(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-855/2010
अंथेटिक डिजाइनर्स बनाम मैसर्स रघुराजी एग्रो इण्डस्ट्रीज (पी) लि0
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 03.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-02/2009, मैसर्स रघुराजी एग्रो इंडस्ट्रीज (पी) लि0 बनाम अथेंटिक डिजाइनर्स में विद्वान जिला आयोग, अम्बेडकर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.4.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.एस. बिसारिया तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रशान्त कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा क्रय की गई मशीन को परिवर्तित करने, अन्यथा परिवादी द्वारा अदा की गई कीमत अंकन 1,45,600/-रू0 10 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश पारित किया है साथ ही क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 3,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में स्थापित करने के लिए प्रश्नगत मशीन दिनांक 13.2.2008 को क्रय की गई और एक सप्ताह के बाद ही यह मशीन खराब रहने लगी, जिसके बारे में विपक्षी को सूचित किया गया, परन्तु मशीन दुरूस्त नहीं की गई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी का कथन है कि मशीन व्यापारिक उद्देश्य के लिए क्रय की गई थी, जिसकी वारण्टी दिनांक 28.5.2008 को समाप्त हो चुकी थी। दिनांक
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27.6.2008 को मशीन का निरीक्षण किया गया तब मशीन को चालू करवाया गया। परिवादी पर अंकन 82,460/-रू0 बकाया हैं, जिसका भुगतान नहीं किया गया, इसी भुगतान से बचने के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
5. दोनों पक्षों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया है।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यह मशीन व्यापारिक उद्देश्य के लिए क्रय की गई थी, स्वंय परिवाद पत्र में इसका उल्लेख है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान के लिए इस मशीन का क्रय किया गया है। विपक्षी से संविदा के भंग की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए वाद सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। परिवादी उपभोक्ता नहीं माना जा सकता, इसी आशय का निर्णय/आदेश इस पीठ द्वारा अपील सं0-854/2010 में दिया गया है, जिसकी प्रतिलिपि प्रस्तुत की गई है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है तथा उपभोक्ता वाद न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है। यद्यपि परिवादी को यह अधिकार प्राप्त रहेगा कि वह सक्षम न्यायालय से वांछित अनुतोष की मांग कर सके।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2