Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/596

Railway Consumer Co Oprative Society - Complainant(s)

Versus

Radhey Shyam Pandau - Opp.Party(s)

M H Khan

03 May 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/596
( Date of Filing : 20 Mar 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Railway Consumer Co Oprative Society
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Radhey Shyam Pandau
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 03 May 2019
Final Order / Judgement

 

मौखिक 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोंडा द्वारा परिवाद संख्‍या 132 सन 2005 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.02.2008  के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या 596 सन 2008

रेलवे कन्‍ज्‍यूमर कोआपरेटिव सोसाइटी (सहकारी गैस सर्विस) द्वारा एडमिनिस्‍ट्रेटिव आफीसर/अध्‍यक्ष एक्टिंग मैनेजर श्री अजय सिंह एवं सेक्रेटरी श्री राजेश सिंह पुत्रश्री जगदम्‍बा सिंह बादगांव जिला गोंडा ।

 

                                                .......अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थी

-बनाम-

राधेश्‍याम पाण्‍डेय पुत्र श्री दयाशंकर पाण्‍डेय, वर्तमान निवासी मोहल्‍ला गायत्रीपुरम पी0सी0एफ0 गोडाउन रोड निकट मजार सिविल लाइन्‍स, जिला गोंडा ।

 

. .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

 

मा0   श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री एम0एच0 खान ।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  कोई नहीं ।

 

दिनांक:-03.05.2019

 

 

श्री  उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन  सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

 

      प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोंडा द्वारा परिवाद संख्‍या 132 सन 2005 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.02.2008  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

      अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी को पंजीकृत डाक से नोटिस दिनांक 05.12.2018 को भेजी गयी। भेजी गयी नोटिस बिना तामील वापस प्राप्‍त नहीं हुयी, अत: प्रत्‍यर्थी पर नोटिस की तामीली पर्याप्‍त मानी जाती है।

      अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क सुने गए ।

      संक्षेप में, तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्‍ता है। परिवादी को दिनांक 27.09.2005 को विपक्षीगण द्वारा भरा गैस सिलेण्‍डर 298.89 रू0 में प्राप्‍त कराया गया जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार भरा गैस सिलेण्‍डर का मूल्‍य 290.89 रू0 ही है। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उससे गैस सिलेण्‍डर का 08.00 रू0 अधिक वसूल किया गया, अत: परिवादी ने अधिक अदा की गयी धनराशि एवं हर्जे खर्चे की अदायगी हेतु जिला मंच में परिवाद योजित किया।

      जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए परिवादी से अधिक वसूली गयी 08.00 रू0 की धनराशि तथा 5,000.00 रू0 मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट, 2000.00 रू0 वाद व्‍यय एवं 1,00,000.00 रू0 उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि कोष में एक माह में जमा करने का आदेश पारित किया। जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

      अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत मामले में परिवादी द्वारा अपने निवास स्‍थान पर गैस सिलेण्‍डर प्राप्‍त किया था, अपीलार्थी की गैस एजेंसी के गोदाम से गैस का सिलेण्‍डर प्राप्‍त नहीं किया था। निवास स्‍थान पर गैस के सिलेण्‍डर की आपूर्ति की स्थिति में गैस का मूल्‍य 298.80 रू0 था तथा गोदाम से गैस सिलेण्‍डर प्राप्‍त करने की स्थिति में सिलेण्‍डर की कीमत अपीलकर्ता के टेरेटरी आफीसर के निर्देशानुसार 290.89 रू0 लिया जाना था। इस संदर्भ में अपीलकर्ता ने अपील मेमो के साथ भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि0 के सर्कुलर नम्‍बर 03 (2005-06) दिनांक 01.05.2005 की प्रति प्रस्‍तुत की है जिसमें जनपद गोंडा के लिए गैस सिलेण्‍डर की रिफिल का मूल्‍य 298.89 रू0 निर्धारित है। प्रस्‍तुत  प्रकरण में गैस सिलेण्‍डर की आपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निवास पर की गयी है, अत: यह नहीं माना जा सकता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी से गैस सिलेण्‍डर के मूल्‍य का अधिक भुगतान प्राप्‍त किया गया।

      प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह भी विदित होता है कि जिला मंच द्वारा 08.00 रू0 मूल्‍य की वापसी के साथ साथ 05 हजार रू0 वतौर क्षतिपूर्ति, 02 हजार रू0 वाद व्‍यय एवं 01 लाख रू0 उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि कोष में जमा किए जाने हेतु आदेशित किया गया है। निर्विवाद रूप से उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम का उद्देश्‍य उपभोक्‍ताओं को शोषण से बचाना तथा उपभोक्‍ताओं के विरूद्ध सेवा में त्रुटि की स्थिति में उसे क्षतिपूर्ति कराना है, किंतु निश्चित रूप में इस अधिनियम का उद्देश्‍य परिवादी को लाभान्वित करना नहीं है।

      हमारे विचार से प्रस्‍तुत प्रकरण में जिला मंच द्वारा बिना पत्रावली का सम्‍यक परिशीलन किए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषफोरम,गोंडा द्वारा परिवाद संख्‍या 132 सन 2005 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.02.2008  खंडित करते हुए परिवाद भी निरस्‍त किया जाता है।

            उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्‍ययभार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         (गोवर्धन यादव)

  पीठासीन सदस्‍य                                                             सदस्‍य

    कोर्ट-2

 (S.K.Srivastav,PA)

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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