जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति डिम्पल अग्रवाल पत्नी श्री मनीष अग्रवाल, निवासी- 2 बी-64, साकेत नगर, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, राजस्थान आवासन मण्डल, वैषाली नगर, अजमेर- 305001
2. राजस्थान आवासन मण्डल जरिए चैयरमेन राजस्थान आवासन मयण्डल, आवास भवन, जनपथ, ज्योतिनगर, जयपुर (राज.)
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 149/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्य प्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री विनोद षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 15.04.2015
1. प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा), की विषिष्ठ पंजीकरण योजना, 2009 गढी थोरियान के तहत एमआईजी आय वर्ग में आवास प्राप्त करने हेतु दिनंाक 17.8.2009 को रू. 50,000/- जमा कराते हुए पंजीकरण कराया । तत्पष्चात् अप्रार्थी मण्डल ने दिनांक 12.7.2010 के पत्र द्वारा उसे 3046 पंजीकरण संख्या प्रदान किया तथा परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित अनुसार वरियता क्रमांक जारी किया और पूर्वग्रहण राषि जमा कराने की मांग की । प्रार्थीया ने अप्रार्थी मण्डल की मांग अनुसार दिनांक 6.8.2010 को पूर्वग्रहण की प्रथम व द्वितीय किष्त राषि क्रमषः रू. 40,000/- व रू. 30,000/- निर्धारित समयावधि में जमा करा दी । इसके बाद अप्रार्थी मण्डल ने दिनांक 14.9.2011 के द्वारा उसके पति की आय का वर्ष 2008-09 का प्रमाण पत्र मांगा जो उसने दिनंाक 20.9.2011 को प्रस्तुत कर दिया जिस पर अप्रार्थी संख्या 1 ने अपने पत्र दिनंाक 21.201.1022 से उसे सूचित किया कि उसके पति की सकल आय रू. 1,90,500/- होती है इसलिए प्रार्थी का प्रकरण उच्च आय वर्ग का होने से अन्तर की राषि रू. 70,000/- जमा कराते हुए चालान की तृतीय प्रति की मांग की ओर राषि जमा नहीं कराए जाने पर जमा कराई गई पंजीकरण राषि लौटाए जाने को कहा । उसने दिनांक 25.10.2011 को रू. 70,000/- जमा कराते हुए तृतीय प्रति अप्रार्थी मण्डल को प्रेषित कर दी किन्तु इसके बावजूद भी उसे अप्रार्थी मण्डल ने आवास आवंटित नहीं किया । प्रार्थीया ने अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी मण्डल की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थीया द्वारा आवास आवंटन हेतु पंजीकरण राषि जमा कराया जाना, राषि जमा कराए जाने के बाद उसे वरियता क्रमांक जारी किया जाना तथा प्रार्थीया द्वारा पूर्वग्रहण राषि जमा कराए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि प्रष्नगत पंजीकरण योजना की यह षर्त थी कि आवास प्राप्त करने हेतु आवेदक को अपने परिवार की सकल आय की गणना करनी है किन्तु प्रार्थीया ने अपने पति की आय की गणना नही ंकी इसलिए प्रार्थीया से अपने पति का आय प्रमाण पत्र मांगा गया और प्रार्थीया द्वारा आय प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद उसका प्रकरण मध्यम आय वर्ग से उच्च आय वर्ग में आने जाने के कारण उसे अन्तर की राषि की मांग की गई व उसके द्वारा अन्तर की राषि मांग अनुसार रू. 70,000/- जमा कराए जाने के तथ्य को भी स्वीकार किया है ।
अप्रार्थी मण्डल ने आगे कथन किया है कि आय के अनुसार प्रार्थीया का नाम आवास आवंटन की श्रेणी में परिवर्तन हो जाने के करण उच्च आय वर्ग श्रेणी में आवास आवटन हेतु लाॅटरी में रखा गया किन्तु निकाली गई लाॅटरी में प्रार्थीया का नाम नहीं आने पर उसे आवास का आवंटन नहीं किया गया और प्रार्थीया का आवेदन निरस्त कर दिया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. प्रार्थीया के परिवाद एवं अप्रार्थी मण्डल के जवाब के अवलोकन से सिद्व है कि प्रार्थीया ने अपने परिवाद में वर्णित पैरा संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल की ब्यावर स्थित गढी थोरियान योजना हेतु आवेदन किया एवं परिवाद में वर्णित राषि जमा कराई । प्रार्थीया के आवेदन को पंजीकृत किया गया तथा प्रार्थीया को वरियता क्रमांक प्रदान किया गया । तत्पष्चात् अप्रार्थी मण्डल द्वारा मांग की गई पूर्वग्रहण राषि की प्रथम व द्वितीय किष्त प्रार्थीया द्वारा जमा कराई गई । इसके बाद प्रार्थीया से उसके पति की वर्ष 2008-09 के संबंध में आय प्रमाण पत्र मांगा गया जो भी प्रार्थीया द्वारा प्रस्तुत कर दिया गया । तत्पष्चात प्रार्थीया की आय में उसके पति की आय जोडते हुए आय के सकल योग के आधार पर रू. 70,000/- अन्तर की राषि की मांग की एवं प्रार्थीया का आवेदन उच्च आयवर्ग श्रेणी में सम्मिलित किया गया , तथ्य एकतरह से स्वीकृतषुदा है ।
5. परिवाद के पैरा संख्या 6 के अनुसार अन्तर की राषि रू. 70,000/- प्रार्थीया द्वारा जमा कराए जाने के उपरान्त भी प्रार्थीया को कोई आवास आवंटित नहीं किया और ना ही राजस्थान आवासन मण्डल की उच्च आय वर्ग की द्वितीय लाॅटरी में प्रार्थीया को ष्षामिल किया ,दर्षाया है । इसके प्रतिउत्तर में अप्रार्थी मण्डल का कथन है कि प्रार्थीया का नाम उच्च आयवर्ग की लाॅटरी में रखा गया किन्तु लाॅटरी में प्रार्थीया का नाम नहीं होने से उसे आवास आवंटित नहीं किया गया ।
6. अतः हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही प्रष्न है कि क्या प्रार्थीया का नाम अप्रार्थी मण्डल ने लाॅटरी में सम्मिलित किया एवं उसका नाम लाॅटरी में नहीं आने से उसे आवास आवंटित नहीं किया गया ? इस निर्णय बिन्दु को सिद्व करने का भार अप्रार्थी मण्डल पर है लेकिन लाॅटरी जिसमें प्रार्थीया का नाम सम्मिलित किया एवं लाॅटरी में प्रार्थीया का नाम नहीं आया, से संबंधित कोई रिकार्ड अर्थात दस्तावेजात आदि अप्रार्थी मण्डल की ओर से पेष नहीं हुए है । इसके विपरीत प्रार्थीया का कथन है कि अप्रार्थी मण्डल ने उसका नाम लाॅटरी में ही नहीं रखा जिससे उसे आवास आवंटित नहीं हुआ । चूंकि अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थीया के नाम को लाॅटरी में सम्मिलित किया एवं निकाली गई लाॅटरी में प्रार्थीया का नाम नहीं आया , यह तथ्य अप्रार्थी मण्डल को सिद्व करना था लेकिन उपर वर्णित अनुसार अप्रार्थी मण्डल की ओर से इस संबंध में कोई साक्ष्य पेष नहीं होने से एवं प्रार्थीया का स्पष्ट कथन रहा है कि अप्रार्थी मण्डल ने अपना नाम लाॅटरी में रखा ही नहीं, के तथ्य को देखते हुए हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल अपने कथन को सिद्व नहीं कर पाया है एवं हमारे विनम्र मत में प्रार्थीया का यह कथन सिद्व हो रहा है कि अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थीया द्वारा समस्त राषि जमा कराए जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में नहीं रखा एवं उसे आवास आवंटित नहीं किया ।
7. उपरोक्त विवेचन से हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल के विरूद्व सेवा में कमी का मामला सिद्व है । प्रार्थीया ने अपने अनुतोष में अप्रार्थी मण्डल की गढी थोरियान, ब्यावर की योजना में उच्च आय वर्ग की श्रेणी का आवास आवंटित किए जाने का निवेदन किया है । हमारे विनम्र मत में प्रार्थीया का यह निवेदन स्वीकार किए जाने योग्य है । प्रार्थीया द्वारा यह परिवाद लाया गया है एवं प्रार्थीया को मानसिक संताप व वाद व्यय होना स्वाभाविक है । अतः प्रार्थीया इस मद में भी समुचित राषि प्राप्त करने की अधिकारणी है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) अप्रार्थी मण्डल प्रार्थीया को मण्डल की विषिष्ठ पंजीकरण योजना, 2009 गढी थोरियान में उच्च आयवर्ग की श्रेणी का आवास इस आदेष से दो माह की अवधि में प्रार्थी द्वारा जमा कराई गई राषि में ही आवंटित करें ।
(2) प्रार्थीया अप्रार्थी मण्डल से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 3000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(3) क्र. सं. 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी मण्डल प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थीया अप्रार्थी मण्डल से उक्त राषि पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
9. आदेष दिनांक 15.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष