलें परिवाद संख्या 482/2001 रहीम अंसारी बनाम शाखा प्रबंधक सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, शाखा प्रबंधक केनरा बैंक में पारित निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय से किया जा रहा है। प्रत्येक पत्रावली में निर्णय की एक-एक प्रति रखी जाए।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के भाई हनीफ अंसारी ने अंकन रू. 50000/- का बैंक ड्राफ्ट रियाद से विपक्षी संख्या 3 के यहां भुगतान के वास्ते परिवादी के पास भेजा था, जिसमें खाता नं0 अंकित किया गया था। परिवादी का यह खाता विपक्षी संख्या 1 के बैंक में था, अत: दि. 27.03.01 को बैंक ड्राफ्ट को विपक्षी संख्या 1 के यहां जमा किया गया है, परन्तु खाते में पैसा जमा नहीं हुआ तब विपक्षी संख्या 2 से जानकारी प्राप्त की तब दि. 28.06.01 को परिवादी दस्ती पत्र देकर विपक्षी संख्या 2 के यहां भेजा, तब विपक्षी संख्या 2 ने दि. 30.06.2001 के पत्र द्वारा सूचित किया कि यह ड्राफ्ट विपक्षी संख्या 1 को वापस कर दिया गया है। परिवादी को यह राशि प्राप्त नहीं हुई, इसलिए ड्राफ्ट राशि के अलावा इस राशि पर 20 प्रतिशत की दर से ब्याज, रू. 500/- हर्जा खर्चा, मानसिक प्रताड़ना तथा परिवादी के बहन की शादी स्थगन के कारण हुई खर्च की मद में क्रमश: रू. 25500/- एवं रू. 10000/- की मांग की गई।
3. विपक्षी संख्या 1 का कथन है कि विपक्षी संख्या 2 के यहां कलेक्शन के लिए ड्राफ्ट भेजा और विपक्षी संख्या 2 के द्वारा विपक्षी संख्या 3 के यहां भेजा गया। यह ड्राफ्ट इस आपत्ति के साथ वापस कर दिया गया कि ड्राफ्ट पर दो हस्ताक्षर मौजूद नहीं हैं, जो पोस्टल विभाग में गुम हो गया है।
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4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के यहां जहां पर उसका खाता है, ड्राफ्ट जमा किया वहां से विपक्षी संख्या 2 के यहां भेजा गया और विपक्षी संख्या 2 द्वारा विपक्षी संख्या 3 के यहां वसूली के लिए भेजा गया। विपक्षी संख्या 3 द्वारा आपत्ति लगा दी गई और परिवादी को समुचित सूचना नहीं दी गई। यह भी निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी को बहन की शादी स्थगित करनी पड़ी, इसलिए उसे रू. 2000/- का नुकसान, भागदौड़ में अंकन रू. 500/- का नुकसान हुआ। ड्राफ्ट राशि सहित कुल रू. 52500/- क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया गया है।
5. इस निर्णय व आदेश को केनरा बैंक द्वारा अपील संख्या 1240/2002 में इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि किसी भी दृष्टि से अपीलार्थी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। अपीलार्थी बैंक की ओर से कोई त्रुटि नहीं की गई है। चूंकि ड्राफ्ट त्रुटिपूर्ण था, जिस पर उचित हस्ताक्षर नहीं थे, इसलिए अपीलार्थी बैंक किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है।
6. सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया की तरफ से अपील संख्या 827/2003 इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। बैंक ड्राफ्ट रियाद से क्रय किया गया था, जिस पर प्राधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं थे, इसलिए केनरा बैंक द्वारा वापस लौटा दिया गया था। परिवादी द्वारा वसूली शुल्क अदा नहीं किया गया, इसलिए वह उपभोक्ता नहीं है। रियाद बैंक के स्तर से लापरवाही कारित हुई है। पोस्टल विभाग ट्रांजिक्ट के दौरान ड्राफ्ट को खोने के लिए उत्तरदायी है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय अपास्त होने योग्य है।
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7. सेन्ट्रल बैंक के विद्वान अधिवक्ता श्री राजीव जायसवाल एवं परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय को सुना गया। केनरा बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार विपक्षी संख्या 1 यानी सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया शाखा सोहरोना जनपद कुशीनगर में ड्राफ्ट जमा किया गया, जो गोरखपुर स्थित शाखा को प्रेषित किया गया और वहां से केनरा बैंक को वसूली के लिए भेजा गया। केनरा बैंक द्वारा इस आधार पर वापस कर दिया गया कि जैसाकि लिखित कथन में उल्लेख है कि ड्राफ्ट जारी करने वाले बैंक प्राधिकारियों के समुचित हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे। ड्राफ्ट में किसी प्रकार की त्रुटि पाए जाने पर त्रुटि दुरूस्त करने के उद्देश्य से ड्राफ्ट को भुगतान के बिना वापस किया जा सकता है। सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया गोरखपुर शाखा ने स्वीकार किया गया है कि केनरा बैंक से ड्राफ्ट वापस प्राप्त हो गया था और डाक से भेजने के दौरान ड्रा्फ्ट गायब हुआ है। इस प्रकार केनरा बैंक का कोई दायित्व ड्राफ्ट खो जाने के लिए निर्धारित किया जाना अनुचित था, अत: केनरा बैंक द्वारा प्रस्तुत की गई अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
9. अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया को ड्राफ्ट गुम होने की संपूर्ण रकम के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है ? इस प्रश्न का उत्तरा नकारात्मक है, क्योंकि ड्राफ्ट में वर्णित जो राशि केनरा बैंक से वसूल नहीं हुई, उस राशि को अदा करने का आदेश सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया को नहीं दिया जा सकता। ड्राफ्ट में वर्णित राशि चूंकि केनरा बैंक से प्राप्त नहीं हुई, इसलिए इस राशि का उपयोग सेन्ट्रल
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बैंक आफ इंडिया द्वारा नहीं किया गया और चूंकि ड्राफ्ट पर समुचित हस्ताक्षर नहीं थे, इसलिए इस ड्राफ्ट में वर्णित राशि का कभी भी संकलन किसी भी बैंक द्वारा नहीं किया गया, इसलिए ड्राफ्ट में वर्णित राशि अदा करने के लिए सेन्ट्रल बैंक उत्तरदायी नहीं है, परन्तु यह तथ्य स्थापित है कि सेन्ट्रल बैंक की कुशीनगर स्थित शाखा में ड्राफ्ट जमा करने के पश्चात विपक्षी संख्या 2 को भेजा गया। विपक्षी संख्या 2 द्वारा केनरा बैंक को भेजा गया। केनरा बैंक द्वारा विपक्षी संख्या 2 को लौटा दिया गया और विपक्षी संख्या 2 के स्तर से यह ड्राफ्ट गुम हुआ है, इसलिए विपक्षी संख्या 1 एवं 2 चूंकि एक ही बैंक की दो शाखाएं हैं, अत: सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया के स्तर से ड्राफ्ट गुम हो जाने के कारण परिवादी को पहुंची क्षति का जो आकलन अंकन रू. 2500/- के रूप में किया गया है, परिवादी सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया से इस राशि को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है और चूंकि ड्राफ्ट में वर्णित अंकन रू. 50000/- बैंक द्वारा नहीं भुनाई गई, इसलिए जिस बैंक द्वारा ड्राफ्ट जारी किया गया है वह राशि रियाद स्थित बैंक में आज भी मौजूद है और परिवादी का भाई इस राशि को अपने बैंक से प्राप्त कर सकता है, अत: सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है कि परिवादी केवल सेन्ट्रल बैंक की लापरवाही के कारण ड्राफ्ट गुम हो जाने की स्थिति में अंकन रू. 2500/- का प्रतिकर प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
आदेश
10. सेन्ट्रल बैंक द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या 827/2003 इस सीमा तक स्वीकार की जाती है कि सेन्ट्रल बैंक अंकन रू. 2500/- मानसिक प्रताड़ना एवं अन्य खर्च के मद में परिवादी को अदा करने के लिए
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उत्तरदायी हैं। इस राशि पर परिवाद पत्र में वर्णित ब्याज भी देय होगा। सेन्ट्रल बैंक अंकन रू. 50000/- बैंक ड्राफ्ट राशि परिवादी को वापस लौटाने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
केनरा बैंक द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या 1240/2002 स्वीकार की जाती है। केनरा बैंक के विरूद्ध पारित किया गया आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3