जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति लता चैधरी पत्नी स्व. श्री राजेन्द्र चैधरी, निवासी- 2/18, साकेतनगर, हाउसिंग बोर्ड, ब्यावर, जिला-अजमेर -305901
- प्रार्थिया
बनाम
राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, वैषालीनगर, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 338/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी,श्री लक्ष्मण सिंह व श्री अमित गांधी,
अधिवक्तागण, प्रार्थी
2.श्री उमाकान्त अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 13.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थिया द्वारा अप्रार्थी की गढ़ी थोरियान ब्यावर योजना में वर्ष 2009 में आवेदन किए जाने पर उसे आवास आवंटन हेतु दिनांक 12.7.2010 को एमआईजी-ए आयवर्ग में पंजीकरण किया । तदोपरान्त अप्रार्थी ने क्रमष: दिनंाक 3.8.2010, 8.2.2011 एवं 25.7.2011 को राषि रू. 40,000/-, 30,000/- एवं 30,000/- जमा कराए जाने के बाद अप्रार्थी ने पत्र दिनंाक 14.9.2011के पत्र द्वारा वर्ष 2008-09 में उसके पति का आय प्रमाण पत्र मांगा जो उसने दिनंाक 20.9.2011 को अप्रार्थी को उपलब्ध करा दिया । तत्पष्चात् अप्रार्थी ने उसके पति की सकल आय रू. 3,35,780/- मानते हुए उसका पंजीयन उच्च आर्य वर्ग में करते हुए अन्तर की राषि रू. 70,000/- जमा कराने का निर्देष प्रदान किया । प्रार्थिया ने उक्त राषि भी जमा करवा दी किन्तु जब उसे दिनंाक 24.7.2014 तक भी आवास आवंटित नहीं किया तो उसने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने आवास से संबंधित पत्रावली का अवलोकन किया तो पाया कि अप्रार्थी ने बिना पूर्व सूचना के उसका आवासन आवंटन निरस्त कर दिया है । प्रार्थिया ने इसे सेवा में कमी बताते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी आवासन मण्डल ने जवाब प्रस्तुत करते हुए परिवाद की चरण संख्या 1 लगायत 6 में अंकित तथ्यों को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थिया द्वारा आवास हेतु आवेदन प्रस्तुत करते हुए उसमें स्वयं की वार्षिक आय रू. 2,10,000/- तथा दिए गए षपथपत्र में आय रू. 1,50,000/- बताए जाने पर उसका पंजीकरण मध्यम आय वर्ग ’’ अ’’ में किया जाकर वरियता निर्धारित की गई । किन्तु अप्रार्थी मण्डल द्वारा जरिए पत्र दिनंाक 14.9.2011 के प्रार्थिया के पति का वर्ष 2008-09 का वार्षिक आय प्रमाण पत्र मांगे जाने पर उनकी वार्षिक आय रू. 1,35,000/- बताई गई जबकि ष्षपथपत्र में पति की आय रू. 1,80,000/- बताई गई थी । इस प्रकार प्रार्थिया द्वारा गलत तथ्य अंकित किए जाने के कारण प्रष्नगत आवासीय यासेजना की पंजीकरण पुस्तिका की ष्षर्ता संख्या 12 के अनुसरण में प्रार्थीया का प्रकरण मुख्यालय जयपुर भिजवाया गया और मुख्यालय जयपुर द्वारा प्रार्थिया के गलत तथ्य प्रस्तुत करने के कारण नियमानुसार पंजीकरण निरस्त करने के निर्देष प्रदान किए गए और उनके निर्देष की अनुपालना आवासीय अभियंता, अजमेर द्वारा की जा रही है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री राममूर्ति षुक्ला, सहायक संपदा प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थिया का तर्क है कि उसके द्वारा गढ़ी थोरियान ब्यावर योजना में आवास आवंटन हेतु वर्ष 2009 में आवेदन किए जाने व पूर्वग्रहण राषि की मांग के अनुरूप जमा करवा दिए जाने, पति की आय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बावजूद उसे मकान आवंटित नहीं कर अवैध रूप से निरस्त कर सेवा में कमी कारित की गई है । परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है तर्क प्रस्तुत किया गया कि इसी मंच द्वारा इन्हीं तथ्यों के समकक्ष परिवाद में दिनंाक 15.4.2015 को किन्हीं प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किया गया है ।
4. अप्रार्थी मण्डल ने खण्डन में प्रार्थिया द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत करने, आय बाबत् प्रामाण पत्र मांगा जाना स्वीकार किया । किन्तु अपनी समस्त आय के संदर्भ में समय समय पर बार बार असत्य कथन करते हुए अलग अलग आय बताए जाने के कारण आवंटन का आवंटन नहीं किया जाना है ।
5. हमने सुना व रिकार्ड देखा ।
6. हस्तगत प्रकरण में प्रार्थिया का राजस्व आवासन मण्डल की विषिष्ठ पंजीकरण योजना, 2009 में सर्वप्रथम मध्यम आयवर्ग ’’अ’’ के रूप में आवेदन करना विवाद का विषय नहीं है । विवाद उसके द्वारा प्रस्तुत आय व इसके अनुसार आवास की श्रेणी आवंटन बाबत् है । प्रार्थिया ने सर्वप्रथम उक्त येाजना के अन्तर्गत अपने आवेदन पत्र में स्वयं की आय रू. 2,10,000/- बताई है । उसने आवेदन पत्र के साथ संलग्न आय संबंधी समस्त स्त्रोतों से आय रू. 1,50,000/-, अव्यस्क पुत्र , पुत्री आदि की आयु रू. 1,50,000/- बताते हुए वित्तीय वर्ष 2008-09 में कुल आय रू. 1,50,000/- बताई है । अप्रार्थी ने अपने पत्र 14.9.2011 के द्वारा प्रार्थिया के पति की आयु का प्रमाण पत्र मांगा है जिस पर उसने पति श्री राजेन्द्र चैधरी ने अपने पत्र द्वारा वित्तीय वर्ष 2008-09 में अपनी वार्षिक आय रू. 1,35,780/- बताई है । यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थिया ने अपने ष्षपथपत्र दिनांक 17.8.2009 जो उसने मूल आवेदन पत्र के साथ संलग्न किया है, में वर्ष 2008-09 में अपनी कुल आमदनी रू. 1,50,000/- बताई है । प्रार्थिया के द्वारा आवंटन के क्रम में एक षपथपत्र दिनांक 31.10.2011 को प्रस्तुत किया गया है, जिस पर उसने स्वयं का गृहणी बताते हुए स्वयं की कोई आय नहीं होना कथन किया है व आवेदन में रू. 1,80,000/- वार्षिक आय अपने पति की अंकित करना बताया है । जबकि स्वंय द्वारा प्रस्तुत मूल आवेदन पुत्र में उसने स्वयं की आय रू. 2,10,000/- होना बताया है । इसमें उसने अपने पति की आय का कोई उल्लेख नहीं किया है तथा इसके साथ संलग्न षपथ पत्र में भी उसने अपने पति की आय का कोई उल्लेख नहीं किया है । स्पष्ट है कि उसने हर बार असत्य कथन करते हुए अपनी अलग अलग वार्षिक आय बताई है । अप्रार्थी ने भी प्रार्थिया के हर बार किए गए असत्य कथन को ध्यान में रखते हुए उसे आवास के आवंटन होने योग्य नहीं पाया है । हमारी राय में उनका यह आचरण उचित है । उनके द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया गया है अपितु स्वयं प्रार्थिया ने बार बार अपनी व पति की आय के संदर्भ में गलत तथ्य देकर अप्रार्थी को भ्रमित करने का प्रयास किया है । मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद अस्वीकार कर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 13.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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