सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता आयोग, फिरेाजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 57/2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.11.2016 के विरूद्ध)
अपील संख्या 09 सन 2017
सूरज आइस एण्ड प्रजर्वेशन (शीतगृह) प्रा0लि0 निकट जनू बाबा, मैनपुरी रोड, शिकोहाबाद, कस्बा शिकोहाबाद, जनपद फिरोजाबाद द्वारा मालिक/प्रबन्धक ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
रघुवीर सिंह पुत्र श्री रोहन सिंह, निवासी रेलवे कालोनी के सामने, तहसील, थाना/पोस्ट/कस्बा शिकोहाबाद, जिला शिकोहाबाद ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य ।
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री आर0डी0 क्रांति।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री विनय प्रताप सिंह ।
दिनांक:-02-02-21
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 57/2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.11.2016 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं परिवादी द्वारा विपक्षी के शीतगृह में 293 पैकिट छट्टा व गुल्ला आलू रसीद संख्या 361 व 362 के अ अन्तर्गत दिनांक 05.04.2015 को रखा गया था। उस समय आलू का बाजारू भाव 450/- रूपए प्रति पैकिट था। जिसकी कुल कीमत 1,31,450.00 रू0 थी । विपक्षी द्वारा परिवादी को आलू रखने का खर्चा व कोल्ड स्टोरेज का किराया 29,300.00 रू0 बताया गया था। परिवादी जब विपक्षी के यहां अपना आलू उठाने हेतु गया तो विपक्षी ने परिवादी को बताया कि हमने तुम्हारा आलू जोकि उन्नत किस्म का था, अच्छी कीमत लेकर बेंच दिया है, उससे हमे काफी आर्थिक लाभ हुआ है। अब तुम्हारा कोई भी आलू कोल्ड स्टोरेज में नहीं है।
विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर परिवादपत्र के कथनों का खण्डन करते हुए उल्लिखित किया गया कि परिवादी की ओर से रसीद के अनुसार शीतगृह से आलू उठाने कोई नहीं आया । शीतगृह की सफाई व नया आलू रखने के लिए नवम्बर/दिसम्बर में शीतगृह की सफाई के समय परिवादी का आलू शीतगृह से निकालकर बाहर बरामदे में रख दिया गया था। परिवादी ने जिस पते से दावा दायर किया है उसका कोई आलू विपक्षी के भण्डारण में नहीं था । एक पते से आलू का भण्डारण एवं दूसरे पते से नोटिस देकर जानबूझ कर विपक्षी का ही उल्टा भण्डारण शुल्क 29300.00 रू0 एवं मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति का नुकसान किया गया है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित करते हुए कि परिवादी द्वारा विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में 1,31,450.00 रू0 मूल्य का आलू रखा था। इसके लिए आलू रखने का खर्चा व कोल्ड का किराया 29,300.00 रू0 था अत: आलू की कीमत से आलू रखने का खर्चा काटकर शेष धनराशि मु0 1,02,150.00 रू0 दिलाना न्यायोचित पाते हुए हेतु निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके आलू की कीमत मु0 1,02,150.00 रू0 मय ब्याज 07 प्रतिशत परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी तक इस निर्णय के तीस दिवस के भीतक अदा करे। इसके अतिरिक्त उक्त अवधि में विपक्षी परिवाद व्यय के रूप में 5000.00 रू0 एवं वाद व्यय के रूप में 5000.00 रू0 भी वादी को अदा करे। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील सूरज आइस एण्ड प्रजर्वेशन (शीतगृह) द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाए ।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के शीतगृह में 293 पैकिट आलू दिनांक 05.04.2015 को रखा गया था। उस समय आलू का बाजारू भाव 450/- रूपए प्रति पैकिट की दर से 1,31,450.00 रू0 था । विपक्षी द्वारा परिवादी को आलू रखने का खर्चा मु0 29,300.00 रू0 बताया गया था। परिवादी का कथन है कि जब विपक्षी के यहां वह अपना आलू उठाने हेतु गया तो पता चला कि विपक्षी ने उसके उन्नत किस्म के आलू को बिना बताए अच्छी कीमत लेकर बेंच दिया है और समस्त धन हडप लिया। जबकि विपक्षी की ओर से उल्लिखित किया गया है कि रसीद के अनुसार शीतगृह से आलू उठाने कोई नहीं आया । शीतगृह की सफाई व नया आलू रखने के लिए शीतगृह की सफाई के समय परिवादी का आलू शीतगृह से बाहर बरामदे में रख दिया गया जो सड़ गया परिवादी ने एक पते से आलू का भण्डारण एवं दूसरे पते से नोटिस देकर जानबूझ कर विपक्षी का ही उल्टा भण्डारण शुल्क 29300.00 रू0 एवं मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति का नुकसान किया गया है।
पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे यह परिलक्षित हो कि विपक्षी/अपीलार्थी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू की निकासी, उसके खराब होने अथवा उसे बेंचने संबंधी कोई सूचना परिवादी को दी हो। परिवादी को उसके आलू के बावत सूचना तब प्राप्त हुयी जब वह अपना आलू शीतगृह से लेने गया। इस संबंध में अपीलार्थी को विधिक नोटिस भी दी गयी है । अपीलार्थी द्वारा आलू का मूल्य प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने का भी कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में आलू की कीमत से भण्डारण शुल्क काटकर शेष धनराशि जिस ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ देने के सम्बन्ध में विवेच्य निर्णय पारित किया है, वह विधिसम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
परिणामत:, प्रस्तुत अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाएगी ।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्धन यादव)
सदस्य सदस्य
सुबोल
कोर्ट नं0-1