Rajasthan

Ajmer

CC/73/2014

ARADARAM - Complainant(s)

Versus

R.H.B - Opp.Party(s)

ADV VIJENDRA CHAUDHARY

06 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/73/2014
 
1. ARADARAM
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. R.H.B
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री अणदाराम पुत्र श्री जवानराम, जाति- जाट, उम्र- 48 वर्ष, निरीक्षक, सांख्यिकी षाखा, निदेषालय,आयुर्वेद, राजस्ािान, अजमेर ।

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, खण्ड, अजमेर, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 73/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विनोद षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 23.02.2015


1.           यह परिवाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी राजस्थान आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा ) की एक पंजीकरण योजना वर्ष 2013 जो किषनगढ फेज चतुर्थ योजना के नाम से षुरू हुई में दिनांक 9.4.2013 को  आवासन आवंटन हेतु मध्यम आय वर्ग-ए के लिए आवेदन किया, के संबंध में लाया गया है । 
2.        परिवाद व अप्रार्थी के जवाब अनुसार मामले से संबंधित निम्न तथ्य स्वीकृतषुदा है:-
    (1)    प्रार्थी ने नगद भुगतान पद्वति में विकल्प लिया था । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा आवंटन राषि रू. 50,000/- अप्रार्थी मण्डल के यहां जमा करा दिए थे । 
    (3)    प्रार्थी के आवेदन को नगद भुगतान पद्वति में नहीं रखा जाकर किराया क्रय पद्वति में सम्मिलित किया गया । नगद भुगतान के विकल्प के अन्तर्गत 11 आवेदकों के आवेदन सही पाए गए जबकि किराया क्रय पद्वति के 62 आवेदकों के आवेदन सहीं पाए गए । 
    (4)    नगद भुगतान पद्वति में 6 आवेदक सफल रहे जबकि किराया क्रय पद्वति में 7 आवेदक सफल रहे । 
    (5)    अप्रार्थी मण्डल ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मानवीय भूल  व सहवन से प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत लाटरी में रखा जाना था, किराया क्रय पद्वति में रख दिया गया । 
       प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी  मण्डल के विरूद्व इसी आयाय की सेवा में कमी दर्षाई कि उन्होने जानबूझकर दुर्भावनापूर्वक प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत था, को किराया क्रय पद्वति रख दिया गया । नगद भुगतान के विकल्प में मात्र 11 आवेदकों के ही आवेदन सही पाए गए जिसमें से 6 आवेंदक सफल रहे है जबकि किराया क्रय पद्वति के अन्तर्गत 62 आवेदकों के फार्म सही पाए और 7 आवेदक सफल रहे । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी को दी जाने वाली सेवा में कमी कारित की है । यदि प्रार्थी का यह आवेदन उसके दर्षाए विकल्प अनुसार  होता तो प्रार्थी को आवास अवष्य आवंटित होता । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि  दिनांक 
14.8.2013 को निकाली गई लाॅटरी को निरस्त  किया जावे एवं प्रार्थी के विकल्प अनुसार लाटरी पुनः निकाली जावे । विकल्प में निवेदन किया है कि यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को भरी गई केटेगरी के अनुसार आवास का आवंटन उसी दर  पर किया  जावे  व अन्य अनुतोष हर्जे व खर्चे से संबंधित है । 
2.     अप्रार्थी आंवासन मण्डल ने अपने जवाब में जिस तरह से उपर स्वीकृतषुदा  तथ्यों का उल्लेख किया है के अनुसार ही जवाब पेष किया तथा अप्रार्थी  मण्डल ने दर्षाया है कि मण्डल ने कोई दुर्भावना या जानबूझकर ऐसा नही ंकिया बल्कि मानवीय भूल से प्रार्थी की ओर से दिए गए विकल्प में  उसका आवेदन नहीं रखा जाकर  किराया क्रय पद्वति में रख दिया था । जवाब में यह भी बतलाया कि सही पाए गए आवेदन पत्रों की सूची की सूचना अखबारेां में भी प्रकाषित की गई । प्रार्थी ने समय पर कोई आक्षेप नहीं किया एवं लाटरी निकालने के बाद  जब प्रार्थी का नाम लाॅटरी में नहीं आया तब यह परिवाद लाया गया है एवं स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी से इन्कार किया है । 
3.    जहां तक प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल का उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित  बिन्दु है कि:-
    (1)    क्या अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी के आवेदन को नगद क्रय पद्वति के स्थान पर  किराया क्रय  पद्वति में षामिल     कर सेवा में कमी कारित की है ?
    (2)    प्रार्थी ने चूंकि उसका आवेदन जो नगद क्रय पद्वति के अन्तर्गत था जिसे किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया  गया । अतः अप्रार्थी मण्डल की इस गलती के लिए अब प्रार्थी चाहे गए अनुतोष के अनुसार इस नीलामी को निरस्त करवा कर पुनः नीलामी करवाने का अधिकारी है? विकल्प में प्रार्थी नगद क्रय पद्वति के तहत आवास का आवंटन उसी दर पर करवाने का अधिकारी है ?
4.        उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं  पर हमने पक्षकारान को सुना । हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्न तरह से करते है:-
5.         निर्णय बिन्दु संख्या 1:- जहां तक निर्णय बिन्दु संख्या 1 का प्रष्न है यह स्वीकृतषुदा  स्थिति है कि प्रार्थी ने  अपना आवेदन नगद क्रय पद्वति हेतु किया था लेकिन उसका आवंेदन किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया गया । इस हेतु अप्रार्थी का कथन है कि ऐसा मानवीय भूल से हो गया था । अप्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि ऐसी सूचना अखबारों के जरिए  प्रसारित हुई लेकिन प्रार्थी ने समय पर आपत्ति नहीं की । अतः उनके विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी मण्डल अपनी गलती को मानवीय भूल के  आधार पर कम नहीं कर सकता । हालांकि परिवाद में वर्णितानुसार अप्रार्थी मण्डल ने  ऐसा जानबूझकर किया, सिद्व नहीं माना जावे तब भी अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य से उनके पक्ष में सेवा में कमी बखूबी सिद्व हो रही हे । अतः हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को जिस श्रेणी हेतु  प्रार्थी ने  आवेदन किया, से भिन्न श्रेेणी में सम्मिलित कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
6.     निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  प्रार्थी ने अप्रार्थी मण्डल की इस भूल के लिए  कि जो प्रष्नगत लाटरी अप्रार्थी मण्डल ने निकाली, को निरस्त कर पुनः लाटरी निकलवाने एवं  यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को इस श्रेणी में आवेदन  की गई श्रेणी का  आवास दिलवाए जाने का अनुतोष चाहा है। 
7.    प्रार्थी का मुख्य कथन रहा है कि नगद क्रय पद्वति में 11 आवेदन ही सही पाए गए थे एवं लाटरी में सम्मिलित किए गए जिनमें से 6 आवेदक सफल रहे  जबकि किराया क्रय पद्वति हेतु 62 आवेदन लाटरी में सम्मिलित किए गए  किन्तु इस श्रेणी हेतु 7 आवास ही उपलबध थे । इस प्रकार जिस श्रेणी में  प्रार्थी का आवेदन था, को जानबूझकर दूसरी श्रेणी में षामिल किया उक्त श्रेणी में आवेदकों की संख्या नगद क्रय पद्वति के आवेदकों की संख्या  से कई गुणा अधिक थी एवं इसी कारण  प्रार्थी का लाटरी में नाम नहीं आया क्योंकि आवेदक अधिक होने से  अवसर कम हो गए थे जबकि नगद क्रय पद्वति में मात्र 11 ही आवेदन थे एवं 6 आवास इस श्रेणी में उपलब्ध थे । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के आवास आवंटन के अवसर अधिक थे । 
8.     हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि दोनो ही श्रेणी में  आंवटन लाटरी के आधार पर हुआ है । नगद क्रय पद्वति जिस हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया , में भी आवंटन लाॅटरी के आधार पर ही हुआ है । इस श्रेणी में  6 आवास हेतु 11 आवेदन प्राप्त हुए थे । प्रकरण के तथ्य ऐसे नहीं है कि इस हेतु 6 आवास ही थे तथा आवेदन भी 6 ही प्राप्त हुए थे एवं इस प्रकार प्रार्थी को  आवास का आवंटन होना निष्चित था । जहां आवंटन लाॅटरी के आधार पर किया जाता है, उस स्थिति में  यदि आवेदकों की संख्या कम भी हो तो भी लाॅटरी में नाम आने की गारण्टी नहीं माना जा सकता  । 
9.     इसी प्रकार किराया क्रय पद्वति में आवेदन अधिक अर्थात 62 होने से प्रार्थी का नाम लाटरी में नहीं आया, यह कारण भी मानने योग्य नहीं है ।  प्रार्थी ने उक्त लाटरी को  उपर वर्णित कारणों से निरस्त कर दोबारा निकलवाए जाने का निवेदन किया किन्तु प्रार्थी द्वारा यह नहीं दर्षाया गया है कि लाॅटरी की यह प्रक्रिया अब तक भी अंतिम नहीं होकर  प्रक्रियाधीन  है ।   अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी उक्त लाॅटरी को  निरस्त कर दोबारा लाॅटरी निकलाने जाने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । 
10.    जहां तक  अप्रार्थी मण्डल की इस भूल या गलती से प्रार्थी इस कीमत पर मकान आवंटन करवाए जाने का अधिकारी है, के संबंध में हमारा मत है कि प्रार्थी का यह अनुतोष भी स्वीकार होने योग्य नहीं है क्योंकि आवंटन लाॅटरी के आधार पर हुआ था  एवं प्रार्थी का नाम भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने की वजह से  प्रार्थी  के नाम की लाॅटरी नहीं निकली, सिद्व नहीं माना गया है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  आवेदित श्रेणी का अन्य आवास प्राप्त करने का अधिकारी हो, अनुतोष भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा आवेदित श्रेणी का कोई आवास इस स्कीम में आज भी रिक्त हो, कथन नहीं किया गया है  एवं  न ही पत्रावली पर ऐसी कोई साक्ष्य है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित श्रेणी में नहीं रखा जाकर भिन्न श्रेणी में  सम्मिलित किए जाने की हद तक  अप्रार्थी मण्डल को सेवा में कमी का दोषी माना जाता  है । 
12.    अप्रार्थी मण्डल ने अपने इस कृत्य को एक मानवीय भूल बतलाते हुए बहुत हल्के में लिया है । अप्रार्थी मण्डल आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने   का कार्य करता है । अपना आवास होना  हर व्यक्ति का एक सपना होता है । प्रार्थी के मामले में चूंकि आवंटन लाटरी से हुआ था एवं जिस श्रेणी हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया यदि उसका आवेंदन उसी श्रेणी में रख भी दिया जाता तो भी आवंटन की कोई  गारण्टी नहीं मानी जा सकती किन्तु यदि उसका आवंटन उसके द्वारा चाही गई श्रेणी में रखे जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में  नहीं जाता तो उसे इतनी व्यथा नहीं  होती  जितनी व्यथा उसके आवंटन को गलत श्रेणी में रख दिए जाने से  एवं लाॅटरी में नाम नहीं आने से हुई है । इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह वाद लाया गया है ।  अप्रार्थी मण्डल यदि  सावधानी व गम्भीरता से कार्य करता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल का यह कृत्य एक गम्भीर लापरवाही  है  ।
13.      निर्णय बिन्दु संख्या 1 व 2 का निर्णय जिस तरह से हुआ है उस तरह से प्रार्थी का यह परिवाद प्रष्नगत लाॅटरी को निरस्त किए जाने एवं विकल्प में उसे आवंटित श्रेणी का आवास उपलब्ध करवाए जाने हेतु स्वीकार होने योग्य नहीं है  किन्तु उपर हुए विवेचन अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वाारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित  श्रेणी से भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने से उसके पक्ष में जो सेवा में कमी सिद्व मानी गई है एवं उपर हुए विवेचन अनुसार  अप्रार्थीगण  के इस कृत्य से प्रार्थी को भारी मानसिक संताप व पीडा हुई है और इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है  जिसमें भी प्रार्थी का  समय, श्रम व धन  व्यय हुआ है ।  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  इस मानसिक संताप, पीडा एवं वाद व्यय  आदि के लिए उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में   राषि प्राप्त करने का अधिकारी है  एवं इस हेतु प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
14.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  मानसिक संताप व पीडा के संबंध में राषि रू.50,000/-(अक्षरे रू. पचास हजार मात्र)  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से वाद व्यय के रूप में राषि रू.10,000/-(अक्षरे रू. दस हजार मात्र) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  मण्डल प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
15.        आदेष दिनांक 23.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
            

 

 

 
 जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री अणदाराम पुत्र श्री जवानराम, जाति- जाट, उम्र- 48 वर्ष, निरीक्षक, सांख्यिकी षाखा, निदेषालय,आयुर्वेद, राजस्ािान, अजमेर ।

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, खण्ड, अजमेर, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 73/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विनोद षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 23.02.2015


1.           यह परिवाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी राजस्थान आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा ) की एक पंजीकरण योजना वर्ष 2013 जो किषनगढ फेज चतुर्थ योजना के नाम से षुरू हुई में दिनांक 9.4.2013 को  आवासन आवंटन हेतु मध्यम आय वर्ग-ए के लिए आवेदन किया, के संबंध में लाया गया है । 
2.        परिवाद व अप्रार्थी के जवाब अनुसार मामले से संबंधित निम्न तथ्य स्वीकृतषुदा है:-
    (1)    प्रार्थी ने नगद भुगतान पद्वति में विकल्प लिया था । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा आवंटन राषि रू. 50,000/- अप्रार्थी मण्डल के यहां जमा करा दिए थे । 
    (3)    प्रार्थी के आवेदन को नगद भुगतान पद्वति में नहीं रखा जाकर किराया क्रय पद्वति में सम्मिलित किया गया । नगद भुगतान के विकल्प के अन्तर्गत 11 आवेदकों के आवेदन सही पाए गए जबकि किराया क्रय पद्वति के 62 आवेदकों के आवेदन सहीं पाए गए । 
    (4)    नगद भुगतान पद्वति में 6 आवेदक सफल रहे जबकि किराया क्रय पद्वति में 7 आवेदक सफल रहे । 
    (5)    अप्रार्थी मण्डल ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मानवीय भूल  व सहवन से प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत लाटरी में रखा जाना था, किराया क्रय पद्वति में रख दिया गया । 
       प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी  मण्डल के विरूद्व इसी आयाय की सेवा में कमी दर्षाई कि उन्होने जानबूझकर दुर्भावनापूर्वक प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत था, को किराया क्रय पद्वति रख दिया गया । नगद भुगतान के विकल्प में मात्र 11 आवेदकों के ही आवेदन सही पाए गए जिसमें से 6 आवेंदक सफल रहे है जबकि किराया क्रय पद्वति के अन्तर्गत 62 आवेदकों के फार्म सही पाए और 7 आवेदक सफल रहे । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी को दी जाने वाली सेवा में कमी कारित की है । यदि प्रार्थी का यह आवेदन उसके दर्षाए विकल्प अनुसार  होता तो प्रार्थी को आवास अवष्य आवंटित होता । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि  दिनांक 
14.8.2013 को निकाली गई लाॅटरी को निरस्त  किया जावे एवं प्रार्थी के विकल्प अनुसार लाटरी पुनः निकाली जावे । विकल्प में निवेदन किया है कि यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को भरी गई केटेगरी के अनुसार आवास का आवंटन उसी दर  पर किया  जावे  व अन्य अनुतोष हर्जे व खर्चे से संबंधित है । 
2.     अप्रार्थी आंवासन मण्डल ने अपने जवाब में जिस तरह से उपर स्वीकृतषुदा  तथ्यों का उल्लेख किया है के अनुसार ही जवाब पेष किया तथा अप्रार्थी  मण्डल ने दर्षाया है कि मण्डल ने कोई दुर्भावना या जानबूझकर ऐसा नही ंकिया बल्कि मानवीय भूल से प्रार्थी की ओर से दिए गए विकल्प में  उसका आवेदन नहीं रखा जाकर  किराया क्रय पद्वति में रख दिया था । जवाब में यह भी बतलाया कि सही पाए गए आवेदन पत्रों की सूची की सूचना अखबारेां में भी प्रकाषित की गई । प्रार्थी ने समय पर कोई आक्षेप नहीं किया एवं लाटरी निकालने के बाद  जब प्रार्थी का नाम लाॅटरी में नहीं आया तब यह परिवाद लाया गया है एवं स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी से इन्कार किया है । 
3.    जहां तक प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल का उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित  बिन्दु है कि:-
    (1)    क्या अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी के आवेदन को नगद क्रय पद्वति के स्थान पर  किराया क्रय  पद्वति में षामिल     कर सेवा में कमी कारित की है ?
    (2)    प्रार्थी ने चूंकि उसका आवेदन जो नगद क्रय पद्वति के अन्तर्गत था जिसे किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया  गया । अतः अप्रार्थी मण्डल की इस गलती के लिए अब प्रार्थी चाहे गए अनुतोष के अनुसार इस नीलामी को निरस्त करवा कर पुनः नीलामी करवाने का अधिकारी है? विकल्प में प्रार्थी नगद क्रय पद्वति के तहत आवास का आवंटन उसी दर पर करवाने का अधिकारी है ?
4.        उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं  पर हमने पक्षकारान को सुना । हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्न तरह से करते है:-
5.         निर्णय बिन्दु संख्या 1:- जहां तक निर्णय बिन्दु संख्या 1 का प्रष्न है यह स्वीकृतषुदा  स्थिति है कि प्रार्थी ने  अपना आवेदन नगद क्रय पद्वति हेतु किया था लेकिन उसका आवंेदन किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया गया । इस हेतु अप्रार्थी का कथन है कि ऐसा मानवीय भूल से हो गया था । अप्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि ऐसी सूचना अखबारों के जरिए  प्रसारित हुई लेकिन प्रार्थी ने समय पर आपत्ति नहीं की । अतः उनके विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी मण्डल अपनी गलती को मानवीय भूल के  आधार पर कम नहीं कर सकता । हालांकि परिवाद में वर्णितानुसार अप्रार्थी मण्डल ने  ऐसा जानबूझकर किया, सिद्व नहीं माना जावे तब भी अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य से उनके पक्ष में सेवा में कमी बखूबी सिद्व हो रही हे । अतः हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को जिस श्रेणी हेतु  प्रार्थी ने  आवेदन किया, से भिन्न श्रेेणी में सम्मिलित कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
6.     निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  प्रार्थी ने अप्रार्थी मण्डल की इस भूल के लिए  कि जो प्रष्नगत लाटरी अप्रार्थी मण्डल ने निकाली, को निरस्त कर पुनः लाटरी निकलवाने एवं  यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को इस श्रेणी में आवेदन  की गई श्रेणी का  आवास दिलवाए जाने का अनुतोष चाहा है। 
7.    प्रार्थी का मुख्य कथन रहा है कि नगद क्रय पद्वति में 11 आवेदन ही सही पाए गए थे एवं लाटरी में सम्मिलित किए गए जिनमें से 6 आवेदक सफल रहे  जबकि किराया क्रय पद्वति हेतु 62 आवेदन लाटरी में सम्मिलित किए गए  किन्तु इस श्रेणी हेतु 7 आवास ही उपलबध थे । इस प्रकार जिस श्रेणी में  प्रार्थी का आवेदन था, को जानबूझकर दूसरी श्रेणी में षामिल किया उक्त श्रेणी में आवेदकों की संख्या नगद क्रय पद्वति के आवेदकों की संख्या  से कई गुणा अधिक थी एवं इसी कारण  प्रार्थी का लाटरी में नाम नहीं आया क्योंकि आवेदक अधिक होने से  अवसर कम हो गए थे जबकि नगद क्रय पद्वति में मात्र 11 ही आवेदन थे एवं 6 आवास इस श्रेणी में उपलब्ध थे । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के आवास आवंटन के अवसर अधिक थे । 
8.     हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि दोनो ही श्रेणी में  आंवटन लाटरी के आधार पर हुआ है । नगद क्रय पद्वति जिस हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया , में भी आवंटन लाॅटरी के आधार पर ही हुआ है । इस श्रेणी में  6 आवास हेतु 11 आवेदन प्राप्त हुए थे । प्रकरण के तथ्य ऐसे नहीं है कि इस हेतु 6 आवास ही थे तथा आवेदन भी 6 ही प्राप्त हुए थे एवं इस प्रकार प्रार्थी को  आवास का आवंटन होना निष्चित था । जहां आवंटन लाॅटरी के आधार पर किया जाता है, उस स्थिति में  यदि आवेदकों की संख्या कम भी हो तो भी लाॅटरी में नाम आने की गारण्टी नहीं माना जा सकता  । 
9.     इसी प्रकार किराया क्रय पद्वति में आवेदन अधिक अर्थात 62 होने से प्रार्थी का नाम लाटरी में नहीं आया, यह कारण भी मानने योग्य नहीं है ।  प्रार्थी ने उक्त लाटरी को  उपर वर्णित कारणों से निरस्त कर दोबारा निकलवाए जाने का निवेदन किया किन्तु प्रार्थी द्वारा यह नहीं दर्षाया गया है कि लाॅटरी की यह प्रक्रिया अब तक भी अंतिम नहीं होकर  प्रक्रियाधीन  है ।   अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी उक्त लाॅटरी को  निरस्त कर दोबारा लाॅटरी निकलाने जाने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । 
10.    जहां तक  अप्रार्थी मण्डल की इस भूल या गलती से प्रार्थी इस कीमत पर मकान आवंटन करवाए जाने का अधिकारी है, के संबंध में हमारा मत है कि प्रार्थी का यह अनुतोष भी स्वीकार होने योग्य नहीं है क्योंकि आवंटन लाॅटरी के आधार पर हुआ था  एवं प्रार्थी का नाम भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने की वजह से  प्रार्थी  के नाम की लाॅटरी नहीं निकली, सिद्व नहीं माना गया है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  आवेदित श्रेणी का अन्य आवास प्राप्त करने का अधिकारी हो, अनुतोष भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा आवेदित श्रेणी का कोई आवास इस स्कीम में आज भी रिक्त हो, कथन नहीं किया गया है  एवं  न ही पत्रावली पर ऐसी कोई साक्ष्य है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित श्रेणी में नहीं रखा जाकर भिन्न श्रेणी में  सम्मिलित किए जाने की हद तक  अप्रार्थी मण्डल को सेवा में कमी का दोषी माना जाता  है । 
12.    अप्रार्थी मण्डल ने अपने इस कृत्य को एक मानवीय भूल बतलाते हुए बहुत हल्के में लिया है । अप्रार्थी मण्डल आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने   का कार्य करता है । अपना आवास होना  हर व्यक्ति का एक सपना होता है । प्रार्थी के मामले में चूंकि आवंटन लाटरी से हुआ था एवं जिस श्रेणी हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया यदि उसका आवेंदन उसी श्रेणी में रख भी दिया जाता तो भी आवंटन की कोई  गारण्टी नहीं मानी जा सकती किन्तु यदि उसका आवंटन उसके द्वारा चाही गई श्रेणी में रखे जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में  नहीं जाता तो उसे इतनी व्यथा नहीं  होती  जितनी व्यथा उसके आवंटन को गलत श्रेणी में रख दिए जाने से  एवं लाॅटरी में नाम नहीं आने से हुई है । इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह वाद लाया गया है ।  अप्रार्थी मण्डल यदि  सावधानी व गम्भीरता से कार्य करता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल का यह कृत्य एक गम्भीर लापरवाही  है  ।
13.      निर्णय बिन्दु संख्या 1 व 2 का निर्णय जिस तरह से हुआ है उस तरह से प्रार्थी का यह परिवाद प्रष्नगत लाॅटरी को निरस्त किए जाने एवं विकल्प में उसे आवंटित श्रेणी का आवास उपलब्ध करवाए जाने हेतु स्वीकार होने योग्य नहीं है  किन्तु उपर हुए विवेचन अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वाारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित  श्रेणी से भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने से उसके पक्ष में जो सेवा में कमी सिद्व मानी गई है एवं उपर हुए विवेचन अनुसार  अप्रार्थीगण  के इस कृत्य से प्रार्थी को भारी मानसिक संताप व पीडा हुई है और इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है  जिसमें भी प्रार्थी का  समय, श्रम व धन  व्यय हुआ है ।  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  इस मानसिक संताप, पीडा एवं वाद व्यय  आदि के लिए उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में   राषि प्राप्त करने का अधिकारी है  एवं इस हेतु प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
14.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  मानसिक संताप व पीडा के संबंध में राषि रू.50,000/-(अक्षरे रू. पचास हजार मात्र)  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से वाद व्यय के रूप में राषि रू.10,000/-(अक्षरे रू. दस हजार मात्र) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  मण्डल प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
15.        आदेष दिनांक 23.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
            

 

 

 
 
     


जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री अणदाराम पुत्र श्री जवानराम, जाति- जाट, उम्र- 48 वर्ष, निरीक्षक, सांख्यिकी षाखा, निदेषालय,आयुर्वेद, राजस्ािान, अजमेर ।

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, खण्ड, अजमेर, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 73/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विनोद षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 23.02.2015


1.           यह परिवाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी राजस्थान आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा ) की एक पंजीकरण योजना वर्ष 2013 जो किषनगढ फेज चतुर्थ योजना के नाम से षुरू हुई में दिनांक 9.4.2013 को  आवासन आवंटन हेतु मध्यम आय वर्ग-ए के लिए आवेदन किया, के संबंध में लाया गया है । 
2.        परिवाद व अप्रार्थी के जवाब अनुसार मामले से संबंधित निम्न तथ्य स्वीकृतषुदा है:-
    (1)    प्रार्थी ने नगद भुगतान पद्वति में विकल्प लिया था । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा आवंटन राषि रू. 50,000/- अप्रार्थी मण्डल के यहां जमा करा दिए थे । 
    (3)    प्रार्थी के आवेदन को नगद भुगतान पद्वति में नहीं रखा जाकर किराया क्रय पद्वति में सम्मिलित किया गया । नगद भुगतान के विकल्प के अन्तर्गत 11 आवेदकों के आवेदन सही पाए गए जबकि किराया क्रय पद्वति के 62 आवेदकों के आवेदन सहीं पाए गए । 
    (4)    नगद भुगतान पद्वति में 6 आवेदक सफल रहे जबकि किराया क्रय पद्वति में 7 आवेदक सफल रहे । 
    (5)    अप्रार्थी मण्डल ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मानवीय भूल  व सहवन से प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत लाटरी में रखा जाना था, किराया क्रय पद्वति में रख दिया गया । 
       प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी  मण्डल के विरूद्व इसी आयाय की सेवा में कमी दर्षाई कि उन्होने जानबूझकर दुर्भावनापूर्वक प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत था, को किराया क्रय पद्वति रख दिया गया । नगद भुगतान के विकल्प में मात्र 11 आवेदकों के ही आवेदन सही पाए गए जिसमें से 6 आवेंदक सफल रहे है जबकि किराया क्रय पद्वति के अन्तर्गत 62 आवेदकों के फार्म सही पाए और 7 आवेदक सफल रहे । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी को दी जाने वाली सेवा में कमी कारित की है । यदि प्रार्थी का यह आवेदन उसके दर्षाए विकल्प अनुसार  होता तो प्रार्थी को आवास अवष्य आवंटित होता । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि  दिनांक 
14.8.2013 को निकाली गई लाॅटरी को निरस्त  किया जावे एवं प्रार्थी के विकल्प अनुसार लाटरी पुनः निकाली जावे । विकल्प में निवेदन किया है कि यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को भरी गई केटेगरी के अनुसार आवास का आवंटन उसी दर  पर किया  जावे  व अन्य अनुतोष हर्जे व खर्चे से संबंधित है । 
2.     अप्रार्थी आंवासन मण्डल ने अपने जवाब में जिस तरह से उपर स्वीकृतषुदा  तथ्यों का उल्लेख किया है के अनुसार ही जवाब पेष किया तथा अप्रार्थी  मण्डल ने दर्षाया है कि मण्डल ने कोई दुर्भावना या जानबूझकर ऐसा नही ंकिया बल्कि मानवीय भूल से प्रार्थी की ओर से दिए गए विकल्प में  उसका आवेदन नहीं रखा जाकर  किराया क्रय पद्वति में रख दिया था । जवाब में यह भी बतलाया कि सही पाए गए आवेदन पत्रों की सूची की सूचना अखबारेां में भी प्रकाषित की गई । प्रार्थी ने समय पर कोई आक्षेप नहीं किया एवं लाटरी निकालने के बाद  जब प्रार्थी का नाम लाॅटरी में नहीं आया तब यह परिवाद लाया गया है एवं स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी से इन्कार किया है । 
3.    जहां तक प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल का उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित  बिन्दु है कि:-
    (1)    क्या अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी के आवेदन को नगद क्रय पद्वति के स्थान पर  किराया क्रय  पद्वति में षामिल     कर सेवा में कमी कारित की है ?
    (2)    प्रार्थी ने चूंकि उसका आवेदन जो नगद क्रय पद्वति के अन्तर्गत था जिसे किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया  गया । अतः अप्रार्थी मण्डल की इस गलती के लिए अब प्रार्थी चाहे गए अनुतोष के अनुसार इस नीलामी को निरस्त करवा कर पुनः नीलामी करवाने का अधिकारी है? विकल्प में प्रार्थी नगद क्रय पद्वति के तहत आवास का आवंटन उसी दर पर करवाने का अधिकारी है ?
4.        उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं  पर हमने पक्षकारान को सुना । हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्न तरह से करते है:-
5.         निर्णय बिन्दु संख्या 1:- जहां तक निर्णय बिन्दु संख्या 1 का प्रष्न है यह स्वीकृतषुदा  स्थिति है कि प्रार्थी ने  अपना आवेदन नगद क्रय पद्वति हेतु किया था लेकिन उसका आवंेदन किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया गया । इस हेतु अप्रार्थी का कथन है कि ऐसा मानवीय भूल से हो गया था । अप्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि ऐसी सूचना अखबारों के जरिए  प्रसारित हुई लेकिन प्रार्थी ने समय पर आपत्ति नहीं की । अतः उनके विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी मण्डल अपनी गलती को मानवीय भूल के  आधार पर कम नहीं कर सकता । हालांकि परिवाद में वर्णितानुसार अप्रार्थी मण्डल ने  ऐसा जानबूझकर किया, सिद्व नहीं माना जावे तब भी अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य से उनके पक्ष में सेवा में कमी बखूबी सिद्व हो रही हे । अतः हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को जिस श्रेणी हेतु  प्रार्थी ने  आवेदन किया, से भिन्न श्रेेणी में सम्मिलित कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
6.     निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  प्रार्थी ने अप्रार्थी मण्डल की इस भूल के लिए  कि जो प्रष्नगत लाटरी अप्रार्थी मण्डल ने निकाली, को निरस्त कर पुनः लाटरी निकलवाने एवं  यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को इस श्रेणी में आवेदन  की गई श्रेणी का  आवास दिलवाए जाने का अनुतोष चाहा है। 
7.    प्रार्थी का मुख्य कथन रहा है कि नगद क्रय पद्वति में 11 आवेदन ही सही पाए गए थे एवं लाटरी में सम्मिलित किए गए जिनमें से 6 आवेदक सफल रहे  जबकि किराया क्रय पद्वति हेतु 62 आवेदन लाटरी में सम्मिलित किए गए  किन्तु इस श्रेणी हेतु 7 आवास ही उपलबध थे । इस प्रकार जिस श्रेणी में  प्रार्थी का आवेदन था, को जानबूझकर दूसरी श्रेणी में षामिल किया उक्त श्रेणी में आवेदकों की संख्या नगद क्रय पद्वति के आवेदकों की संख्या  से कई गुणा अधिक थी एवं इसी कारण  प्रार्थी का लाटरी में नाम नहीं आया क्योंकि आवेदक अधिक होने से  अवसर कम हो गए थे जबकि नगद क्रय पद्वति में मात्र 11 ही आवेदन थे एवं 6 आवास इस श्रेणी में उपलब्ध थे । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के आवास आवंटन के अवसर अधिक थे । 
8.     हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि दोनो ही श्रेणी में  आंवटन लाटरी के आधार पर हुआ है । नगद क्रय पद्वति जिस हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया , में भी आवंटन लाॅटरी के आधार पर ही हुआ है । इस श्रेणी में  6 आवास हेतु 11 आवेदन प्राप्त हुए थे । प्रकरण के तथ्य ऐसे नहीं है कि इस हेतु 6 आवास ही थे तथा आवेदन भी 6 ही प्राप्त हुए थे एवं इस प्रकार प्रार्थी को  आवास का आवंटन होना निष्चित था । जहां आवंटन लाॅटरी के आधार पर किया जाता है, उस स्थिति में  यदि आवेदकों की संख्या कम भी हो तो भी लाॅटरी में नाम आने की गारण्टी नहीं माना जा सकता  । 
9.     इसी प्रकार किराया क्रय पद्वति में आवेदन अधिक अर्थात 62 होने से प्रार्थी का नाम लाटरी में नहीं आया, यह कारण भी मानने योग्य नहीं है ।  प्रार्थी ने उक्त लाटरी को  उपर वर्णित कारणों से निरस्त कर दोबारा निकलवाए जाने का निवेदन किया किन्तु प्रार्थी द्वारा यह नहीं दर्षाया गया है कि लाॅटरी की यह प्रक्रिया अब तक भी अंतिम नहीं होकर  प्रक्रियाधीन  है ।   अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी उक्त लाॅटरी को  निरस्त कर दोबारा लाॅटरी निकलाने जाने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । 
10.    जहां तक  अप्रार्थी मण्डल की इस भूल या गलती से प्रार्थी इस कीमत पर मकान आवंटन करवाए जाने का अधिकारी है, के संबंध में हमारा मत है कि प्रार्थी का यह अनुतोष भी स्वीकार होने योग्य नहीं है क्योंकि आवंटन लाॅटरी के आधार पर हुआ था  एवं प्रार्थी का नाम भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने की वजह से  प्रार्थी  के नाम की लाॅटरी नहीं निकली, सिद्व नहीं माना गया है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  आवेदित श्रेणी का अन्य आवास प्राप्त करने का अधिकारी हो, अनुतोष भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा आवेदित श्रेणी का कोई आवास इस स्कीम में आज भी रिक्त हो, कथन नहीं किया गया है  एवं  न ही पत्रावली पर ऐसी कोई साक्ष्य है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित श्रेणी में नहीं रखा जाकर भिन्न श्रेणी में  सम्मिलित किए जाने की हद तक  अप्रार्थी मण्डल को सेवा में कमी का दोषी माना जाता  है । 
12.    अप्रार्थी मण्डल ने अपने इस कृत्य को एक मानवीय भूल बतलाते हुए बहुत हल्के में लिया है । अप्रार्थी मण्डल आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने   का कार्य करता है । अपना आवास होना  हर व्यक्ति का एक सपना होता है । प्रार्थी के मामले में चूंकि आवंटन लाटरी से हुआ था एवं जिस श्रेणी हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया यदि उसका आवेंदन उसी श्रेणी में रख भी दिया जाता तो भी आवंटन की कोई  गारण्टी नहीं मानी जा सकती किन्तु यदि उसका आवंटन उसके द्वारा चाही गई श्रेणी में रखे जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में  नहीं जाता तो उसे इतनी व्यथा नहीं  होती  जितनी व्यथा उसके आवंटन को गलत श्रेणी में रख दिए जाने से  एवं लाॅटरी में नाम नहीं आने से हुई है । इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह वाद लाया गया है ।  अप्रार्थी मण्डल यदि  सावधानी व गम्भीरता से कार्य करता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल का यह कृत्य एक गम्भीर लापरवाही  है  ।
13.      निर्णय बिन्दु संख्या 1 व 2 का निर्णय जिस तरह से हुआ है उस तरह से प्रार्थी का यह परिवाद प्रष्नगत लाॅटरी को निरस्त किए जाने एवं विकल्प में उसे आवंटित श्रेणी का आवास उपलब्ध करवाए जाने हेतु स्वीकार होने योग्य नहीं है  किन्तु उपर हुए विवेचन अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वाारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित  श्रेणी से भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने से उसके पक्ष में जो सेवा में कमी सिद्व मानी गई है एवं उपर हुए विवेचन अनुसार  अप्रार्थीगण  के इस कृत्य से प्रार्थी को भारी मानसिक संताप व पीडा हुई है और इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है  जिसमें भी प्रार्थी का  समय, श्रम व धन  व्यय हुआ है ।  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  इस मानसिक संताप, पीडा एवं वाद व्यय  आदि के लिए उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में   राषि प्राप्त करने का अधिकारी है  एवं इस हेतु प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
14.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  मानसिक संताप व पीडा के संबंध में राषि रू.50,000/-(अक्षरे रू. पचास हजार मात्र)  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से वाद व्यय के रूप में राषि रू.10,000/-(अक्षरे रू. दस हजार मात्र) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  मण्डल प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
15.        आदेष दिनांक 23.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
            

 

 

 
 
     


जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री अणदाराम पुत्र श्री जवानराम, जाति- जाट, उम्र- 48 वर्ष, निरीक्षक, सांख्यिकी षाखा, निदेषालय,आयुर्वेद, राजस्ािान, अजमेर ।

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, खण्ड, अजमेर, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 73/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विनोद षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 23.02.2015


1.           यह परिवाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी राजस्थान आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा ) की एक पंजीकरण योजना वर्ष 2013 जो किषनगढ फेज चतुर्थ योजना के नाम से षुरू हुई में दिनांक 9.4.2013 को  आवासन आवंटन हेतु मध्यम आय वर्ग-ए के लिए आवेदन किया, के संबंध में लाया गया है । 
2.        परिवाद व अप्रार्थी के जवाब अनुसार मामले से संबंधित निम्न तथ्य स्वीकृतषुदा है:-
    (1)    प्रार्थी ने नगद भुगतान पद्वति में विकल्प लिया था । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा आवंटन राषि रू. 50,000/- अप्रार्थी मण्डल के यहां जमा करा दिए थे । 
    (3)    प्रार्थी के आवेदन को नगद भुगतान पद्वति में नहीं रखा जाकर किराया क्रय पद्वति में सम्मिलित किया गया । नगद भुगतान के विकल्प के अन्तर्गत 11 आवेदकों के आवेदन सही पाए गए जबकि किराया क्रय पद्वति के 62 आवेदकों के आवेदन सहीं पाए गए । 
    (4)    नगद भुगतान पद्वति में 6 आवेदक सफल रहे जबकि किराया क्रय पद्वति में 7 आवेदक सफल रहे । 
    (5)    अप्रार्थी मण्डल ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मानवीय भूल  व सहवन से प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत लाटरी में रखा जाना था, किराया क्रय पद्वति में रख दिया गया । 
       प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी  मण्डल के विरूद्व इसी आयाय की सेवा में कमी दर्षाई कि उन्होने जानबूझकर दुर्भावनापूर्वक प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत था, को किराया क्रय पद्वति रख दिया गया । नगद भुगतान के विकल्प में मात्र 11 आवेदकों के ही आवेदन सही पाए गए जिसमें से 6 आवेंदक सफल रहे है जबकि किराया क्रय पद्वति के अन्तर्गत 62 आवेदकों के फार्म सही पाए और 7 आवेदक सफल रहे । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी को दी जाने वाली सेवा में कमी कारित की है । यदि प्रार्थी का यह आवेदन उसके दर्षाए विकल्प अनुसार  होता तो प्रार्थी को आवास अवष्य आवंटित होता । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि  दिनांक 
14.8.2013 को निकाली गई लाॅटरी को निरस्त  किया जावे एवं प्रार्थी के विकल्प अनुसार लाटरी पुनः निकाली जावे । विकल्प में निवेदन किया है कि यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को भरी गई केटेगरी के अनुसार आवास का आवंटन उसी दर  पर किया  जावे  व अन्य अनुतोष हर्जे व खर्चे से संबंधित है । 
2.     अप्रार्थी आंवासन मण्डल ने अपने जवाब में जिस तरह से उपर स्वीकृतषुदा  तथ्यों का उल्लेख किया है के अनुसार ही जवाब पेष किया तथा अप्रार्थी  मण्डल ने दर्षाया है कि मण्डल ने कोई दुर्भावना या जानबूझकर ऐसा नही ंकिया बल्कि मानवीय भूल से प्रार्थी की ओर से दिए गए विकल्प में  उसका आवेदन नहीं रखा जाकर  किराया क्रय पद्वति में रख दिया था । जवाब में यह भी बतलाया कि सही पाए गए आवेदन पत्रों की सूची की सूचना अखबारेां में भी प्रकाषित की गई । प्रार्थी ने समय पर कोई आक्षेप नहीं किया एवं लाटरी निकालने के बाद  जब प्रार्थी का नाम लाॅटरी में नहीं आया तब यह परिवाद लाया गया है एवं स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी से इन्कार किया है । 
3.    जहां तक प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल का उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित  बिन्दु है कि:-
    (1)    क्या अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी के आवेदन को नगद क्रय पद्वति के स्थान पर  किराया क्रय  पद्वति में षामिल     कर सेवा में कमी कारित की है ?
    (2)    प्रार्थी ने चूंकि उसका आवेदन जो नगद क्रय पद्वति के अन्तर्गत था जिसे किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया  गया । अतः अप्रार्थी मण्डल की इस गलती के लिए अब प्रार्थी चाहे गए अनुतोष के अनुसार इस नीलामी को निरस्त करवा कर पुनः नीलामी करवाने का अधिकारी है? विकल्प में प्रार्थी नगद क्रय पद्वति के तहत आवास का आवंटन उसी दर पर करवाने का अधिकारी है ?
4.        उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं  पर हमने पक्षकारान को सुना । हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्न तरह से करते है:-
5.         निर्णय बिन्दु संख्या 1:- जहां तक निर्णय बिन्दु संख्या 1 का प्रष्न है यह स्वीकृतषुदा  स्थिति है कि प्रार्थी ने  अपना आवेदन नगद क्रय पद्वति हेतु किया था लेकिन उसका आवंेदन किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया गया । इस हेतु अप्रार्थी का कथन है कि ऐसा मानवीय भूल से हो गया था । अप्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि ऐसी सूचना अखबारों के जरिए  प्रसारित हुई लेकिन प्रार्थी ने समय पर आपत्ति नहीं की । अतः उनके विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी मण्डल अपनी गलती को मानवीय भूल के  आधार पर कम नहीं कर सकता । हालांकि परिवाद में वर्णितानुसार अप्रार्थी मण्डल ने  ऐसा जानबूझकर किया, सिद्व नहीं माना जावे तब भी अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य से उनके पक्ष में सेवा में कमी बखूबी सिद्व हो रही हे । अतः हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को जिस श्रेणी हेतु  प्रार्थी ने  आवेदन किया, से भिन्न श्रेेणी में सम्मिलित कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
6.     निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  प्रार्थी ने अप्रार्थी मण्डल की इस भूल के लिए  कि जो प्रष्नगत लाटरी अप्रार्थी मण्डल ने निकाली, को निरस्त कर पुनः लाटरी निकलवाने एवं  यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को इस श्रेणी में आवेदन  की गई श्रेणी का  आवास दिलवाए जाने का अनुतोष चाहा है। 
7.    प्रार्थी का मुख्य कथन रहा है कि नगद क्रय पद्वति में 11 आवेदन ही सही पाए गए थे एवं लाटरी में सम्मिलित किए गए जिनमें से 6 आवेदक सफल रहे  जबकि किराया क्रय पद्वति हेतु 62 आवेदन लाटरी में सम्मिलित किए गए  किन्तु इस श्रेणी हेतु 7 आवास ही उपलबध थे । इस प्रकार जिस श्रेणी में  प्रार्थी का आवेदन था, को जानबूझकर दूसरी श्रेणी में षामिल किया उक्त श्रेणी में आवेदकों की संख्या नगद क्रय पद्वति के आवेदकों की संख्या  से कई गुणा अधिक थी एवं इसी कारण  प्रार्थी का लाटरी में नाम नहीं आया क्योंकि आवेदक अधिक होने से  अवसर कम हो गए थे जबकि नगद क्रय पद्वति में मात्र 11 ही आवेदन थे एवं 6 आवास इस श्रेणी में उपलब्ध थे । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के आवास आवंटन के अवसर अधिक थे । 
8.     हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि दोनो ही श्रेणी में  आंवटन लाटरी के आधार पर हुआ है । नगद क्रय पद्वति जिस हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया , में भी आवंटन लाॅटरी के आधार पर ही हुआ है । इस श्रेणी में  6 आवास हेतु 11 आवेदन प्राप्त हुए थे । प्रकरण के तथ्य ऐसे नहीं है कि इस हेतु 6 आवास ही थे तथा आवेदन भी 6 ही प्राप्त हुए थे एवं इस प्रकार प्रार्थी को  आवास का आवंटन होना निष्चित था । जहां आवंटन लाॅटरी के आधार पर किया जाता है, उस स्थिति में  यदि आवेदकों की संख्या कम भी हो तो भी लाॅटरी में नाम आने की गारण्टी नहीं माना जा सकता  । 
9.     इसी प्रकार किराया क्रय पद्वति में आवेदन अधिक अर्थात 62 होने से प्रार्थी का नाम लाटरी में नहीं आया, यह कारण भी मानने योग्य नहीं है ।  प्रार्थी ने उक्त लाटरी को  उपर वर्णित कारणों से निरस्त कर दोबारा निकलवाए जाने का निवेदन किया किन्तु प्रार्थी द्वारा यह नहीं दर्षाया गया है कि लाॅटरी की यह प्रक्रिया अब तक भी अंतिम नहीं होकर  प्रक्रियाधीन  है ।   अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी उक्त लाॅटरी को  निरस्त कर दोबारा लाॅटरी निकलाने जाने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । 
10.    जहां तक  अप्रार्थी मण्डल की इस भूल या गलती से प्रार्थी इस कीमत पर मकान आवंटन करवाए जाने का अधिकारी है, के संबंध में हमारा मत है कि प्रार्थी का यह अनुतोष भी स्वीकार होने योग्य नहीं है क्योंकि आवंटन लाॅटरी के आधार पर हुआ था  एवं प्रार्थी का नाम भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने की वजह से  प्रार्थी  के नाम की लाॅटरी नहीं निकली, सिद्व नहीं माना गया है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  आवेदित श्रेणी का अन्य आवास प्राप्त करने का अधिकारी हो, अनुतोष भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा आवेदित श्रेणी का कोई आवास इस स्कीम में आज भी रिक्त हो, कथन नहीं किया गया है  एवं  न ही पत्रावली पर ऐसी कोई साक्ष्य है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित श्रेणी में नहीं रखा जाकर भिन्न श्रेणी में  सम्मिलित किए जाने की हद तक  अप्रार्थी मण्डल को सेवा में कमी का दोषी माना जाता  है । 
12.    अप्रार्थी मण्डल ने अपने इस कृत्य को एक मानवीय भूल बतलाते हुए बहुत हल्के में लिया है । अप्रार्थी मण्डल आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने   का कार्य करता है । अपना आवास होना  हर व्यक्ति का एक सपना होता है । प्रार्थी के मामले में चूंकि आवंटन लाटरी से हुआ था एवं जिस श्रेणी हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया यदि उसका आवेंदन उसी श्रेणी में रख भी दिया जाता तो भी आवंटन की कोई  गारण्टी नहीं मानी जा सकती किन्तु यदि उसका आवंटन उसके द्वारा चाही गई श्रेणी में रखे जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में  नहीं जाता तो उसे इतनी व्यथा नहीं  होती  जितनी व्यथा उसके आवंटन को गलत श्रेणी में रख दिए जाने से  एवं लाॅटरी में नाम नहीं आने से हुई है । इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह वाद लाया गया है ।  अप्रार्थी मण्डल यदि  सावधानी व गम्भीरता से कार्य करता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल का यह कृत्य एक गम्भीर लापरवाही  है  ।
13.      निर्णय बिन्दु संख्या 1 व 2 का निर्णय जिस तरह से हुआ है उस तरह से प्रार्थी का यह परिवाद प्रष्नगत लाॅटरी को निरस्त किए जाने एवं विकल्प में उसे आवंटित श्रेणी का आवास उपलब्ध करवाए जाने हेतु स्वीकार होने योग्य नहीं है  किन्तु उपर हुए विवेचन अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वाारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित  श्रेणी से भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने से उसके पक्ष में जो सेवा में कमी सिद्व मानी गई है एवं उपर हुए विवेचन अनुसार  अप्रार्थीगण  के इस कृत्य से प्रार्थी को भारी मानसिक संताप व पीडा हुई है और इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है  जिसमें भी प्रार्थी का  समय, श्रम व धन  व्यय हुआ है ।  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  इस मानसिक संताप, पीडा एवं वाद व्यय  आदि के लिए उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में   राषि प्राप्त करने का अधिकारी है  एवं इस हेतु प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
14.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  मानसिक संताप व पीडा के संबंध में राषि रू.50,000/-(अक्षरे रू. पचास हजार मात्र)  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से वाद व्यय के रूप में राषि रू.10,000/-(अक्षरे रू. दस हजार मात्र) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  मण्डल प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
15.        आदेष दिनांक 23.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
            

 

 

 
 
     


जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री अणदाराम पुत्र श्री जवानराम, जाति- जाट, उम्र- 48 वर्ष, निरीक्षक, सांख्यिकी षाखा, निदेषालय,आयुर्वेद, राजस्ािान, अजमेर ।

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

राजस्थान आवासन मण्डल जरिए आवासीय अभियंता, खण्ड, अजमेर, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 73/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विनोद षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 23.02.2015


1.           यह परिवाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी राजस्थान आवासन मण्डल (जो इस निर्णय में आगे मात्र मण्डल ही कहलाएगा ) की एक पंजीकरण योजना वर्ष 2013 जो किषनगढ फेज चतुर्थ योजना के नाम से षुरू हुई में दिनांक 9.4.2013 को  आवासन आवंटन हेतु मध्यम आय वर्ग-ए के लिए आवेदन किया, के संबंध में लाया गया है । 
2.        परिवाद व अप्रार्थी के जवाब अनुसार मामले से संबंधित निम्न तथ्य स्वीकृतषुदा है:-
    (1)    प्रार्थी ने नगद भुगतान पद्वति में विकल्प लिया था । 
    (2)    प्रार्थी द्वारा आवंटन राषि रू. 50,000/- अप्रार्थी मण्डल के यहां जमा करा दिए थे । 
    (3)    प्रार्थी के आवेदन को नगद भुगतान पद्वति में नहीं रखा जाकर किराया क्रय पद्वति में सम्मिलित किया गया । नगद भुगतान के विकल्प के अन्तर्गत 11 आवेदकों के आवेदन सही पाए गए जबकि किराया क्रय पद्वति के 62 आवेदकों के आवेदन सहीं पाए गए । 
    (4)    नगद भुगतान पद्वति में 6 आवेदक सफल रहे जबकि किराया क्रय पद्वति में 7 आवेदक सफल रहे । 
    (5)    अप्रार्थी मण्डल ने अपने जवाब में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मानवीय भूल  व सहवन से प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत लाटरी में रखा जाना था, किराया क्रय पद्वति में रख दिया गया । 
       प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी  मण्डल के विरूद्व इसी आयाय की सेवा में कमी दर्षाई कि उन्होने जानबूझकर दुर्भावनापूर्वक प्रार्थी का यह आवेदन जो नगद भुगतान पद्वति के अन्तर्गत था, को किराया क्रय पद्वति रख दिया गया । नगद भुगतान के विकल्प में मात्र 11 आवेदकों के ही आवेदन सही पाए गए जिसमें से 6 आवेंदक सफल रहे है जबकि किराया क्रय पद्वति के अन्तर्गत 62 आवेदकों के फार्म सही पाए और 7 आवेदक सफल रहे । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी को दी जाने वाली सेवा में कमी कारित की है । यदि प्रार्थी का यह आवेदन उसके दर्षाए विकल्प अनुसार  होता तो प्रार्थी को आवास अवष्य आवंटित होता । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि  दिनांक 
14.8.2013 को निकाली गई लाॅटरी को निरस्त  किया जावे एवं प्रार्थी के विकल्प अनुसार लाटरी पुनः निकाली जावे । विकल्प में निवेदन किया है कि यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को भरी गई केटेगरी के अनुसार आवास का आवंटन उसी दर  पर किया  जावे  व अन्य अनुतोष हर्जे व खर्चे से संबंधित है । 
2.     अप्रार्थी आंवासन मण्डल ने अपने जवाब में जिस तरह से उपर स्वीकृतषुदा  तथ्यों का उल्लेख किया है के अनुसार ही जवाब पेष किया तथा अप्रार्थी  मण्डल ने दर्षाया है कि मण्डल ने कोई दुर्भावना या जानबूझकर ऐसा नही ंकिया बल्कि मानवीय भूल से प्रार्थी की ओर से दिए गए विकल्प में  उसका आवेदन नहीं रखा जाकर  किराया क्रय पद्वति में रख दिया था । जवाब में यह भी बतलाया कि सही पाए गए आवेदन पत्रों की सूची की सूचना अखबारेां में भी प्रकाषित की गई । प्रार्थी ने समय पर कोई आक्षेप नहीं किया एवं लाटरी निकालने के बाद  जब प्रार्थी का नाम लाॅटरी में नहीं आया तब यह परिवाद लाया गया है एवं स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी से इन्कार किया है । 
3.    जहां तक प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल का उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है । हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित  बिन्दु है कि:-
    (1)    क्या अप्रार्थी मण्डल ने प्रार्थी के आवेदन को नगद क्रय पद्वति के स्थान पर  किराया क्रय  पद्वति में षामिल     कर सेवा में कमी कारित की है ?
    (2)    प्रार्थी ने चूंकि उसका आवेदन जो नगद क्रय पद्वति के अन्तर्गत था जिसे किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया  गया । अतः अप्रार्थी मण्डल की इस गलती के लिए अब प्रार्थी चाहे गए अनुतोष के अनुसार इस नीलामी को निरस्त करवा कर पुनः नीलामी करवाने का अधिकारी है? विकल्प में प्रार्थी नगद क्रय पद्वति के तहत आवास का आवंटन उसी दर पर करवाने का अधिकारी है ?
4.        उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं  पर हमने पक्षकारान को सुना । हम कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्न तरह से करते है:-
5.         निर्णय बिन्दु संख्या 1:- जहां तक निर्णय बिन्दु संख्या 1 का प्रष्न है यह स्वीकृतषुदा  स्थिति है कि प्रार्थी ने  अपना आवेदन नगद क्रय पद्वति हेतु किया था लेकिन उसका आवंेदन किराया क्रय पद्वति में षामिल कर दिया गया । इस हेतु अप्रार्थी का कथन है कि ऐसा मानवीय भूल से हो गया था । अप्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि ऐसी सूचना अखबारों के जरिए  प्रसारित हुई लेकिन प्रार्थी ने समय पर आपत्ति नहीं की । अतः उनके विरूद्व सेवा में कमी सिद्व नहीं है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी मण्डल अपनी गलती को मानवीय भूल के  आधार पर कम नहीं कर सकता । हालांकि परिवाद में वर्णितानुसार अप्रार्थी मण्डल ने  ऐसा जानबूझकर किया, सिद्व नहीं माना जावे तब भी अप्रार्थी मण्डल के इस कृत्य से उनके पक्ष में सेवा में कमी बखूबी सिद्व हो रही हे । अतः हम पाते है कि अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को जिस श्रेणी हेतु  प्रार्थी ने  आवेदन किया, से भिन्न श्रेेणी में सम्मिलित कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
6.     निर्णय बिन्दु संख्या 2:-  प्रार्थी ने अप्रार्थी मण्डल की इस भूल के लिए  कि जो प्रष्नगत लाटरी अप्रार्थी मण्डल ने निकाली, को निरस्त कर पुनः लाटरी निकलवाने एवं  यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो प्रार्थी को इस श्रेणी में आवेदन  की गई श्रेणी का  आवास दिलवाए जाने का अनुतोष चाहा है। 
7.    प्रार्थी का मुख्य कथन रहा है कि नगद क्रय पद्वति में 11 आवेदन ही सही पाए गए थे एवं लाटरी में सम्मिलित किए गए जिनमें से 6 आवेदक सफल रहे  जबकि किराया क्रय पद्वति हेतु 62 आवेदन लाटरी में सम्मिलित किए गए  किन्तु इस श्रेणी हेतु 7 आवास ही उपलबध थे । इस प्रकार जिस श्रेणी में  प्रार्थी का आवेदन था, को जानबूझकर दूसरी श्रेणी में षामिल किया उक्त श्रेणी में आवेदकों की संख्या नगद क्रय पद्वति के आवेदकों की संख्या  से कई गुणा अधिक थी एवं इसी कारण  प्रार्थी का लाटरी में नाम नहीं आया क्योंकि आवेदक अधिक होने से  अवसर कम हो गए थे जबकि नगद क्रय पद्वति में मात्र 11 ही आवेदन थे एवं 6 आवास इस श्रेणी में उपलब्ध थे । इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के आवास आवंटन के अवसर अधिक थे । 
8.     हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत नहीं है क्योंकि दोनो ही श्रेणी में  आंवटन लाटरी के आधार पर हुआ है । नगद क्रय पद्वति जिस हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया , में भी आवंटन लाॅटरी के आधार पर ही हुआ है । इस श्रेणी में  6 आवास हेतु 11 आवेदन प्राप्त हुए थे । प्रकरण के तथ्य ऐसे नहीं है कि इस हेतु 6 आवास ही थे तथा आवेदन भी 6 ही प्राप्त हुए थे एवं इस प्रकार प्रार्थी को  आवास का आवंटन होना निष्चित था । जहां आवंटन लाॅटरी के आधार पर किया जाता है, उस स्थिति में  यदि आवेदकों की संख्या कम भी हो तो भी लाॅटरी में नाम आने की गारण्टी नहीं माना जा सकता  । 
9.     इसी प्रकार किराया क्रय पद्वति में आवेदन अधिक अर्थात 62 होने से प्रार्थी का नाम लाटरी में नहीं आया, यह कारण भी मानने योग्य नहीं है ।  प्रार्थी ने उक्त लाटरी को  उपर वर्णित कारणों से निरस्त कर दोबारा निकलवाए जाने का निवेदन किया किन्तु प्रार्थी द्वारा यह नहीं दर्षाया गया है कि लाॅटरी की यह प्रक्रिया अब तक भी अंतिम नहीं होकर  प्रक्रियाधीन  है ।   अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी उक्त लाॅटरी को  निरस्त कर दोबारा लाॅटरी निकलाने जाने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । 
10.    जहां तक  अप्रार्थी मण्डल की इस भूल या गलती से प्रार्थी इस कीमत पर मकान आवंटन करवाए जाने का अधिकारी है, के संबंध में हमारा मत है कि प्रार्थी का यह अनुतोष भी स्वीकार होने योग्य नहीं है क्योंकि आवंटन लाॅटरी के आधार पर हुआ था  एवं प्रार्थी का नाम भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने की वजह से  प्रार्थी  के नाम की लाॅटरी नहीं निकली, सिद्व नहीं माना गया है । अतः प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  आवेदित श्रेणी का अन्य आवास प्राप्त करने का अधिकारी हो, अनुतोष भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा आवेदित श्रेणी का कोई आवास इस स्कीम में आज भी रिक्त हो, कथन नहीं किया गया है  एवं  न ही पत्रावली पर ऐसी कोई साक्ष्य है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 1 के अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित श्रेणी में नहीं रखा जाकर भिन्न श्रेणी में  सम्मिलित किए जाने की हद तक  अप्रार्थी मण्डल को सेवा में कमी का दोषी माना जाता  है । 
12.    अप्रार्थी मण्डल ने अपने इस कृत्य को एक मानवीय भूल बतलाते हुए बहुत हल्के में लिया है । अप्रार्थी मण्डल आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने   का कार्य करता है । अपना आवास होना  हर व्यक्ति का एक सपना होता है । प्रार्थी के मामले में चूंकि आवंटन लाटरी से हुआ था एवं जिस श्रेणी हेतु प्रार्थी ने आवेदन किया यदि उसका आवेंदन उसी श्रेणी में रख भी दिया जाता तो भी आवंटन की कोई  गारण्टी नहीं मानी जा सकती किन्तु यदि उसका आवंटन उसके द्वारा चाही गई श्रेणी में रखे जाने के उपरान्त भी उसका नाम लाॅटरी में  नहीं जाता तो उसे इतनी व्यथा नहीं  होती  जितनी व्यथा उसके आवंटन को गलत श्रेणी में रख दिए जाने से  एवं लाॅटरी में नाम नहीं आने से हुई है । इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह वाद लाया गया है ।  अप्रार्थी मण्डल यदि  सावधानी व गम्भीरता से कार्य करता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती । इस प्रकार अप्रार्थी मण्डल का यह कृत्य एक गम्भीर लापरवाही  है  ।
13.      निर्णय बिन्दु संख्या 1 व 2 का निर्णय जिस तरह से हुआ है उस तरह से प्रार्थी का यह परिवाद प्रष्नगत लाॅटरी को निरस्त किए जाने एवं विकल्प में उसे आवंटित श्रेणी का आवास उपलब्ध करवाए जाने हेतु स्वीकार होने योग्य नहीं है  किन्तु उपर हुए विवेचन अनुसार अप्रार्थी मण्डल द्वाारा प्रार्थी के आवेदन को आवेदित  श्रेणी से भिन्न श्रेणी में सम्मिलित कर दिए जाने से उसके पक्ष में जो सेवा में कमी सिद्व मानी गई है एवं उपर हुए विवेचन अनुसार  अप्रार्थीगण  के इस कृत्य से प्रार्थी को भारी मानसिक संताप व पीडा हुई है और इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा यह परिवाद लाया गया है  जिसमें भी प्रार्थी का  समय, श्रम व धन  व्यय हुआ है ।  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  इस मानसिक संताप, पीडा एवं वाद व्यय  आदि के लिए उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में   राषि प्राप्त करने का अधिकारी है  एवं इस हेतु प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
14.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से  मानसिक संताप व पीडा के संबंध में राषि रू.50,000/-(अक्षरे रू. पचास हजार मात्र)  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल से वाद व्यय के रूप में राषि रू.10,000/-(अक्षरे रू. दस हजार मात्र) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  मण्डल प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी मण्डल  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
15.        आदेष दिनांक 23.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
            

 

 

 
 
     

 

     

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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