राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1907/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 44/2015 में पारित आदेश दिनांक 30.08.2016 के विरूद्ध)
M/s Adhait Ice & Cold Storage Pvt. Ltd. Situated Vill-Adhait, Po-Pachokhara, The-Toondala, District-Firozabad. .................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Shri Raghuraj Singh Son of Late Shri Pratap Singh Resident-Village-Chikau, Po-Jaarkhi, The-Toondala, District-Firozabad. .................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
3. माननीय श्री विजय वर्मा, सदस्य।
4. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 08.02.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-44/2015 श्री रघुराज सिंह बनाम मै. अधैत आइस एण्ड कोल्डस्टोरेज प्रा0लि0 में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 30.08.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को प्रश्नगत आलू की कीमत मु0 3,09,100/-रू0 का भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 5,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 3,000/-रू0 का भुगतान विपक्षी, परिवादी को करें। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे।''
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी मै. अधैत आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है। हमने अपीलार्थी के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि
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उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दिनांक 10.03.2014 को 243 बोरी और दिनांक 11.03.2014 को 38 बोरी आलू के बीज रखा था। कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा 90/-रू0 प्रति बोरी तय किया गया था और प्रत्येक बोरी में आलू का वजन 59 किलोग्राम था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के आलू के बीज का प्रति बोरी मूल्य 1700/-रू0 था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 20.10.2014 को जब वह अपना आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज लेने गया तो उससे कहा गया कि अभी भीड़ चल रही है बाद में अपना आलू का बीज ले जाना। अत: वह दिनांक 29.10.2014 को कोल्ड स्टोरेज अपना बीज लेने गया तब अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज के कर्मचारियों ने कहा कि उसका आलू का कोई बीज कोल्ड स्टोरेज में नहीं है और उन्होंने उसे उसका आलू देने से इंकार कर दिया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज ने प्रत्यर्थी/परिवादी के 281 बोरे आलू के बीज वापस नहीं किए। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा 281 बोरी आलू अपने कोल्ड स्टोरेज में रखा जाना स्वीकार किया है, परन्तु उसने
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कहा है कि कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा 90/-रू0 प्रति बोरी नहीं वरन् 95/-रू0 प्रति बोरी था और प्रत्यर्थी/परिवादी ने आलू का प्रति बोरी मूल्य जो 1700/-रू0 बताया है वह बहुत अधिक है। उसके आलू की बाजारू कीमत अन्त में बिक्री के लिए 100-260/-रू0 प्रति बोरी के मध्य थी।
अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन में कहा है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने दिनांक 01.11.2014 और दिनांक 08.11.2014 को नोटिस व प्रत्यर्थी/परिवादी की नोटिस का जवाब भेजकर प्रत्यर्थी/परिवादी को अवगत कराया था कि चार दिन के अन्दर कोल्ड स्टोरेज की देय धनराशि 4,03,601/-रू0 तथा ब्याज का भुगतान कर वह अपना आलू निकाल ले अन्यथा आलू मण्डी बाजार भाव से बेचकर धनराशि खाते में जमा कर दी जाएगी। उसके बाद पुन: दिनांक 13.11.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला उद्यान अधिकारी फिरोजाबाद के माध्यम से प्रत्यर्थी/परिवादी को पत्र भेजा कि तीन दिन के अन्दर अपना भण्डारित आलू निकाल ले समय समाप्त हो रहा है। फिर भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने आलू नहीं निकाला। अत: दिनांक 19.11.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी ने आम सूचना दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला में प्रकाशित कराया। फिर भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने आलू नहीं निकाला। तब दिनांक 28.11.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू 51,543/-रू0 में कमला एण्ड कम्पनी एटा रोड टूण्डला फिरोजाबाद को बिक्री किया और प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में जमा कर दिया। इस प्रकार
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अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है और प्रत्यर्थी/परिवादी ने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष अंकित किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का भण्डारित 281 बोरी आलू उसे वापस नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी भण्डारित आलू का मूल्य प्रत्यर्थी/परिवादी को देने हेतु उत्तरदायी है। जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो भण्डारित आलू का मूल्य 1700/-रू0 प्रति पैकेट बताया है वह अधिक है। जिला फोरम ने भण्डारित आलू का मूल्य प्रति पैकेट 1100/-रू0 निर्धारित किया है और तदनुसार 281 पैकेट आलू का मूल्य 3,09,100/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है और आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है। जिला फोरम ने जो 1100/-रू0 प्रति बोरी आलू का मूल्य निर्धारित किया है वह बहुत अधिक है। एक बोरी में 50 किलोग्राम आलू होता है, जो सूखकर 40 किलोग्राम ही शेष बचता है। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी के भण्डारित आलू का जो मूल्य निर्धारित करते हुए उसकी अदायगी हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है, वह बहुत अधिक और आधार रहित है।
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अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने कोल्ड स्टोरेज के भण्डारण का भाड़ा दिए बिना प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू का मूल्य वापस करने हेतु आदेशित किया है, जो उचित नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी से आलू भण्डारण का भाड़ा पाने का अधिकारी है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से एडवांस धनराशि 19,500/-रू0 दिनांक 08.03.2014 को, 20,000/-रू0 दिनांक 24.03.2014 को और 3,00,000/-रू0 दिनांक 30.03.2014 को अपने भण्डारित आलू के विरूद्ध लिया है और अपीलार्थी/विपक्षी से ली गयी धनराशि की देनदारी से बचने के लिए उसने स्वयं भण्डारित आलू अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बार-बार नोटिस देने के बाद भी नहीं निकाला है। अत: विवश होकर अपीलार्थी/विपक्षी ने आलू की बिक्री की है और प्राप्त धनराशि उसके खाते में जमा कर दिया है। अपीलार्थी/विपक्षी की अवशेष धनराशि अभी भी प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा बाकी है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी की बकाया धनराशि से बचने के लिए झूठे कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है। जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार कर गलती की है। अत: जिला फोरम का निर्णय निरस्त किए जाने योग्य है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि स्वयं अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को उसका भण्डारित आलू वापस नहीं किया गया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जो उपरोक्त एडवांस धनराशि भण्डारित आलू के सम्बन्ध में लिया जाना बताया है, वह बिल्कुल गलत और निराधार है। प्रत्यर्थी/परिवादी अपना आलू समयावधि पूरी होने पर लेने गया है, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे उसका भण्डारित आलू नहीं दिया है और अपीलार्थी/विपक्षी ने आलू का निस्तारण विधि विरूद्ध ढंग से स्वयं किया है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष के अभिकथन से यह स्पष्ट है कि यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में मार्च सन् 2014 में 281 बोरी आलू भण्डारित किया है। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार कोल्ड स्टोरेज में आलू भण्डारण का भाड़ा 90/-रू0 प्रति बोरी था, जबकि अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार यह भाड़ा 95/-रू0 प्रति बोरी था। अत: भाड़े के सम्बन्ध में भी कोई बहुत अन्तर नहीं है। मेरी राय में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित
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भाड़ा 90/-रू0 प्रति बोरी को ही मान्यता प्रदान किया जाना उचित है।
उभय पक्ष के अभिकथन से यह भी स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू उसे वापस नहीं मिला है। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार वह अपना आलू दिनांक 20.10.2014 को लेने गया तो अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों ने उसे बाद में आने को कहा और जब वह दिनांक 29.10.2014 को पुन: आलू लेने गया तो अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों ने आलू देने से इंकार कर दिया। तब उसने दिनांक 30.10.2014 को अधिवक्ता के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस भेजा। अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिनांक 01.11.2014 और दिनांक 08.11.2014 को नोटिस प्रत्यर्थी/परिवादी की नोटिस दिनांक 30.10.2014 के बाद भेजना बताया गया है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि स्वयं अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन से यह स्पष्ट है कि उसने प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू कमला एण्ड कम्पनी एटा रोड टूण्डला फिरोजाबाद को बिक्री किया है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आलू की बिक्री उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियम अधिनियम 1976 की धारा-17 के प्राविधान का पालन कर सार्वजनिक नीलामी के द्वारा जिला उद्यान अधिकारी को पूर्व सूचना देकर नहीं की गयी है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी के आलू के निस्तारण में नियम का पालन नहीं किया है और सेवा में त्रुटि की है। अत:
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अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आलू के कथित बिक्री मूल्य 51,543/-रू0 को मान्यता नहीं प्रदान की जा सकती है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रति बोरी आलू का वजन 59 किलोग्राम बताया गया है, जबकि अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार प्रति बोरी आलू का वजन 50 किलोग्राम था, जो अन्त में सूखकर 40 किलोग्राम हो गया है। उभय पक्ष के अभिकथन को दृष्टिगत रखते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि प्रति बोरी आलू का वजन 50 किलोग्राम निर्धारित किया जाना उचित है।
जिला फोरम ने आलू का मूल्य 1100/-रू0 प्रति बोरी निर्धारित किया है, जो अधिक प्रतीत होता है। अपील संख्या-444/2017 शिवराम चन्द्र जगन्नाथ कोल्ड स्टोरेज बनाम रतिभान यादव व एक अन्य में इस आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनांक 24.01.2018 में सम्बन्धित वाद में वर्ष 2015 में जिला फोरम द्वारा निर्धारित आलू के मूल्य 10/-रू0 प्रति किलोग्राम को मान्यता प्रदान की गयी है। अत: जिला फोरम द्वारा निर्धारित उपरोक्त मूल्य को संशोधित कर आलू का मूल्य 1100/-रू0 प्रति कुन्टल निर्धारित किया जाना उचित और आधार युक्त है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के भण्डारित 281 बोरी आलू का मूल्य 1,54,550/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है। अत: जिला फोरम का निर्णय तदनुसार संशोधित किए जाने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षी ऐसा कोई साक्ष्य या अभिलेख दर्शित नहीं कर सका है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि उसने प्रत्यर्थी/परिवादी को कथित एडवांस धनराशि भण्डारित आलू के
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सम्बन्ध में दी है। अत: भण्डारित आलू के मूल्य में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कथित एडवांस की धनराशि का समायोजन उचित नहीं प्रतीत होता है। उचित यह प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कथित एडवांस की धनराशि के सम्बन्ध में इस अपील में कोई निर्णय किए बिना अपीलार्थी/विपक्षी को यह छूट दी जाए कि वह इस धनराशि के सम्बन्ध में विधि के अनुसार कार्यवाही सक्षम न्यायालय के समक्ष करने हेतु स्वतंत्र है।
281 बोरी भण्डारित आलू के मूल्य 1,54,550/-रू0 से आलू भण्डारण का किराया 25,290/-रू0 काटकर शेष धनराशि 1,29,260/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित और न्यायसंगत है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित कर प्रत्यर्थी/परिवादी को भण्डारित आलू के मूल्य से कोल्ड स्टोरेज के भण्डारण का किराया काटकर शेष धनराशि 1,29,260/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाना उचित है। वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति और 3000/-रू0 वाद व्यय दिलाया है, वह उचित प्रतीत होता है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
आलू के मूल्य पर जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई ब्याज नहीं दिया है और प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के निर्णय
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के विरूद्ध अपील नहीं प्रस्तुत की है। अत: आलू के उपरोक्त मूल्य पर प्रत्यर्थी/परिवादी को इस स्तर पर कोई ब्याज दिया जाना विधिसम्मत नहीं दिखता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू की कीमत 1,29,260/-रू0 अदा करे। इसके साथ ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति 5000/-रू0 और वाद व्यय हेतु 3000/-रू0 की धनराशि भी अदा करे।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (संजय कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
(विजय वर्मा) (गोवर्धन यादव)
सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1