Rajasthan

Kota

CC/64/2007

Sweta Sukla - Complainant(s)

Versus

R.K.Agrawal, Director, M/S Sudha Hospital & Research Centre - Opp.Party(s)

V.K.Rathore

06 Jan 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-64/2007
    
श्रीमति ष्वेता षुक्ला पत्नि श्री हरी नारायण,
निवासिनी- ।.95ए तलवंडी,कोटा (राज0)।
                                                        -परिवादिनी।
                         बनाम  

1    मे0 सुधा होस्पीटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, 11. ।,तलवंडी,झालावाड रोड, कोटा जरिये डायरेक्टर आर के अग्रवाल।
2    डाॅक्टर श्रीमति सुधा अग्रवाल पत्नि श्री डा0 आर के अग्रवाल द्वारा        मे0 11. ।,तलवंडी,झालावाड रोड, कोटा जरिये डायरेक्टर आर के अग्रवाल।
3    प्ब्प्ब्प् स्वउइंतक जनरल इंष्योरेंस कम्पनी बैंक टावर ब्रान्द्रा कुर्ला रोड,काॅम्पलेक्स, मुम्बई।
                                                     -विपक्षीगण।

     परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

3    श्री वीरेन्द्र कुमार राठौर,अधिवक्ता ओर से परिवादिनी।
4    विपक्षी-1 व 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
5    श्री षैलेश षर्मा,अधिवक्ता ओर से विपक्षी संख्या-3।                                        
                 
                  निर्णय                 दिनांक 06.01.2016    

यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 28-04-2007 को परिवादिनी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादिनी दिनंाक 27-12-2005 को गर्भवती थी, उसके दो पुत्र हैं इसलिए उसे अन्य संतान की आवष्यकता नहीं थी इसलिए उसने विपक्षी-1 होस्पीटल में भर्ती होकर विपक्षी-2 के परामर्ष से अपना इलाज करवाया और उन्होंने डज्च् कराने की सलाह दी तथा यह 
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भी बताया कि अत्याधुनिक तरीके से उक्त लेट्रोस्काॅपी द्वारा नसबन्दी करवाने पर पुनः गर्भवती होने का अन्देषा नहीं रहेगा। विपक्षी-2 के आष्वासन पर विष्वास करके परिवादिनी विपक्षी-1 के अस्पताल में दिनांक 27-12-2005 को भर्ती हुई और विपक्षी-2 ने लेट्रोस्काॅपी द्वारा व डज्च् द्वारा नसबन्दी करके दिनंाक 28-12-2005 को डिस्चार्ज कर दिया जिसके पेटे विपक्षी ने परिवादिनी से लगभग दो हजार रूपये प्राप्त कर लिये। तत्पष्चात् परिवादिनी ने बिना किसी सुरक्षा साधन के पति के साथ समागम किया तथा परिवादिनी की एमसी बन्द होने पर दिनंाक 11-03-2007 को पुनः विपक्षी-1 के अस्पताल में जाकर विपक्षी-2 से संपर्क किया। विपक्षी-2 द्वारा अल्ट्रा साउण्ड की जाँच में परिवादिनी के सात सप्ताह पाँच दिवस का गर्भ पाया गया। जब परिवादिनी ने विपक्षी-2 से पूर्व में करायी गई नसबन्दी के संबंध में अवगत कराया तो विपक्षी-2 ने कहा कि वे पुनः नसबन्दी करदेंगे, फिर भविश्य में दुबारा गर्भवती नहीं होंगी। परिवादिनी ने दिनंाक 11-03-2007 को पुनः डज्च् विपक्षी-1 के आष्वासन पर करवाकर अपना गर्भपात करवाया जिसके विपक्षी-गण ने 700/-रूपये प्राप्त किये, 300/-रूपये सोनोग्राफी के और 150/-रूपये दवाईयों के खर्च हुए। इस प्रकार विपक्षीगण ने दिनंाक 27-12-2005 को गफलत व लापरवाहीपूर्वक नसबन्दी की गई जिसके परिणामस्वरूप परिवादिनी पुनः गर्भवती हो गई और उसको अपना ईलाज व गर्भपात करवाना पड़ा जिसके कारण उसे षारीरिक, मानसिक व आर्थिक नुकसान हुआ है जिसका हरजाना दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है। 

    विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर दिनांक 23-07-2015 को उनका जवाब बन्द किया गया है। 

    विपक्षी संख्या-3 ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि परिवाद में अंकित किये गये तथ्य विपक्षी बीमा कम्पनी से किसी भी प्रकार ताल्लुक नहीं रखते हैं तथा बिना किसी साक्ष्य के अंकित किये हैं। इसके अलावा बीमा कम्पनी से कोई सहायता 
                             3

भी नहीं माँगी गई है। परिवाद में उनको अनावष्यक ही पक्षकार बनाया गया है। उनके विरूद्ध परिवाद पत्र खारिज किये जाने की प्रार्थना की है। 

      परिवाद के समर्थन में परिवादिनी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.3 दस्तावेज तथा विपक्षी-3 की ओर से जवाब के समर्थन में श्री सिद्धार्थ पारीक,प्राधिकृत अधिकारी का षपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
 
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1    क्या परिवादिनी विपक्षीगण की उपभोक्ता है ?

    परिवादिनी का परिवाद,विपक्षी का जवाब,दस्तावेजात की फोटो काॅपी आदि के आधार पर परिवादिनी विपक्षीगण की उपभोक्ता प्रमाणित पायी जाती है।
2    क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?

उभयपक्षांे को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि विपक्षी-1 व 2 के खिलाफ दिनांक 23-07-2015 को एकपक्षीय कार्यवाही की जाकर उनका जवाब बन्द कर दिया। पत्रावली में उपलब्ध रजिस्टर्ड नंबर 5602 दिनंाक 27-12-2005 तथा म्ग.1 दिनांक 11-03-2007 से स्पश्ट है कि सुधा होस्पीटल में परिवादिनी का डज्च् किया गया है। प्रथमवार दिनंाक 27-12-2005 को किया, वह थ्ंपसनतम हो गया इसलिए पुनः दिनांक 11-03-2007 को किया। इस तथ्य की पुश्टि म्ग.1 व म्ग.2 से होती है। यद्यपि फीस की कोई रसीद नहीं लगी हुई है लेकिन परिवादिनी के परिवाद में गर्भपात करने के 700/-रूपये,सोनोग्राफी के 300/-रूपये और दवाईयों के 150/-रूपये का इन्द्राज है। इस प्रकार 1,150/-रूपये की रसीद न होने पर भी परिवादिनी के परिवाद और षपथपत्र से इस तथ्य की पुश्टि होती है। विपक्षी-1 व 2 ने इसका कोई खण्डन भी नहीं किया है, ऐसी स्थिति में विपक्षी-1 व 2 द्वारा पहली बार दिनांक 27-12-2005 को परिवादिनी का डज्च् किया गया। तत्पष्चात् दिनांक 
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11-03-2007 को गर्भपात किया गया क्योंकि नसबन्दी आॅपरेषन थ्ंपस होने के कारण परिवादिनी गर्भवती रह गई। इस प्रकार इन तथ्यों के अखण्डित रहने पर विपक्षी-1 व 2 का सेवादोश यथाविधि प्रमाणित पाया जाता है। जहाँ तक विपक्षी-3 का प्रष्न है, विपक्षी-1 व 2 ने कोई पाॅलिसी पेष नहीं की है, मात्र म्ग.3 फेमिली प्लानिंग इंष्योरेंस स्कीम के दस्तावेजात पेष किये हैं जो बीमा कम्पनी और केन्द्र सरकार के बीच है इसलिए विपक्षीगण संख्या-1 व 2 को इससे कोई फायदा नहीं मिलता है। परिणामतः विपक्षी-3 से परिवादिनी ने कोई रिलीफ भी नहीं माँगा है इसलिए विपक्षी-3 का कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं पाया जाता है।
3    अनुतोश ?
    परिवादिनी का परिवाद विपक्षी-1 व 2 के खिलाफ संयुक्तः व पृथकतः  आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है तथा विपक्षी-3 के खिलाफ खारिज योग्य पाया जाता है।
                          आदेष  
     परिणामतः परिवादिनी श्रीमति ष्वेता षुक्ला का परिवाद विपक्षी-1 व 2 के खिलाफ आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है:-
1    विपक्षी-1 व 2 परिवादिनी को 1,150/-रूपये गर्भपात कराने की राषि क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें। 
2    विपक्षी-1 व 2 परिवादिनी को 25,000/-रूपये षारीरिक व मानसिक क्षति के प्रदान करें और 2,000/-रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
3    विपक्षी-1 व 2 उक्त आदेष की पालना निर्णय सुनाये जाने की तारीख से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के दायित्वाधीन होगें।
4    विपक्षी-3 का कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं है इसलिए वह किसी भी प्रकार से दायित्वाधीन नहीं है।

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
                              
  निर्णय आज दिनंाक 06.01.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

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