Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/926

Union of India - Complainant(s)

Versus

Radha Swami Satsang Bhawan - Opp.Party(s)

S R yadav

12 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/926
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Union of India
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित 

अपील संख्‍या 926/2007

 

(जिला मंच सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0 333/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 29/03/2007 के विरूद्ध)

                                                     

1- यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे, बड़ौदा हाउस, नई दिल्‍ली।

2- डिवीजनल रेलवे मैनेजर नार्दन रेलवे, अम्‍बाला कैण्‍ट।

3- चीफ रिजर्वेशन सुपरिटेण्‍डेन्‍ट, (सीआरएस) नार्दन रेलवे, सहारनपुर।

4- स्‍टेशन सुपरिटेण्‍डेन्‍ट, नार्दन रेलवे, सहारनपुर।

                                                   …अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

 

राधा स्‍वामी सत्‍संग भवन, सत्‍या नगर स्थित नालागढ़ अम्‍बाला रोड जगाधरी जिला यमुनानगर, हरियाणा द्वारा सचिव श्री गुरनाम दास पुत्र सकटूराम।

…प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

 

समक्ष:

       1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य।

  2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0आर0 यादव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : विद्वान अधिवक्‍ता श्री के0एन0 शुक्‍ला।

 

दिनांक :  30-12-2014   

मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

 

निर्णय

     अपीलकर्ता ने प्रस्‍तुत अपील परिवाद सं0 333/2004 राधा स्‍वामी सत्‍संग बनाम यूनियन आफ इंडिया, व अन्‍य जिला पीठ सहारनपुर के निर्णय/आदेश दिनांक 29/07/2007 से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें कि विद्वान जिला पीठ ने निम्‍नवत निर्णय/आदेश पारित किया है:-

     ‘’ परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को सेवा में कमी के मद में बतौर क्षतिपूर्ति 1,40,000/ रूपये तथा वाद व्‍यय के मद में 2,000/ रूपये अदा करे। उपरोक्‍त अवधि में अदायगी न करने पर विपक्षीगण द्वारा परिवादी को 1,40,000/ रूपये की राशि पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा।‘’

   

2

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि राधा स्‍वामी सत्‍संग संस्‍था द्वारा दिनांक 13/10/2004 से 17/10/2004 तक पटना जाने के लिए समयानुसार 02/08/2004 को ग्रुप बुकिंग कराने के लिए मण्‍डल वाणिज्‍य रेलवे अम्‍बाला छावनी को इस हेतु प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर उन्‍होंने अपनी स्‍वीकृति ग्रुप बुकिंग के लिए दी। उसी के अनुसार ग्रुप बुकिंग दिनांक 13/08/2004 को 70 व्‍यक्तियों जिसमें बड़े छोटे तथा स्‍त्री पुरूष शामिल थे का रिजर्वेशन कराया गया। सभी लोग निश्चित दिनांक को लगभग 09:00 बजे स्‍टेशन पर एकत्रित हो गये लेकिन रिजर्वेशन चार्ट में अपने नाम देखने पर काफी देखने के बाद भी उन्‍हें अपने नाम दिखाई नहीं दिये। ट्रेन सं0 2318 के बाहर लगी लिस्‍ट पर भी जब परिवादीगण ने अपने नाम देखने चाहे तो उसमें भी नाम नहीं थे और जिस सीटों के नंबर के रिजर्वेशन थे उन पर अन्‍य व्‍यक्तियों के नाम लिखे थे। इस पर परिवादीगण विपक्षी सं 04 से मिले तो उन्‍होंने कहा कि हमने सूचना दिल्‍ली भेज दी थी यह उनकी गलती है। विपक्षी सं03 व 4 ने आश्‍वासन दिया कि शीध्र ही पटना जाने के लिए डिब्‍बे का इंतजाम किया जा रहा है जो सहारनपुर में एकदम करना संभव नहीं है। मुरादाबाद में इस गाड़ी में डिब्‍बा लगवाने के लिए कह दिया है आप जनरल डिब्‍बा में चढ जाओ। जनरल डिब्‍बों में बैठने तक की जगह नहीं थी किन्‍तु फिर भी सब लोग जनरल डिब्‍बों में ही सवार हो गये। सहारनपुर रेलवे स्‍टेशन पर हाहाकार मची थी बच्‍चे घुटन व घबराहट के कारण रो रहे थे। मुरादाबाद पहुंचने पर अलग से डिब्‍बा लगाने के बारे में टीटी से बात की तो उसने कहा कि उन्‍हें ऐसी कोई सूचना नहीं है। जिसे सुनकर परिवादीगण को काफी दुख हुआ और जनरल डिब्‍बों में ही यात्रा करने के लिए बाध्‍य होना पड़ा जो विपक्षीगण की घोर लापरवाही के कारण हुआ और जिसके कारण परिवादीगण को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्‍ट झेलना पड़ा। अत: परिवादीगण ने यह अनुतोष चाहा है कि परिवादी को विपक्षीगण से क्षति के रूप में मु0 19,25,000/ रूपये, स्लिपर क्‍लास व जनरल क्‍लास के टिकटों के अंतर का मूल्‍य लगभग 10,000/ रूपये खर्चा, नोटिस व फीस अधिवक्‍ता मु0 6000/ रूपये विपक्षीगण से दिलाया जाय।

     विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से संयुक्‍त रूप से जो प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है उसमें मुख्‍यत: यह बताया गया कि टिकटों के मूल्‍य के अंतर के रिफण्‍ड हेतु जो याचना की गई है इसे देखते हुए फोरम के समक्ष वाद कानूनन पोषणीय नहीं है अगर परिवादी को कोई शिकायत इस संबंध में है तो केवल रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष ही क्‍लेम योजित कर सकता है।

    

3

      अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0आर0 यादव एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री के0एन0 शुक्‍ला के तर्कों को सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का अवलोकन किया ।

    अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि चूंकि प्रस्‍तुत प्रकरण में टिकटों के अंतर की धनराशि को वापस दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है। अत: इस संबंध में रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1-बी) के अंतर्गत यह परिवाद रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था, क्‍योंकि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को ऐसे प्रकरण को श्रवण करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है तथा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 के अंतर्गत प्रस्‍तुत प्रकरण में उपभोक्‍ता न्‍यायालय को श्रवण का क्षेत्राधिकार है।

     वर्णित परिस्थितयों में आरक्षित सीटें होने के बाद भी परिवादीगण को जनरल डिब्‍बों में यात्रा करने के लिए बाध्‍य होना पड़ा जिससे उन्‍हें शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट उठाना पड़ा । रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1-बी) के अंतर्गत इस प्रकार के प्रकरण को परिवादीगण द्वारा रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था, क्‍योंकि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्‍य न्‍यायालय को उसके श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है।

     अत: ऐसी परिस्थितियों में अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है एवं जिला पीठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

         अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0 333/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 29/03/2007  निरस्‍त किया जाता है। परिवादीगण अपने परिवाद/प्रत्‍यावेदन को रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा 13 (1-बी) के अंतर्गत प्रस्‍तुत कर सकता है, जो कि वर्णित परिस्थितियों में काल बाधित नहीं माना जायेगा।

         उभय पक्ष अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

         उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाय।

 

                                                  (अशोक कुमार चौधरी)

                                                                     पीठा0 सदस्‍य

 

                                                                             (संजय कुमार)

सुभाष चन्‍द्र आशु0 कोर्ट नं0 3                                                          सदस्‍य

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
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