जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-178/2009
गोकुल प्रसाद पुत्र राम मिलन निवासी ग्राम मऊ पूरे बिछिया परगना पष्चिमराठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद। .............. प्रार्थी/वादी
बनाम
1. आर0 के0 सिंह जूनियर इन्जीनियर विद्युत विभाग, विद्युत वितरण सबस्टेषन तारून, फैजाबाद।
2. अधिषाशी अभियन्ता महोदय मध्याचंल विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय फैजाबाद।
.......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 14.08.2015
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने पिता राम मिलन के नाम बिजली का कनेक्षन लेकर नलकूप लगाया है, जिसका नलकूप कनेक्षन संख्या-4302/217040 है। कनेक्षन का बिल कुछ महीने का मु0 3679 रूपया बकाया हो गया था जिसे परिवादी का भाई दिनंाक 31.01.2009 को जमा करने फैजाबाद गया था। दिनांक 31.01.2009 को ही बिना किसी पूर्व सूचना व नोटिस के विपक्षी संख्या-1 के कर्मचारी परिवादी के नलकूप का केबिल उतारने लगे, परिवादी प्रतिवादी संख्या-1 से मिला तो परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 से कहा कि मेरा भाई बिल जमा करने फैजाबाद गया है, कल रसीद दिखा दूँगा और चूँकि आपने मुझे कोई नोटिस नहीं दिया है और जबरदस्ती केबिल उतरवा ले रहे हैं तो विपक्षी संख्या 1 नाराज हो गये और भद्दी-भद्दी मां बहन की गाली दिया जिसे वहाँ पर उपस्थित लोंगो ने सुना तथा परिवादी से रुपये 1000/- की मांग करने लगे जिसे परिवादी ने देने से इन्कार कर दिया तो विपक्षी ने परिवादी के विरूद्व धारा 332 व 323 भा0द0वि0 के अन्र्तगत मुकदमा कायम करवा दिया तथा दिनंाक 01-02-2009 को परिवादी के नलकूप में लगे एक पोल से दूसरे पोल का तार भी उतरवा लिया। यद्यपि परिवादी ने प्रतिवादी संख्या-1 द्वारा कायम मुकदमें में जमानत करवा लिया। बिल जमा कर देने की मौखिक सूचना देने के बाद भी प्रतिवादी ने नलकूप का केबिल दिनंाक 31-01-2009 को समय 6 बजे षाम को उतरवा लिया। दिनंाक 01-02-2009 को बिल जमा करने की किताब व रसीद भी परिवादी ने प्रतिवादी को दिखाया किन्तु प्रतिवादी ने कुछ नहीं माना जिसकी षिकायत परिवादी ने प्रतिवादी संख्या-2 से तथा जिलाधिकारी फैजाबाद से भी किया किन्तु अभी तक बिल जमा करने के बाद भी कनेक्षन नहीं जोड़ा गया। अवैधानिक रूप से मुकदमा कायम कर देने व कनेक्षन जबरदस्ती काट देने से परिवादी की गेहूँ व गन्ने तथा अन्य फसल के खेत की सिंचायी नहीं हो पायी जिससे परिवादी का लगभग मु0 50,000/- रूपये की सम्पत्ति का नुकसान हुआ। विपक्षीगण से समझौता न होने के कारण उक्त वाद प्रस्तुत करना आवष्यक हो गया। परिवादी को फसल नुकसानी व सामाजिक रूप से हुयी क्षति के मद में रूपये 1,00,000/-, ब्याज 12 प्रतिषत व खर्चा मुकदमा परिवादी को प्रतिवादीगण से दिलाया जावे।
विपक्षी ने अपना लिखित कथन दाखिल किया है तथा कथित किया है कि परिवादी का बिल बकाया था इसलिए लाइन काट दी गयी थी। गाली देने की बात निराधार है, उस समय एक मुष्त समाधान योेेेेेजना चल रही थी इसलिए पंजीकरण हेतु रूपये 1,000/- की माँग की गयी होगी। परिवादी की लाइन आर.सी/डी.सी. फीस जमा कराने के उपरान्त दिनंाक 17.07.2009 को जोड़ दी गयी थी।
पत्रावली का भली भाँति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस दिनंाक 30-03-2009 की कार्बन प्रति, जिला अधिकारी महोदय को दिये गये पत्र दिनंाक 08-06-2009 की कार्बन प्रति, विद्युत बिल जमा किये जाने की रसीद दिनंाक 28-02-2009 एवं 31-01-2009 की छाया प्रति, विद्युत बिल की पुस्तिका मूल रुप में व उसकी छाया प्रति, रिकनेक्षन षुल्क की रसीद दिनंाक 19-06-2009 की छाया प्रति, रूपये 1888/- की रसीद दिनंाक 30-09-2009 छाया प्रति तथा परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है, जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन तथा परिवादी के पत्र दिनंाक 17-07-2009 की छाया प्रति दाखिल की है, जो षमिल पत्रावली है। परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनंाक 31-01-2009 को काट दिया गया था। जो दिनंाक 17-07-2009 को जोड़ा गया। जब कि परिवादी ने विद्युत बिल जमा किये जाने की रसीद दिनंाक 31-01-2009 रूपये 3679/- की छाया प्रति दाखिल की है। परिवादी ने रूपये 260/- जमा किये जाने की रसीद दिनंाक 28-02-2009 की छाया प्रति भी दाखिल की है। जिससे यह प्रमाणित है कि परिवादी ने विद्युत कनेक्षन काटे जाने की दिनंाक को ही विद्युत बिल जमा कर दिया था। परिवादी ने मौके पर गये विपक्षी सं01 को बताया भी था कि उसका भाई बिल जमा करने के लिये फैजाबाद गया है। विद्युत कनेक्षन दिनंाक 17-07-2009 को जोड़े जाने के बाद से परिवादी अपना बिल नियमित रूप जमा कर रहा है। परिवादी का विद्युत कनेक्षन पाँच माह 16 दिन कटा रहा जिससे परिवादी की गेहूँ व गन्ना की फसल को नुकसान हुआ। विपक्षीगण ने अपने पक्ष को समर्थित करने के लिये ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया हैेेेे जिससे यह प्रमाणित होता हो कि परिवादी का कनेक्षन सही ढंग से काटा गया है। जब कि विपक्षीगण ने परिवादी से रिकनेक्षन चार्ज के मद में रूपये 550/- भी वसूल कर लिया परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगण ने परिवादी का कनेक्षन काट कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंषिक रूप से स्वीकार एवं आंषिक रूप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रिकनेक्षन चार्ज रुपये 550/- आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर भुगतान करें। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 10,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 2,000/- भी अदा करें। विपक्षीगण यदि निर्धारित अवधि 30 दिन में परिवादी को भुगतान नहीं करते हैं, तो विपक्षीगण परिवादी को रूपये 12,550/- पर परिवाद दाखिल करने की दिनंाक से तारोेेेज वसूली तक 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान करेगंे।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 14.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष