(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1111/2004
स्टेट बैंक आफ इण्डिया बनाम रघु नाथ पुत्र श्री छोटे लाल
दिनांक : 13.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-292/2002, रघुनाथ बनाम एसबीआई में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय दिनांक 1.5.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद द्विवेदी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी को पंजीकृत डाक से भेजी गई नोटिस के बावजूद प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक की शाखा में संचालित खाते में अंकन 6,931/-रू0 की राशि का एक चेक भुगतान हेतु प्रस्तुत किया गया था, परन्तु बैंक के स्तर से चेक की राशि संकलित करते हुए परिवादी के खाते में जमा नहीं की गई, इसलिए परिवादी के पक्ष में विद्वान जिला आयोग ने अंकन 6,931/-रू0 6 प्रतिशत ब्याज के साथ धनराशि अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चेक क्लीयरेंस के लिए प्रेषित किया गया था, परन्तु प्रेषिति में चेक गुम हो गया, इसलिए चेक में वर्णित राशि संकलित नहीं की जा सकी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि दिनांक 5.2.2001 को सूचना भेजी गई, परन्तु परिवादी के कथनानुसार दिनांक 5.5.2000 को चेक जमा किया गया था और इसके बाद बैंक से प्रार्थना की गई। बैंक द्वारा चेक गुम होने तथा औपचारिकताएं पूर्ण करने का कथन किया गया। औपचारिकताएं भी पूर्ण कर दी गई और दिनांक 10.8.2000 को दूसरा चेक प्रस्तुत कर दिया गया, परन्तु इस चेक की राशि भी जमा नहीं की गई, इसलिए जिस सूचना का कथन अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा किया जा रहा है, जिसकी प्रति इस पीठ की पत्रावली में मौजूद नहीं है, की सुसंगता असत्य हो जाती है। अत: बैंक के स्तर से कारित लापरवाही प्रथमदृष्टया ही साबित है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2