राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :608/1999
(जिला मंच, दितीय लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-504/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.02.1999 के विरूद्ध)
Sahara India Housing Ltd. Through its Company Secretary, Sahara Sahar, Gomti Nagar, Lucknow.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
Raghunath Misra H/No. 539 K/206 Hari Nagar, Faizabad Road, Lucknow-16.
……..…. Respondent/Complainant.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री आर0के0 गुप्ता
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :05-01-2017
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-504/1997 रघुनाथ मिश्रा बनाम सहारा इण्डिया में जिला मंच, दितीय लखनऊ द्वारा दिनांक 03.2.1999 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को एक माह में प्रश्नगत स्थान पर वास्तविक कब्जा दे दें तथा 166725.00 रूपये पर 01.01.97 से कब्जा देने की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज, तथा 24527.00 रूपये व उस पर जमा करने की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज व 5000.00 रूपये क्षतिपूर्ति व 2000.00 रूपये वाद व्यय के अदा कर दें। एक माह में कब्जा न देने पर ब्याज के अतिरिक्त 50.00 रूपये प्रतिदिन क्षतिपूर्ति, तथा उपरोक्त देय धनराशि न देने पर 02 प्रतिशत मासिक ब्याज देय होगा।"
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली के परिशीलन से
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प्रकट होता है कि प्रत्यर्थी की ओर से विद्वारा अधिवक्ता श्री शैलेश कुमार द्वारा प्रत्यर्थी का शपथपत्र वर्तमान अपील में प्रस्तुत किया है एवं प्रत्यर्थी को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस निर्गत होना भी पाया जाता है और इस प्रकार प्रत्यर्थी पर सूचना पर्याप्त स्वीकार की गई है। यह अपील वर्ष-1999 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान प्रकरण में प्रत्यर्थी को कब्जा दिये जाने हेतु आदेशित किया गया है और कब्जा उपलब्ध भी करा दिया गया है और इस संदर्भ में पॅजेशन लेटर (Possession Letter) की फोटो प्रति भी प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान प्रकरण में कब्जा दिये जाने के अतिरिक्त जो आदेश पारित है, वह प्रत्यर्थी को कब्जा उपलब्ध कराये जाने के कारण अब अपास्त किये जाने योग्य है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क में बल पाया जाता है, अत: प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए प्रश्नगत आदेश के इस अंश "विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को एक माह में प्रश्नगत स्थान पर वास्तविक कब्जा दे दें" के अतिरिक्त जो आदेश पारित है, वह अपास्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, दितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-504/1997 रघुनाथ मिश्रा बनाम सहारा इण्डिया में पारित आदेश दिनांक 03.2.1999 के इस अंश "विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को एक माह में प्रश्नगत स्थान पर वास्तविक कब्जा दे दें" के अतिरिक्त जो आदेश पारित है, वह अपास्त किया जाता है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2