Rajasthan

Ajmer

CC/128/2014

SMT KAUSALYA SHARMA - Complainant(s)

Versus

R.H.B - Opp.Party(s)

DINESH CHAND SHARMA

21 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/128/2014
 
1. SMT KAUSALYA SHARMA
AJMER
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर
श्रीमति कौषल्या षर्मा पत्नी श्री दिनेष चन्द्र षर्मा, मकान नं. 1/225, गडी हाउसिंग बोर्ड, मसूदा रोड, ब्यावर, जिला-अजमेर । 
                                                         प्रार्थीया
                            बनाम
आवासीय अभियंता, राजस्थान आवासन मण्डल, वैषाली नगर, अजमेर । 
                                                           अप्रार्थी 
                  परिवाद संख्या 128/2014
                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या
                           उपस्थिति
                  1.श्री दिनेष चन्द्र षर्मा, प्रतिनिधि, प्रार्थीया
                  2.श्री विनोद षर्मा,अधिवक्ता अप्रार्थी                               
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 04.02.2015

1.       परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस तरह से है कि प्रार्थीया द्वारा आवास संख्या 1/225 गढी हाउसिंग बोर्ड, ब्यावर के नियमितिकरण हेतु दिनांक 18.12.2012 को एक  प्रार्थना पत्र पेष किया । जिसके संबंध में प्रार्थीया द्वारा दिनंाक  
22.1.2012, 6.2.2013, 13.5.13, 3.6.13 तथा दिनांक 28.6.2013 को व्यक्तिगत तौर पर मिलने तथा पत्र द्वारा  निवेदन करने पर दिनांक 28.6.2012 को आदेष संख्या 1507 से  विज्ञापन  प्रार्थीया के खर्चे से प्रकाषित करने का आदेष दिया गया जबकि विज्ञापन प्रकाषन कराने का कार्य आवासन मण्डल का होता है  एवं उक्त अवधि में आवासन मण्डल ने अन्य पत्रावलियों की विज्ञप्तियां जारी  भी करवाई  है। प्रार्थीया द्वारा उक्त विज्ञप्ति को प्रकाषित करवाने हेतु दैनिक नवज्योति कार्यालय  में रसीद संख्या 115  दिनांक 9.7.2013 से राषि रू. 2400/- जमा करवाए ।  अप्रार्थी द्वारा प्रार्थीया के मामले में देरी से विज्ञापन जारी करने की कार्यवाही में विलम्ब किया गया जिससे प्रार्थीया को पूर्व पंजीयन षुल्क में से रू. 4500/- की छूट मिलती, वह नहीं मिली । अतः प्रार्थीया को रू. 4500/- का भी नुकसान  हुआ । परिवाद पेष करते हुए अप्रार्थी  के पक्ष में  सेवा में कमी मानते हुए प्रार्थीया को उपरोक्त दोनों राषियां दिलवाए जाने की प्रार्थना की है। 
2.    अप्रार्थी विभाग द्वारा जवाब पेष हुआ जिसमें दर्षाया कि प्रार्थीया ने परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णितानुसार कभी भी सम्पर्क नहीं किया  । स्वयं प्रार्थीया ने स्वयं केे खर्चे से विज्ञापन प्रकाषित किए जाने का निवेदन किया अतः प्रार्थीया को प्रकाषन हेतु विज्ञप्ति दी गई । नियमानुसार जहां  एक ही उपभोक्ता हो वहां एवं स्वयं अपने स्तर पर विज्ञप्ति जारी कराने की कार्यवाही चाहता है तो उसका व्यय उपभोक्ता को ही देना पडता है । अतः प्रार्थीया के मामले में ऐसा ही हुआ है । इसलिए प्रार्थीया किसी भी तरह की राषि प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है, एवं परिवाद खारिज होने  योग्य दर्षाया । 
3.    प्रार्थीया की ओर से इस परिवाद की कार्यवाही हेतु अपने पति श्री दिनेष चन्द्र षर्मा को अधिकृत किया जिनका अधिकार पत्र पत्रावली पर है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थीया ने स्वयं का षपथपत्र भी पेष किया है । अप्रार्थी विभाग ने जवाब के समर्थन में संबंधित अधिकारी  का षपथपत्र पेष किया  है । पत्रावली पर दिनांक 4.2.13 को जारी विज्ञापन की प्रति अप्रार्थी विभाग की ओर से पेष हुई है साथ ही अप्रार्थी विभाग की ओर से जारी इसी विज्ञापन के प्रकाषन  हेतु जो पत्र दिया उसकी प्रति , दैनिक नवज्योति कार्यालय में रू. 2400/-  विज्ञापन हेतु जमा कराए जाने की रसीद  तथा प्रार्थीया की ओर से उपभोक्ता परिषद, मसूदा को की गई षिकायत की प्रति भी पेष की है । 
4.    हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही प्रष्न है कि क्या तथाकथित विज्ञप्ति जो दिनांक 28.6.2013 को आदेष संख्या 1507 से प्रार्थीया को स्वयं के खर्चे से प्रकाषित करवाने हेतु दी गई और इस प्रकाषन हेतु व्यय हुई  राषि रू. 2400/- प्रार्थीया अप्रार्थी से प्राप्त करने की अधिकारणी  है ? एवं परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णितानुसार  रजिस्ट्री कराने में रू. 4500/- प्रार्थीया के अधिक खर्च हुए वह भी प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से प्राप्त करेन की अधिकारणी है ?
5.    प्रार्थीया की ओर से उनके पति उपस्थित है जिन्होने अपनी बहस में बतलाया कि प्रार्थीया  अप्रार्थी विभाग के यहां दिनांक 18.12.2012 को  प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है एवं नियमितिकरण से पूर्व जो विज्ञप्ति जारी की जाती है वह अप्रार्थी विभाग द्वारा जारी नही ंकी गई एवं इस संबंध में प्रार्थीया ने अप्रार्थी विभाग से कई बार व्यक्तिगत तौर पर सम्पर्क किया एवं पत्र भेजते हुए भी निवेदन किया तब जाकर अप्रार्थी विभाग  द्वारा विज्ञप्ति प्रकाषन हेतु जारी की  किन्तु उक्त विज्ञप्ति का प्रकाषन प्रार्थीया को स्वयं के खर्चे पर करवाने के निर्देष दिए गए जबकि नियमानुसार ऐसे प्रकाषन  का खर्चा स्वयं अप्रार्थी विभाग को  वहन करना पडता है इस संबंध में अप्रार्थी विभाग द्वारा दिनांक 23.4.2013 को कई मामलो में विज्ञापन स्वयं के खर्चे से प्रकाषित करवाया , उनकी प्रति भी पेष की है । इस तरह से प्रार्थीया प्रतिनिधि की बहस है कि  अप्रार्थी विभाग ने विज्ञप्ति समय पर जारी नही ंकी जिससे प्रार्थीया के रजिस्ट्री व्यय में रू. 4500/- अधिक  देने पडे क्योंकि  उक्त पंजीयन 3 वर्ष के लिए मान्य था । इस तरह से प्रार्थीया प्रतिनिधि की बहस है कि प्रार्थीया अप्रार्थी  विभाग से 2400/- विज्ञापन प्रकाषन की राषि एवं रू. 4500/-  जो रजिस्ट्री में करवाने में अघिक व्यय हुए, प्राप्त करने की अधिकारणी है । 
6.    अधिवक्ता अप्रार्थी विभाग की बहस है कि हर आम खास की विज्ञप्ति  अधिक संख्या में होने पर  अप्रार्थी विभाग ही प्रकाषित करवाता है लेकिन प्रार्थीया का एक आवेदन  था एवं प्रार्थीया ने स्वयं के खर्च से विज्ञापन का प्रकाषन करवाना चाहा । अतः प्रार्थीया को स्वयं के खर्चे से प्रकाषन हेतु  विज्ञप्ति जारी कर दी गई ।  अतः प्रार्थीया यह राषि अप्रार्थी विभाग से प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है । उनकी यह भी बहस है कि प्रार्थीया के कथनानुसार दिनंाक 18.12.2012 को आवेदन प्रस्तुत किया गया था एवं दिनांक 28.6.2013 को विज्ञप्ति जारी करके दे दी गई थी । अतः 3 वर्ष का समय इस मामले में लागू नहीं होता है । अतः प्रार्थीया  कोई राषि अप्रार्थी विभाग से प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है । 
7.    हमने बहस पर गौर किया ।  जवाब में  एवं बहस में अप्रार्थी का विज्ञप्ति के सबंध में कथन रहा है कि जहां आवेदकों के आक्षेप मांगने की संख्या अधिक होती है तो अप्रार्थी विभाग द्वारा स्वयं के खर्चे पर  विज्ञप्ति प्रकाषित करवाई जाती है  तथा व्यक्तिगत स्तर पर एक आवेदक होने पर उस आवेदक के खर्चे पर विज्ञप्ति प्रकाषित करवाई जाती है इसलिए मौजुदा प्रकरण में एक मात्र आवेदक  प्रार्थीया होने एव ंनियमितिकरण होने  के लिए उस समय एक ही आवेदक होने से प्रार्थीया से अखबार प्रकाषन का षुल्क जमा कराने का निवेदन किया गया था किन्तु इस संबंध में अप्रार्थी विभाग द्वारा कोई नियम, परिपत्र या आदेष आदि पेष नहीं किए गए है । प्रार्थीया द्वारा सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त  सूचना की प्रतियां पेष की है जिनमें विज्ञापन प्रकाषन हेतु स्वयं अप्रार्थी विभाग द्वारा संबंधित  अखबार को भेजी गई है । यह अवष्य है कि ये सभी विज्ञप्तियां  आवंटन से संबंधित है ।  इसके अतिरिक्त अघिवक्ता अप्रार्थी की यह भी बहस रही है कि स्वयं प्रार्थीया ने इस विज्ञप्ति को स्वयं के खर्चे पर प्रकाषित करवाने हेतु मांग की थी किन्तु पत्रावली पर प्रार्थीया का ऐसा कोई आवेदन नहीं है । इन सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि विज्ञप्ति(आवष्यक सूचना) दिनांक 28.6.2013 के पत्र के साथ अखबार में साया  करवाने हेतु प्रार्थीया को दी, की खर्च राषि  रू. 2400/- जिसके बिल की प्रति पत्रावली पर प्रार्थीया ने पेष की है  प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से पुनः प्राप्त करने की अधिकारणी है । 
8.    जहां तक प्रार्थीया ने रू. 4500/- की राषि की मांग रजिस्ट्री करवाने  में हुई देरी के संबंध में  की है, के संबंध में हमारी विवेचना है कि यह रू. 4500/- की राषि किस तरह से होती है प्रार्थीया नहीं बतला पाई है ।  प्रार्थीया ने यह पत्रावली दिनांक 18.12.2012  को प्रस्तुत की थी एवं परिवाद की चरण संख्या 2 में प्रार्थीया ने माना कि पंजीयन 3 वर्ष केे लिए ही मान्य था जो दिनांक 4.8.2013 को निकल चुका था जबकि प्रार्थीया ने  यह आवेदन दिनांक 4.8.2013 से करीब 8 माह पूर्व ही पेष किया था । इसके अतिरिक्त छूट की अवधि में  कितना रजिस्ट्री खर्च लगना था  एवं वास्तव में कितना खर्च लगा आदि का विवरण भी पेष नहीं किया है । अतः प्रार्थीया यह राषि  रू. 4500/- प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं पाई जाती  है । 
9.    उपरोक्त सारे विवेचन अनुसार प्रार्थीया का यह परिवाद  राषि रू. 2400/- अप्रार्थी विभाग से प्राप्त करने की हद तक स्वीकार होने योग्य है एवं आदेष है कि आदेष 
                        :ः- आदेष:ः-
10.    (1)   प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से  राषि रू. 2400/- प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
    (2)   प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से  मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 1500/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । 
        (3)    क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी विभाग प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
        (4)         दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
11.        आदेष दिनांक 04.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष

   
    
 

 

 

 


    

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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