ARVIND filed a consumer case on 08 Mar 2021 against RAGHVENDRA RAI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/112/2011 and the judgment uploaded on 08 Mar 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 112 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 09.12.2011
निर्णय दिनांक 08.03.2021
अरबिन्द कुमार सिंह उम्र लगभग 48 वर्ष पुत्र स्वo बल्देव सिंह साकिन मौजा- बिजौरा, थाना- कन्धरापुर, पोस्ट- भवंरनाथ, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने व्यक्तिगत आवश्यकता निमित्त उपरोक्त बैंक से अपनी अचल सम्पत्ति आराजी नं. 285 रकबा 28 कड़ी स्थित ग्राम करतालपुर, तहसील सदर जिला आजमगढ़ को बंधक पर रूपए तीन लाख ऋण लेने हेतु दिनांक 27.09.2010 को एक आवेदन पत्र विपक्षी संख्या 01 को दिया जिस पर प्रस्तावित बंधक भूमि का नक्शा नजरी को लेखपाल द्वारा बनवाकर तहसीलदार महोदय सदर आजमगढ़ से प्रमाणित करने हेतु उसी दिन विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रेषित कर दिया गया। आख्या से सन्तुष्ट होने के उपरान्त विपक्षी संख्या 01 ने भूमि के भार मुक्तता सम्बन्धित समस्त विधिक औपचारिकताओं की पूर्ति अपने विधिक सलाहकार से कराई। विधिक सलाहकार श्री अशोक कुमार विश्वकर्मा ने दिनांक 08.09.2011 को आराजी नं. 285 रकबा 28 कड़ी के बाबक अपने सम्पूर्ण जाँचपड़ताल के उपरान्त अपनी आख्या बैंक को लिखित रूप से प्रेषित किया जो ऋण स्वीकृति के पक्ष में रही है। बैंक द्वारा उपरोक्त आराजी नं. 285 रकबा 28 कड़ी मार्केट वैल्यू रिपोर्ट बैंक ने अपने वैल्यूवर से मांगी जिसे बैंक के वैल्यूवर ने मौके का उपरोक्त आराजी नं. का मुआइना कर अपनी आख्या दिनांक 05.09.2011 को बैंक को प्रेषित किया। जिसमें वैल्यूवर द्वारा उपरोक्त आराजी नं. का मार्केट वैल्यू 6,24,000/- आंका गया। विपक्षीगण द्वारा याची के पक्ष में ऋण स्वीकृति हेतु मौखिक निर्देश दिया गया कि आप अपने उक्त आराजी नं. के चारो तरफ बाउण्ड्री का निर्माण करा दें तभी ऋण स्वीकृत किया
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जाएगा। इस प्रकार परिवादी ने उपरोक्त आराजी नं. के चारों तरफ चहारदीवारी का निर्माण कराया। परिवादी दिनांक 17.09.2011 को विपक्षीगण से बैंक में जाकर मिला तो विपक्षीगण द्वारा सुविधा शुल्क के नाम पर कहा गया कि सम्पूर्म ऋण राशि रुपए तीन लाख का 10% कमीशन तीस हजार रुपया आप लाकर दीजिए तो उपरोक्त ऋण स्वीकृक किया जाएगा। परिवादी विपक्षीगण से काफी अनुनय विनय किया कि इतने पैसे नहीं हैं कहां से लाकर दूं। यह पैसा नहीं दे सकता हूँ। परिवादी द्वारा सुविधा शुल्क के रूप में पैसे देने से इन्कार किए जाने पर विपक्षीगण द्वारा बिना कारण बताए परिवादी को ऋण देने से अन्तिम रूप से मना कर दिया गया। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को शारीरिक, मानसिक व व्यावसायिक नुकसान हुआ है। अतः याची को 5,00,000/- रुपए का एवार्ड विपक्षीगण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में दिलायी जाए जिससे याची के शारीरिक, मानसिक व व्यावसायिक क्षति की आपूर्ति हो सके।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1ता5/3 शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक को दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति जिसमें बैंक द्वारा यह कहा गया है कि आप लेखपाल द्वारा जारी एवं संलग्न नक्शा नजरी को प्रमाणित करने का कष्ट करें, की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 नक्शा नजरी की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 आराजी का सम्पूर्ण नक्शे की छायाप्रति, कागज संख्या 5/6 नोटेरियल घोषणा की छायाप्रति, कागज संख्या 5/10ता5/12 भूमि के मूल्यांकन की रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज सख्या 5/13 वैल्यूएशन रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/19 व 5/20 परिवादी के अधिवक्ता ने जो रजिस्ट्री दफ्तर में जो मुआयना किया है उसके सन्दर्भ में रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/21 तथा कागज संख्या 5/22 मेमोरण्डम ऑफ डिपॉजिटऑफ टाइटिल प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 24क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवादी को विपक्षीगण के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं था। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी संख्या 01 ने माह सितम्बर, 2010 के तीसरे सप्ताह में काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा ब्रह्मस्थान जिला आजमगढ़ में शाखा प्रबन्धक का कार्यभार ग्रहण किया एवं उस समय विपक्षी संख्या 02 काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा ब्रह्मस्थान जिला आजमगढ़ में ही अधिकारी के पद पर
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कार्यरत थे। इसी बीच परिवादी की साख का जब पता लगाया गया तो यह पाया गया कि उसने बैंक का पंजीयन साख रैदोपुर आजमगढ़ से अपने फर्म मेसर्स पालीवाल फ्रूट कम्पनी के नाम से दिनांक 12.02.2003 को रुपए 3,00,000/- मात्र लिया था। जिसका भुगतान उसने आजतक नहीं किया है। दिनांक 14.02.2005 को परिवादी ने काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा चौक आजमगढ़ से 2,00,000/- रुपए ऋण लिया, जिसे उसने वापस नहीं किया। परिवादी ने दिनांक 09.05.2005 को उसी बैंक से 1,00,000/- रुपए का ऋण सुविधा लिया, लेकिन उसने उसे भी अदा नहीं किया। दिनांक 10.10.2005 को 1,30,000/- रुपए परिवादी ने काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा चौक आजमगढ़ से ऋण प्राप्त किया था जिसका भी उसने भुगतान नहीं किया। परिवादी यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा अनवरगंज जिला आजमगढ़ से अपनी प्रोप्रायटरशिप फर्म के लिए दिनांक 23.12.2009 को 5,00,000/- रुपए ऋण लिया था जिसका वह भुगतान नहीं कर रहा है। परिवादी की उपरोक्त खराब साख को देखते हुए उसे ऋण प्रदान नहीं किया। परिवादी द्वारा गलत आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी की अनुपस्थिति में विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी ने राघवेन्द्र राय, द्वारा शाखा प्रबन्धक व अशोक कुमार गुप्ता, द्वारा ऋण अधिकारी के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने काशी गोमती ग्रामीण बैंक शाखा ब्रह्मस्थान आजमगढ़ के विरुद्ध यह परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 08.03.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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