Rajasthan

Jaipur-IV

cc/780/2013

Suresh Agrawal - Complainant(s)

Versus

R.T.D.C. Ltd. - Opp.Party(s)

Sanjay Rahad & Other

25 Mar 2015

ORDER

      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
                      डाॅ0़ चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                      डाॅ0 अलका शर्मा, सदस्या
                      श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

प्रकरण संख्याः-780/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1607/2011)
श्री सुरेश अग्रवाल पुत्र श्री आर.एस.अग्रवाल, उम्र 48 वर्ष, निवासी- एस-1, आस्था एक्सीलेन्सी, त्रिवेणी नगर, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर ।  
परिवादी
     बनाम

त्ंरंेजींद ज्वनतपेउ क्मअमसवचउमदज ब्वतचवतंजपवद स्जकण् ;ळवअमतदउमदज व ित्ंरंेजींद न्दकमतजंापदहद्धए च्ंतलंजंद ठींूंदए ळवअजण् भ्वेजमस ब्ंउचनेए डण्प्ण्त्वंकए श्रंपचनत ज्ीतवनही डंदंहमतण्
     विपक्षी
उपस्थितः-
परिवादी की ओर से श्री संजय राहड़, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री दीपक सरावगी, एडवोकेट 

निर्णय
             दिनंाकः- 25.03.2015

 यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 12.10.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी के बहरोड स्थित मिडवे से ।बुनंपिदं पानी की बोतल दिनंाक 07.03.2010 को 20/-रूपये में क्रय की थी जबकि उस पर अधिकतम विक्रय मूल्य 14/-रूपये अंकित था । इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी से उक्त ।बुनंपिदं पानी की बोतल की कीमत पेटे 6/-रूपये अधिक वसूल किये । जो विपक्षी का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 16 व 20 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
 विपक्षी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा मिडवे से जो पानी की बोतल क्रय की गई थी उसकी कीमत परिवादी से  20/-रूपये वसूल की गई थी क्योंकि उक्त मिडवे का रेस्टोरेन्ट वातानुकूलित हैं तथा उसमें ग्राहकों को रेस्टोरेन्ट में बैठकर खाने-पीने की सुविधा हेतु फर्नीचर आदि उपलब्ध करवाया जाता हैं । इसलिए विपक्षी ने उक्त पानी की बोतल की कीमत के रूप में परिवादी से 6/-रूपये अधिक वसूल करके कोई सेवादोष कारित नहीं किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें । 
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री सुरेश अग्रवाल ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 13 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी की ओर से श्री बी.के.शर्मा एवं श्री आर.दयाल के शपथ पत्र एवं          139 ;2007द्ध क्स्ज् 7 न्याय सिद्धान्त की प्रति पेश की गई । बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी का परिवाद प्रस्तुत करने का मुख्य आधार यह है कि परिवादी को विपक्षी ने ।बुनंपिदं पानी की बोतल, जिसका अधिकतम विक्रय मूल्य 14/-रूपये बोतल पर अंकित था, का 20/-रूपये विपक्षी द्वारा प्रदर्श-1 रसीद के माध्यम से वसूल किया गया । जबकि इस संबंध में विपक्षी का कथन है कि परिवादी को विपक्षी ने अपने रेस्टोरेन्ट में ए.सी, खाने-पीने एवं फर्नीचर आदि की सुविधाऐं उपलब्ध करवाई थी । इसलिए विपक्षी की ओर से प्रस्तुत न्याय सिद्धान्त 139 ;2007द्ध क्स्ज् 7ए ज्ीम थ्मकमतंजपवद व िभ्वजमसे ंदक त्मेजंनतंदजे ।ेेवबपंजपवद व िप्दकपं ंदक व्तेण् टे न्दपवद व िप्दकपं ;न्वपद्ध ंदक व्तेण् में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि यदि कोई ग्राहक किसी होटल में जाकर पेय पदार्थ/बीयर आदि पीता है तो वह होटल की अन्य सुविधाओं जिसमें वहां के फर्नीचर, बिजली, ए.सी. व अन्य प्रकार की सुविधाऐं शामिल हैं, का उपयोग व उपभोग करता है । इसलिए होटल/रेस्टोरेन्ट वाला यदि ग्राहक द्वारा क्रय किये गये सामान पर अंकित अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक राशि वसूल करता है तो उसे अनुचित नहीं माना जा सकता है । उक्त दोनों न्याय सिद्धान्तों का संदर्भित भाग निम्नानुसार हैः-
ब्ींतहपदह ंदल चतपबम ंइवअम डत्च् उमदजपवदमक वद चंबांहपदहए इल ीवजमसपमतध्तमेजंनतंजमनत. च्मतउपेेपइसमए दवज अपवसंजपअम ैॅड ।बज दृ च्मतेवद मदजमते ीवजमस जव मदरवल ंउइपमदबम ंअंपसंइसम जीमतमपद ंदक दवज जव चनतबींेम ेनबी बवउउवकपजलण्
अतः उक्त न्यायिक दृष्टान्त में प्रतिपादित सिद्वान्त के अनुसार होटल/रेस्टोरेन्ट के परिवेश और वातारण के मूल्य के रूप मंे यदि परिवादी/ग्राहक से अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक राशि भी होटल/रेस्टोरेन्ट द्वारा वसूल की जाती है तो फिर इन परिस्थितियों में विपक्षी द्वारा कोई सेवादोष कारित किया गया हो, यह नहीं माना जा सकता है । होटल/रेस्टोरेन्ट के परिवेश और वातावरण के प्रकाष में होटल मालिक ग्राहक-परिवादी से वस्तु के अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक राशि वसूल करने में सक्षम हैं । अतः उक्त बिन्दुओं के आधार पर विपक्षी का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं हैं और परिवाद, परिवादी निरस्त किया जाता है ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता है ।

अनिल रूंगटा    डाॅं0 अलका शर्मा           डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                  सदस्या                                      अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 25.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा    डाॅं0 अलका शर्मा           डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                      सदस्या                                  अध्यक्ष

 

 
 

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