Uttar Pradesh

StateCommission

A/1180/2019

Mahim Mittal Chartered Accountant - Complainant(s)

Versus

Radha Singh - Opp.Party(s)

S.K. Srivastava

15 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1180/2019
( Date of Filing : 03 Oct 2019 )
(Arisen out of Order Dated 10/03/2016 in Case No. C/117/2014 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Mahim Mittal Chartered Accountant
S/O Late K.C. Mittal R/O B-167 Sector 46 Noida Distt. Gautam Buddha Nagar Wrongly Arrayed as Mahim Mittal Consultant Golf Course Sahkari Avas Samiti Ltd D 162 Noida Gautam Buddha nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Radha Singh
W/O Sri A.N. Singh R/O B 160 Sector 44 Noida Gautam Buddha Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Mar 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1180/2019

महीम मित्‍तल, चार्टर्ड अकाउंटेंट पुत्र स्‍व0 श्री के0सी0 मित्‍तल, निवासी बी-167 सेक्‍टर-46 नोएडा जिला गौतम बुद्ध नगर को गलत तरीके से महिम मित्‍तल, सलाहकार गोल्‍फ कोर्स सहकारी आवास समिति लिमिटेड डी 162 नोएड गौतम बुद्ध नगर के रूप में दर्शाया गया है।

बनाम

1-    राधा सिंह पत्‍नी श्री ए0एन0 सिंह, निवासी बी 160, सेक्‍टर 22 नोएडा गौतम बुद्ध नगर।

2-   मेसर्स एडवांटेज इंजीनियर एण्‍ड डेवलपर्स प्रा0 लि0 डी 162, सेक्‍टर 10 नोएडा (परिसमापन के तहत) मा0 उच्‍च न्‍यायालय दिल्‍ली के आदेश से, आधिकारिक लिक्विडेटर के माध्‍यम से।

2-   गोल्‍फ कोर्स सहकारी समिति लिमिटेड, डी-162 सेक्‍टर 10 नोएडा गौतम बुद्ध नगर द्वारा अध्‍यक्ष/सचिव के माध्‍यम

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय

दिनांक :- 15.3.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-117/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.3.2016 के विरूद्ध अपीलार्थी/विपक्षी सं0-3 की ओर से योजित की गई है।

प्रस्‍तुत अपील अनेकों तिथियों पर सूचीबद्ध की जाती रही, तदोपरांत दिनांक 12.02.2020 को इस न्‍यायालय द्वारा निम्‍न अंतरिम आदेश पारित किया गया:-

 

-2-

Sri S K Srivastava, learned Counsel for the appellant appeared.

Sri Satya Prakash Pandey, learned Counsel for the respondent No.01 appeared.

None appeared for respondents No. 02 and 03.

Supplementary affidavit was filed on behalf of appellant in support of delay condonation application alongwith annexures.

Learned Counsel for the respondent No.01 prayed for time to file rejoinder affidavit.

Notices have not been issued to respondents No. 02 and 03.

Issue notice to respondents No. 02 and 03 also on delay condonation application

List on 11-05-2020 for hearing on delay condonation application.

Objection as well as rejoinder affidavit may be filed by date fixed.

Heard learned Counsel for the appellant as well as learned Counsel for respondent No.01 on application for interim relief.

Appellant has deposited Rs.25,000/- under Section-15 of the Consumer Protection Act 1986 in this appeal.

Considering all facts and circumstances of the case as well as submissions made by learned Counsel for the parties, it is provided that appellant shall deposit principal amount of Rs.10,00,000/- before District Consumer Forum. On deposit of said amount, the said amount shall be kept in F.D.R. of a Nationalized Bank and shall not be released to the respondent till further order.

On deposit of said amount before District Consumer Forum operation of the impugned judgment and order shall remain stayed against appellant only till date fixed.

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित हुए जिनके द्वारा उत्‍तर शपथपत्र व लिखित तर्क प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव द्वारा संक्षिप्‍त बहस में इस तथ्‍य को उल्लिखित किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा एक पक्षीय रूप से निर्णय पारित किया गया है अर्थात अपीलार्थी जो कि विपक्षी सं0-3 परिवाद में उल्लिखित था, को परिवाद के सम्‍बन्‍ध में कोई जानकारी

 

-3-

नहीं प्राप्‍त हुई तथा परिवाद निर्णीत होने के उपरांत जब वसूली की कार्यवाही प्रारम्‍भ हुई एवं इजराय वाद प्रस्‍तुत किया गया, तब अपीलार्थी को निर्णय/आदेश की जानकारी हुई, जिससे व्‍यथित होकर  अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव द्वारा कथन किया गया कि परिवाद पत्र में अपीलार्थी के विवरण के साथ जो अपीलार्थी का पता उल्लिखित किया गया है, वह सही नहीं है। वास्‍तविक पता श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथनानुसार निम्‍नवत् है:- हाल निवासी-डी-46 सेक्‍टर- 47 नोएडा है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय द्वारा न्‍यायालय को अवगत कराया गया कि इस न्‍यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश दिनांक 12.2.2020 का अनुपालन भी आज दिनांक तक अपीलार्थी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया है। उनके द्वारा यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी के विरूद्ध अनेकों आपराधिक वाद विभिन्‍न न्‍यायालयों में लम्बित हैं तथा यह कि अपीलार्थी द्वारा एक फ्लैट को चार क्रेताओं को अवैधानिक रूप से फर्जी प्रपत्र तैयार कर विक्रय किया गया। उनके द्वारा यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी वास्‍तव में शिवकाला ग्रुप बिल्डिंग ट्रस्‍ट नामक संस्‍था का मैनेजिंग डायरेक्‍टर/प्रबन्‍ध निदेशक है, जोकि व्‍यवसायिक रूप से चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में भी अपने को उल्लिखित करता है। उक्‍त संबंध में लिखित तर्क के साथ कुछ आवश्‍यक प्रपत्रों की ओर न्‍यायालय का ध्‍यान आकृषित किया, जिसमें अपीलार्थी का विवरण उपरोक्‍त संस्‍था में मैनेजिंग डायरेक्‍टर एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में उल्लिखित है।

-4-

दौरान बहस उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण द्वारा यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी अनेकों वर्षों तक ई0ओ0डब्‍लू0(आर्थिक अपराध शाखा) दिल्‍ली/यू0पी0 द्वारा अनेकों आपराधिक कृत्‍यों में संलिप्‍तता पाने जाने के कारण 04-05 वर्षों तक जेल में निरूद्ध रहा। अपीलार्थी द्वारा अनेकों आपराधिक वादों में मा0 उच्‍च न्‍यायालय तक जमानत प्रार्थना पत्र व अन्‍य विभिन्‍न प्रकार के प्रार्थना पत्र योजित कर आपराधों में जमानत करायी गई।

उपरोक्‍त तथ्‍यों पर बिना किसी गुणदोष पर विचार करते हुए मेरे द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय/आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने पर यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह पूर्ण रूप से तथ्‍यों पर आधारित है एवं सभी तथ्‍य सविवरण उल्लिखित पाये गये। श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा न्‍यायालय के सम्‍मुख उल्लिखित किया गया कि विगत दो वर्षों से अपीलार्थी उनके सम्‍पर्क में भी नहीं है।

समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा अपीलार्थी की पूर्व की पृष्‍ठ-भूमि को दृष्टिगत रखते हुए एवं इस न्‍यायालय के अंतरिम आदेश का अनुपालन न किये जाने को भी विशेष रूप से दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी पर दण्‍ड स्‍वरूप रू0 50,000.00(रू0 पचास हजार) हर्जाना भी योजित किया जाता है, जो राजस्‍व बकाया कि भॉति अपीलार्थी से वसूला जावे। इस आदेश की प्रति जिलाधिकारी, गौतम बुद्ध नगर को विधिनुसार 04 सप्‍ताह की अवधि में प्रेषित की जावे।

 

 

 

-5-

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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