(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-82/2010
इण्डियन बैंक (पूर्व में इलाहाबाद बैंक) बनाम राधा कृष्ण शुक्ल पुत्र श्री राम हित शुक्ल
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 17.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-29/2007, राधाकृष्ण शुक्ल बनाम शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक में विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.10.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अवधेश शुक्ला को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा लिए गए ऋण अंकन 70,000/-रू0 परिवादी को अदा करने, मानसिक प्रताडना की मद में अंकन 10,000/-रू0 अदा करने तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा इलाहाबाद बैंक (इंडियन बैंक) से सी.सी. कार्ड दिनांक 29.11.2002 को बनवाया गया था, जिसके अंतर्गत फसल क्षति का बीमा नियमानुसार बैंक को कराया जाना था। परिवादी के कृषि गांव व जनपद में वर्ष 2002 से वर्ष 2005 तक सूखे के कारण रबी व खरीफ की फसल खराब हो गई।
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गांव को सूखाग्रस्त घोषित किया गया, जिसकी सूचना बैंक को दी गई। बैंक द्वारा फसल बीमा का लाभ दिलाए जाने का आश्वासन दिया गया, परन्तु फसल बीमा का लाभ नहीं दिलाया गया और ऋण बढ़ता गया।
4. विपक्षी बैंक का कथन है कि परिवादी को अंकन 70,000/-रू0 का सी.सी. कार्ड दिनांक 29.11.2002 को बनाया गया था। खरीफ की फसल के लिए अंकन 35,000/-रू0 तथा रबी की फसल के लिए अंकन 35,000/-रू0 निकालने चाहिए थे, परन्तु परिवादी ने दिनांक 21.8.2003 को अंकन 70,000/-रू0 एकमुश्त निकाल लिए। बैंक कर्मचारियों के प्रयास से दिनांक 10.2.2005 को अंकन 10,000/-रू0 वापस जमा कराए गए। परिवादी डिफाल्टर है, उस पर अंकन 98,959/-रू0 बकाया है। परिवादी का खाता सुचारू रूप से नहीं चल सका, इसलिए परिवादी बीमा व अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। परिवादी के खाते से प्रीमियम की राशि नहीं काटी गई।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया गया कि बैंक द्वारा प्रीमियम की राशि नहीं काटी गई तथा बीमा कंपनी को यह राशि प्रेषित नहीं की गई, इसलिए परिवादी के पक्ष में बीमा नहीं हो सका, इसलिए बैंक उत्तरदायी है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी द्वारा एकमुश्त 70,000/-रू0 निकाले गए। परिवादी को फसल का कितना नुकसान हुआ, इसका
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कोई आंकलन नहीं किया गया। सम्पूर्ण ऋण राशि को अदा करने का आदेश देना हर दृष्टि से अनुचित है। विद्वान अधिवक्ता के उपरोक्त तर्क में विधिसम्मत बल प्रतीत होता है कि अंकन 70,000/-रू0 की निकासी के पश्चात परिवादी द्वारा तैयार की गई फसल की शत-प्रतिशत हानि को तब तक नहीं माना जा सकता जब तक कि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र जारी न किया गया हो कि कृषक को किसी विशेष उत्पादन अवधि के दौरान शत-प्रतिशत की हानि हुई है। अत: इस तथ्य का प्रमाण न होने के कारण कुल 70,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश देना तथा इसके पश्चात अंकन 10,000/-रू0 मानिसक प्रताड़ना की मद में आदेश देना अनुचित है। अपीलार्थी बैंक द्वारा भी तत्समय सूखे के कारण फसल में कारित हानि की मात्रा के संबंध में कोई आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। विद्वान जिला आयोग ने सरसरी तौर पर क्षति के आंकलन का आदेश का पारित किया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए प्रकरण पुन: निस्तारण हेतु प्रतिप्रेषित होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश 29.10.2009 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण संबंधित जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग प्रश्नगत परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित करे तथा उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुणदोष पर निस्तारण, यथासंभव 03 माह में करना, सुनिश्चित करे। इसके
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अतिरिक्त विद्वान जिला आयोग को यह भी निदेश दिया जाता है कि वह उपरोक्त फसल की क्षति का आंकलन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग से इस आशय की रिपोर्ट मंगाई जाए कि परिवादी को फसल की कितनी हानि कारित हुई है या अन्य किसी तरीके से क्षति का आंकलन सुनिश्चित किया जाए।
उभय पक्ष दिनांक 25.10.2024 को विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र के समक्ष उपस्थित हों।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2