Uttar Pradesh

StateCommission

A/1745/2015

Poorvanchal Vidyut vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Radhey Shyam - Opp.Party(s)

Mohan Agarwal

10 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1745/2015
( Date of Filing : 28 Aug 2015 )
(Arisen out of Order Dated 25/07/2015 in Case No. C/06/2014 of District Varanasi)
 
1. Poorvanchal Vidyut vitran Nigam Ltd
D.L.W. Bhikharipur Varansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Radhey Shyam
House No. D-17/146 Mohalla Dashashwamedh Varansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Aug 2021
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या 06 सन 2014 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.07.2015 के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या 1745  सन 2015

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर, डी0एल0डब्‍लू, भिखारीपुर, वाराणसी एवं अन्‍य ।

                                                  .......अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थी

-बनाम-

राधेश्‍याम पुत्र श्री हरिसाव निवासी मकान नम्‍बर डी-17/146 मोहल्‍ला दशाश्‍वमेध वाराणसी ।

. .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

 

समक्ष:-

मा0   श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य ।

मा0    श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री मोहन अग्रवाल।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री अभिषेक सिंह ।

 

दिनांक:-24-08-21

 

श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

 

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या 06 सन 2014 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.07.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत कनेक्‍शन संख्‍या 295121 व खाता संख्‍या 1087521 का धारक है। परिवादी के भवन में भूतल पर नवनिर्मित दुकानें हैं जिसमें सभी किराएदार अपने नाम से विद्युत कनेक्‍शन लेकर विद्युत बिल की अदायगी सवयं करते हैं। परिवादी के मकान के प्रथम व द्वितीय तल पर स्थित सात कमरों में परिवादी का परिवार रहता है तथा सात अन्‍य कमरों में परिवादी तीर्थयात्रियों की सेवा भावना से एक धर्मशाला प्रकाश गेस्‍ट हाउस चलाता है जिसके लिए नाममात्र की सहयोग राशि लेता है। परिवादी ने अपने परिसर में स्थित विद्युत का स्‍वयं ही सात किलोवाट लोड बढवाया और उसके अनुसार आए बिलों का नियमित रूप से भुगतान करता रहा । दिनांक 06.7.11 को परिवादी का  पुराना मीटर बदलकर नया विद्युत मीटर नम्‍बर 5242 उक्‍त कनेक्‍शन पर लगाया गया और परिवादी द्वारा मीटर रीडिंग के पश्‍चात भेजे गए मु0 1,32,200.00 रू0 का भुगतान किया। उसके बाद उसे विभिन्‍न तिथियों के 1,27,242.00 रू0 के गलत बिल भेजे गए तथा उसके द्वारा पूर्व में जमा की गयी धनराशि मु0 1,32,200.00 रू0 का समायोजन भी बिलों में न करने से क्षुब्‍ध होकर जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया गया ।

      विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्‍तर प्रस्‍तुत कर उल्लिखित किया गया कि परिवादी का पूर्व में दो किलोवाट का कनेक्‍शन था । दिनांक 25.08.2010 को इलेक्‍ट्रानिक मीटर लगाया गया । पुराने मीटर पर 5767  यूनिट मीटर रीडिंग थी और दिनांक 21.01.2013 को 54,251.00 रू0 बिल था। जो दिनांक 31.12.2013 को मु0 2,64,383.00 रू0 का हो गया । वर्तमान समय में परिवादी पर मु0 2,95,418.00 रू0 बिल हो गया है। विपक्षी/अपीलार्थी का यह भी कथन है कि बिद्युत बिल का मुकदमा फोरम द्वारा नहीं देखा जाएगा ।

      जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित करते हुए विद्युत विभाग द्वारा मनमाने तरीके से विद्युत बिल का प्रेषण किया जा रहा है। विपक्षी के अनुसार दिनांक 13.12.13 को परिवादी के ऊपर विद्युत बिल का 1,27,242.00 रू0 बकाया था1 दिनांक 27.12.2013 को मु0 54,251.00 रू0 बकाया दिखाया गया तथा दिनांक 29.11.2013 को 24,313.00 रू0 कर दिया गया । विद्युत विभाग द्वारा 4 दिन के अन्‍दर ही 72,992.00 रू0 की बढोत्‍तरी कर दी गयी है, जो उचित नही है, निम्‍न आदेश पारित किया :-

      '' परिवादी राधेश्‍याम का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी यदि आज की तारीख से दो माह के अन्‍तर्गत मु0 75000.00 रू0 अदा करता है अथवा न्‍यायालय में जमा करता है जो विद्युत विभाग को देय तो विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि परिवादी के कनेक्‍शन नं0 295121 जो उसके मकान नम्‍बर डी-17/146 मोहल्‍ला दशाश्‍वमेध शहर वाराणसी में है, उसमें आज की तिथि के पूर्व का समस्‍त बकाया मु0 2,95,418.00 रू0 आंशिक जमा व समाप्‍त माना जाएगा। इसकी प्रविष्टि विपक्षीगण अपने अभिलेख में कर लेगें। विपक्षी भविष्‍य का विद्युत बिल मीटर रीडिंग के अनुसार भेजेगें जिसकों परिवादी जमा करता रहेगा। न्‍यायालय की अनुमति के बिना विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदन नहीं करेगें। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य अनुतोष परिवादी का खारिज किया जाता है। ''

      उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा योजित की गयी है।

      अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाए ।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

हमने के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया। प्रस्‍तुत मामला विद्युत देय से संबंधित है। परिवादी द्वारा अपने परिसर में लगे पूर्व मीटर के अनुसार बिलों की अदायगी की गयी है। बाद में परिवादी के परिसर में दूसरा मीटर लगा दिया गया और उसे अधिक धनराशि के बिल भेजे गए तथा उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि का समायोजन भी बिलों में नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा स्‍वेच्‍छा से अपने मीटर का लोड भी बढवाया है। उसे चोरी करता हुआ नहीं पाया गया है।

      पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्‍चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्‍यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्‍नगत परिवाद में विवेच्‍य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्‍मत है एवं उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

      तद्नुसार, प्रस्‍तुत अपील किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      धारा 15, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाएगी ।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(गोवर्धन यादव)                                     (विकास सक्‍सेना)

    सदस्‍य                                               सदस्‍य

 

  सुबोल श्रीवास्‍तव

 पी0ए0(कोर्ट नं0-2)

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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