Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/1224

Canara Bank - Complainant(s)

Versus

Radhu Nath Prasad Gupta - Opp.Party(s)

S K Sinha

16 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/1224
( Date of Filing : 17 May 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Canara Bank
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Radhu Nath Prasad Gupta
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 16 May 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1224/2002

केनरा बैंक, अमरोहा शाखा, 3-बाजार बसावन गंज, अमरोहा, ज्‍योतिबा फूले नगर द्वारा शाखा प्रबन्‍धक।

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

श्री रघुनाथ प्रसाद गुप्‍ता पुत्र श्री गंगा प्रसाद गुप्‍ता, निवासी बाजारबसावन गंज बिल्डिंग, अमरोहा, ज्‍योतिबा फूले नगर।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री वी0पी0 शर्मा

दिनांक :- 16.5.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, ज्‍योतिबा फूले नगर द्वारा परिवाद सं0-130/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.4.2002 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से 3,00,000.00 रू0 का ऋण लेकर एक भवन का निर्माण कराया, जिसका अनुबन्‍ध दिनांक 16.10.1991 को पक्षकारों के मध्‍य हुआ, जिसके अन्‍तर्गत 2900 वर्गफिट का निर्माण हुआ और 5,650.00 रू0 प्रतिमाह की दर से किराये पर दिया गया एवं यह अनुबन्‍ध दिनांक 01.7.1987 से 10 वर्ष के लिए हुआ था, जो बाद में आपसी सहमति से पॉच वर्ष के लिए नवीनीकरण होने योग्‍य था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा तीन लाख रूपये अपीलार्थी/विपक्षी से लिए गये एवं आपस में यह सहमति हुई कि ब्‍याज रिजर्व बैंक आफे इण्डिया की समय-समय की दर से

-2-

लागू होगा एवं खाता देखने पर ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षी ने अनुचित चार्ज किया है। ब्‍याज 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से चार्ज होना था, जो रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के गाइड लाईन दिनांक 18.4.1991 के अनुसार गलत है। इस तरह अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के आदेशों के विरूद्ध चार्ज करके सेवाओं में कमी की गई तथा मानसिक क्षति पहुंचायी गई, अत्एव क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध अधिक चार्ज की गई धनराशि को मय ब्‍याज के वापस दिलाये जाने तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख संस्थित किया गया।  

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोई वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। परिवाद गलत एवं असत्‍य तथ्‍यों के आधार पर प्रस्‍तुत किया गया है तथा जिला फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। परिवाद समय-सीमा से बाधित है एवं खण्डित होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ''परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण, परिवादी से अवैधानिक रूप से वसूली गई 2,22,364.00 रू0 (दो लाख बाईस हजार तीन सौ चौसठ रूपये) की धनराशि एवं उस पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से अगस्‍त 94 से भुगतान की तिथि तक परिवादी को अदा करें। आदेशों का पालन अन्‍दर तीस दिनों में किया जाए।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

-3-

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विगत लगभग 21 वर्षों से लम्बित है। पिछले कई वर्षों से किसी न किसी कारण अथवा स्‍थगन प्रार्थना पत्र पर स्‍थगित की जाती रही है। अपीलार्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है, जबकि अपीलार्थी की ओर से अधिवक्‍ता श्री एस0के0 सिन्‍हा उपस्थित हो चुके है। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0पी0 शर्मा के तर्कों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि मेरे द्वारा नहीं पाई गई है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                             (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)    

                                     अध्‍यक्ष                            

हरीश सिंह,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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