(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-776/2008
डिविजनल मैनेजर, बैंक आफ बड़ौदा तथा दो अन्य बनाम राधे रमन गुप्ता पुत्र स्व0 अक्षयबर राम
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 30.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-508/2005, राधेरमन गुप्ता बनाम मण्डलीय प्रबंधक, बैंक आफ बड़ौदा तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.1.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री राजीव जायसवाल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। नोटिस के बाजवूद प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-3 को निर्देशित किया है कि परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि में से जो कटौती क्रमश: 29,716/-रू0 एवं 34,508/-रू0 की गई है, को परिवादी के खाते में जमा करें तथा अनुसांगिक लाभ प्रदान करने के लिए भी आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि कोई भी अवैध कटौती नहीं की गई है। भारत सरकार द्वारा प्रदत्त योजना के अनुसार कटौती की गई है। चूंकि एफडीआर के कुल मूल्य की राशि अंकन 01 लाख रूपये से अधिक हो गई थी, इसलिए उपरोक्त एफडीआर पर अंकन 6,001/-रू0 की कटौती की गई। अपील के पैरा सं0-27 में स्वीकार किया गया है कि अंकन 7,989/-रू0 का भुगतान किया गया है और अंकन 26,519/-रू0 का भुगतान किया जाना है, इसके बाद उल्लेख किया गया कि अंकन 4,168/-रू0 का भुगतान अंकन 18,003/-रू0 में से किया जा चुका है और केवल अंकन 19,813/-रू0 का भुगतान किया जाना है। इस प्रकार कुल 40,354/-रू0 परिवादी को अदा किए जाएंगें। अत:
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इस प्रकार अपील के ज्ञापन में स्वीकार किया गया है कि उनके द्वारा परिवादी को धनराशि अदा की जानी है। यद्यपि यह धनराशि अंकन 40,354/-रू0 की सीमा तक सीमित की गई है।
4. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी की धनराशि के संबंध में यह निष्कर्ष दिया है कि कटौती करने का कोई अधिकार समामेलन के बाद बैंक को नहीं है, इसलिए कटौती का अधिकार साबित नहीं है। इस पीठ के मत में भी मर्जर होने के बाद बैंक को किसी प्रकार की कटौती का अधिकार नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने कटौती की गई राशि को भी वापस करने का आदेश पारित किया है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का आधार नहीं है, परन्तु कटौती करने के पश्चात यदि कोई राशि परिवादी को अदा की गई है और इस संबंध में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद है तब उस राशि का समायोजन किया जा सकता है। तदनुसार इस सीमा एवं निर्देश के साथ प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.01.2008 केवल इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग ने परिवादी को जिस राशि को अदा करने का आदेश दिया है, यदि उस राशि में से कोई राशि बैंक द्वारा परिवादी को उपलब्ध नहीं कराई गई है तब वह राशि समायोजित की जाएगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2