Rajasthan

Jaipur-IV

CC/603/2014

Sitaram Verma - Complainant(s)

Versus

R.S.R.T.C - Opp.Party(s)

Mahendra Kumar Sharma

24 Mar 2015

ORDER

 

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                             पीठासीन अधिकारी
      डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-603/2014 (पुराना परिवाद संख्या 67/2013)

श्री सीताराम वर्मा पुत्र श्री रघुनाथ प्रसाद वर्मा, आयु 43 साल, निवासी- ग्राम पोस्ट सुरानी, तहसील श्रीमाधोपुर, जिला सीकर (राजस्थान) । 
परिवादी
बनाम

01. चैयरमेन, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, जयपुर ।
02. डिपो प्रबन्धक, सिन्धी कैम्प बस स्टैण्ड, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, जयपुर । 
विपक्षीगण

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री महेन्द्र कुमार, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री शमशेर खान जोया, एडवोकेट

निर्णय
दिनांकः-24.03.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 13.12.2012 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 सिन्धी कैम्प स्थित डिपो से जयपुर से अजीतगढ़ जाने के लिए दिनंाक 09.12.2012 को 57/-रूपये का टिकिट लिया था और परिवादी को विपक्षीगण की ओर से बताया गया था कि उसे यह टिकिट बस नम्बर 1536 के लिए जारी किया गया है, जो बस सांयकाल 4.30 बजे सिन्धी कैम्प बस स्टैण्ड से रवाना होगी । लेकिन परिवादी ने बस का इंतजार किया परन्तु बस नहीं आईं तो परिवादी ने विपक्षीगण के टिकिट विन्डो पर जाकर जानकारी ली तो विपक्षीगण के कर्मचारी भड़क गये और परिवादी को गालियां दी ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को बस से जयपुर से अजीतगढ़ जाने की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाकर तथा उस दिन बस रवाना नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 10 व 12 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा विवादित टिकिट क्रय करना स्वीकार है । यह भी स्वीकार है कि परिवादी को बस नम्बर 1536 का टिकिट जारी किया गया था । लेकिन वास्तव में परिवादी बस स्टैण्ड पर इधर-उधर घूम रहा होगा और बस संख्या 1536 निकल गई होगी । अन्य व्यक्तियों ने उसी बस नम्बर से यात्रा की थी । इसलिए विपक्षीगण का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
  परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री सीताराम वर्मा ने स्वयं का शपथ पत्र एवं 02 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री जौहरीलाल संघाडि़या का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी एवं विपक्षीगण दोनों की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किये गये ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने परिवाद के मद संख्या 6 में विशेष रूप से परिस्थितियां स्पष्ट करते हुए यह तथ्य अंकित किया है कि बस संख्या 1536, जो जयपुर से अजीतगढ़ दिनांक 09.12.2012 को सांयकाल 4.30 बजे जानी वाली थी, उसके संबंध में पूछताछ कार्यालय में जानकारी लेने पर मालूम पड़ा कि वह बस उस दिन गई ही नहीं थी । जबकि इस तथ्य के विपरीत विपक्षीगण ने अपने जवाब के मद संख्या 9 में यह तथ्य अंकित किया है कि उस दिन बस संख्या 1536 जयपुर से अजीतगढ़ गई थी और उस बस में अन्य लोगों ने यात्रा की थी । परन्तु अपने इस कथन की पुष्टि में विपक्षीगण ने कोई प्रशासनिक अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया हैं । इसलिए ऐसे स्पष्ट तथ्यों के अभाव में यह नहीं माना जा सकता कि विपक्षीगण द्वारा जारी जयपुर से अजीतगढ़ का टिकिट, जो बस संख्या 1536 के लिए जारी किया गया था, वह बस जयपुर से अजीतगढ़ के लिए रवाना हुई भी थी या नहीं ? इसलिए जब यह प्रमाणित नहीं है तो निश्चित रूप से परिवादी का उस बस में यात्रा करना सम्भव नहीं था ।
अतः विपक्षीगण ने परिवादी को दिनंाक 09.12.2012 को 57/-रूपये में बस संख्या 1536 का टिकिट जयपुर से अजीतगढ़ के लिए, जो टिकिट 4.30 बजे रवाना होने वाली बस के लिए जारी किया गया था, उसका उपयोग परिवादी नहीं कर सका क्योंकि उस दिन वह बस समय पर जयपुर से अजीतगढ़ गई हो, यह तथ्य विपक्षीगण ने दस्तावेजी साक्ष्य के माध्यम से सिद्ध नहीं किया हैं । इसलिए परिवादी उक्त टिकिट के माध्यम से जयपुर से अजीतगढ़ की यात्रा करने में असफल रहा था । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं क्योंकि उस दिन विपक्षीगण की बस जयपुर से अजीतगढ़ के लिए गई ही नहीं थी । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से टिकिट राशि 57/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।  परिवादी विपक्षीगण से उनके इस सेवादोष से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से टिकिट राशि 57/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विपक्षीगण से उनके उपरोक्त सेवादोष से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेेंगे।

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य         सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 24.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा     डाॅं0 अलका शर्मा          डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य      सदस्या             अध्यक्ष

 

 

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