Chhattisgarh

StateCommission

FA/14/479

Siddhi Vinayak Education Academy Pvt.Ltd. - Complainant(s)

Versus

Raghvendra Sharma - Opp.Party(s)

Shri Anant Bajpai

27 Feb 2015

ORDER

Chhattisgarh State Consumer Disputes Redressal Commission Raipur
Final Order
 
First Appeal No. FA/14/479
(Arisen out of Order Dated in Case No. CC/13/97 of District Bilaspur)
 
1. Siddhi Vinayak Education Academy Pvt.Ltd.
Rajendra Nagar Bilaspur
Bilaspur
Chhattisgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Raghvendra Sharma
Jarhabhata Mandir Chouk Bilaspur
Bilaspur
Chhattisgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma PRESIDENT
 HONABLE MS. Heena Thakkar MEMBER
 HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar MEMBER
 
For the Appellant:Shri Anant Bajpai, Advocate
For the Respondent: Shri Ravindra Sharma, Advocate
ORDER

छत्तीसगढ़ राज्य

उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पंडरी, रायपुर

 

अपील क्रमांकः FA/14/479

संस्थित दिनांक  : 07.07.2014

मुख्य कार्यकारी अधिकारी,

सिद्धिविनायक एजुकेशन एकेडमी प्रा. लि.,

राजेन्द्र नगर,

बिलासपुर (छ.ग.)                                                                                                                                     .....अपीलार्थी

विरूद्ध

राघवेन्द्र शर्मा, पिता स्व. देवचरण शर्मा,

निवासी ग्राम सरगांव, पो. सरगांव,

हाल मुकाम - जरहाभाठा, मंदिर चैक,

बिलासपुर (छ.ग.)                                                                                                                                     .....उत्तरवादी

 

समक्षः

माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष

माननीय सुश्री हीना ठक्कर, सदस्या

माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य

 

पक्षकारों के अधिवक्ता

अपीलार्थी अनुपस्थित।

उत्तरवादी की ओर से श्री रविन्द्र शर्मा, उपस्थित।

 

आदेश

दिनांकः 27/02/2015

द्वाराः माननीय सुश्री हीना ठक्कर, सदस्या

 

अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ.ग.) (जिसे आगे संक्षिप्त में ’’जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) द्वारा प्रकरण क्रमांक CC/97/2013 ’’राघवेन्द्र शर्मा विरूद्ध मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सिद्धिविनायक एजुकेशन एकेडमी’’ में पारित आदेश दिनांक 02.06.2014 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है। जिला फोरम द्वारा उत्तरवादी की परिवाद को स्वीकार कर अपीलार्थी को निर्देषित किया कि आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर परिवादी को शेष राशि           रू 5,000/-, मानसिक संताप हेतु रू  5,000/- एवं वादव्यय रू  2,000/- का भुगतान करें।

 

2.            उत्तरवादी की परिवाद संक्षेप सार इस प्रकार है कि परिवादी की पुत्री कु. निधि ने अध्ययन व कोचिंग हेतु अनावेदक संस्था में 2 वर्ष का एकमुस्त शुल्क रू  41,380/- जमा कर प्रवेश लिया था, परन्तु आवेदिका की पुत्री ने एक वर्ष कोचिंग लेने के पश्चात् अनावेदक संस्था से स्थानांतरण प्रमाणपत्र ¼T.C.½ ले लिया एवं अनावेदक संस्था से शेष एक वर्ष हेतु भुगतान की गई शुल्क राशि वापस किए जाने का निवेदन किया। अनावेदक संस्था द्वारा उसे केवल रू  11,300/- मात्र लौटाया गया। अतः अनावेदक संस्था के विरूद्ध सेवा में निम्नता के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया व शेष कोचिंग फीस रू  9,734/- मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति का अनुतोष प्रदान करने की प्रार्थना की गई।

 

3.            अनावेदक संस्था जिला फोरम के समक्ष एकपक्षीय रहा।

 

4.            जिला फोरम द्वारा विनिश्चय लिया गया कि अनावेदक संस्था द्वारा द्विवर्षीय पाठ्यक्रम का कोचिंग शुल्क रू  50,000/- निर्धारित किया था एवं परिवादी द्वारा रू  41,380/- जमा किया गया था एवं परिवादी के अभिकथनानुसार उसे अनावेदक संस्था द्वारा मात्र रू  11,380/- का चेक देकर शेष राशि वापस की गई थी। अतः रू  5,000/- की शेष राशि परिवादी को और देय है जिसे न देकर परिवादी के प्रति सेवा में निम्नता की गई है। अतः परिवाद स्वीकार कर अनुतोष प्रदान किए गए।

 

5.            हमारे समक्ष अपीलार्थी तर्क हेतु नियत तिथि पर अनुपस्थित रहा एवं उत्तरवादी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री रविन्द्र शर्मा द्वारा तर्क प्रस्तुत किए गए एवं हमारे द्वारा अभिलेख का सूक्ष्म अध्ययन किया गया।

6.            अपील ज्ञापन में मुख्यतः यह आधार उल्लेखित है कि अपीलार्थी संस्था ने परिवादी को दो वर्षीय पाठ्क्रम की एकमुश्त शुल्क जमा किए जाने पर नियत शुल्क रू  50,000/- में 16 % की छूट दी गई थी। एवं छात्रा निधि शर्मा ने छूट प्राप्त कर दाखिला लिया था एवं एक वर्ष में ही अध्ययन अधूरा छोड़कर अन्यत्र जाने का निर्णय लिया था। इस प्रकार दो वर्षीय पाठ्यक्रम में छूट का लाभ एक वर्ष के पाठ्यक्रम में प्रदान किया जाना संभव नहीं था। यह भी आधार उल्लेखित है कि उत्तरवादी को इस तथ्य की जानकारी है कि एक वर्ष का शुल्क रू  31,000/- है इस प्रकार उसके द्वारा जमा की गई राशि में रू  31,000/- घटाने के पश्चात् ृ 10,380/- की राशि वापस किए जाने योग्य थी। परन्तु फिर भी अपीलार्थी संस्था ने रू  11,380/- वापस किए हैं। जिला फोरम द्वारा छूट संबंधी प्रावधानों पर ध्यान नहीं दिया गया । परिवादी छूट प्राप्त कर दाखिला लेने के पश्चात् स्वेच्छा से अध्ययन छोड़ता है तो इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है। छात्रा के अभिभावक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं अतः परिवाद पोषणीय नहीं थी न ही अनावेदक संस्था द्वारा सेवा में निम्नता की गई है। अपील स्वीकार कर आलोच्य आदेश अपास्त करने का निवेदन किया गया है।

 

7.            उत्तरवादी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री रविन्द्र शर्मा द्वारा निवेदन किया गया कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश उचित व सही है अतः यथावत रखे जाने का व अपील निरस्त करने का अनुरोध किया गया।

 

8.            अपीलार्थी के अधिवक्ता द्वारा अपील ज्ञापन के साथ आवेदन पत्र अन्तर्गन आदेश 41 नियम 27, व्यवहार प्रक्रिया संहिता प्रस्तुत कर एक दस्तावेज ’स्वीकृत शुल्क योजना का फार्म’ को अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने का निवेदन किया गया है। उत्तरवादी के अधिवक्ता द्वारा आवेदन का विरोध किया गया कि अपीलार्थी संस्था के द्वारा सम्यक अवसर प्रदान करने के पश्चात् भी जिला फोरम के समक्ष प्रतिरक्षा में उपस्थित होकर न तो अभिकथन किए गए न ही दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। अतः आवेदन पत्र निरस्त करने की याचना की गई। हमारे समक्ष आज अपीलार्थी अनुपस्थित है और न ही उसकी ओर से किसी अधिवक्ता द्वारा प्रतिनिधित्व दिया गया है न ही आवेदन पत्र में स्पष्टीकरण उल्लेखित है कि क्यों ये दस्तावेज जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए जा सके। अतः आवेदन पत्र निरस्त किया जाता है।

 

9.            हमारे द्वारा अभिलेख का परिशीलन किया गया। परिवादी द्वारा अभिलेख में अपीलार्थी संस्था द्वारा प्रदत्त रसीद दिनांक 16.07.2010 की प्रति प्रस्तुत की है जिसके अनुसार,

Paying Amount Cash/Cheque 33,200 +9000+5000+2800=50,000

Balance 9180 (coaching)

 

                इस प्रकार अपीलार्थी संस्था द्वारा कोचिंग फीस 33,200/- ली गई थी। इस प्रकार एक वर्ष की फीस रू  16,600/- है एवं अपीलार्थी संस्था द्वारा अपील ज्ञापन में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी को मात्र रू 11,380/- ही वापस प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार कोचिंग फीस रू 5,220/- परिवादी/ उत्तरवादी को देय है। अपीलार्थी द्वारा अपील ज्ञापन में कथित दो वर्षीय पाठ्यक्रम में दी जाने वाली छूट के संबंध में भी उक्त रसीद में कोई उल्लेख नहीं है अपितु रू  50,000/- प्राप्त करने की अभिस्वीकृति है। चूंकि परिवाद पत्र में परिवादी द्वारा ही यह अभिकथित है कि दाखिले के समय एकमुश्त रकम रू  41,380/- जमा किए गए थे। सम्पूर्ण दो वर्षीय पाठ्यक्रम की शुल्क राशि 50,000/- का 50 % अर्थात  रू  25,000/- घटाने के पश्चात् प्रथम वर्ष हेतु शुल्क रू  16,380/- शेष बचता है, जिसमें अपीलार्थी संस्था द्वारा वापस की गई रकम रू 11,380/- समायोजित करने के पश्चात् अपीलार्थी संस्था द्वारा देय राशि रू  5,000/- शेष रहती है। इस प्रकार अपीलार्थी संस्था द्वारा दी गई छूट का लाभ द्वितीय वर्ष की शुल्क में समायोजित किए बिना प्रथम वर्ष के शुल्क में ही समायोजित किया गया है।  अपीलार्थी का यह आधार स्वीकार योग्य नही है कि परिवादी/ उत्तरवादी को 16 % की छूट शुल्क भुगतान में दी गई थी इस तथ्य को जिला फोरम द्वारा अनदेखा किया गया है।

 

10.          अपीलार्थी द्वारा किया गया यह आपत्ति कि छात्र के अभिभावक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते है। अधिनियम की धारा 2(घ)(ii)के अनुसार,

"(ii)प्रतिफल के लिए किसी माल को किराये पर लेता है अथवा प्राप्त करता है, जो कि चुका दिया गया अथवा चुकाने का वायदा किया गया अथवा आंशिक भुगतान कर दिया गया अथवा आंशिक भुगतान करने का वायदा किया गया अथवा किसी तरीके के अन्तर्गत भुगतान स्थगित किया गया और उस व्यक्ति के अलावा उन सेवाओं हेतु किसी हितकारी को सम्मिलित करता है, जिसने किराये पर ली गई अथवा प्राप्त की गई सेवाओं के प्रतिफल को चुका दिया अथवा चुकाने का वायदा किया अथवा आंशिक भुगतान कर दिया अथवा आंशिक भुगतान करने का वायदा किया अथवा किसी तरीके के अन्तर्गत भुगतान स्थगित किया, जब प्रथम वर्णित व्यक्ति के अनुमोदन द्वारा वे सेवाएं प्राप्त की गई, [लेकिन उस व्यक्ति को सम्मिलित नहीं करता, जो किसी व्यापारिक उद्देश्य के लिए उन सेवाओं को प्राप्त करता है;]"

 

इस प्रकार छात्र के अभिभावक उपभोक्ता की श्रेणी में आते है। अतः अपीलार्थी की यह आपत्ति स्वीकार योग्य नहीं है।

 

11.          उपरोक्तानुसार प्रकरण के तथ्यों पर विचार विमर्श के उपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश उचित व न्याय संगत है, अतः संपुष्ट किया जाता है। अपीलार्थी की अपील सारहीन आधारहीन होने से निरस्त की जाती है। अपीलव्यय के संबंध में कोई आदेश नहीं किया जा रहा है।

 

(न्यायमूर्ति आर. एस. शर्मा)                (सुश्री हीना ठक्कर)                             (डी. के. पोद्दार)

       अध्यक्ष                                            सदस्या                                          सदस्य

             /02/2015                                 /02/2015                                        /02/2015

 
 
[HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma]
PRESIDENT
 
[HONABLE MS. Heena Thakkar]
MEMBER
 
[HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.