Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/654

Alliance builders - Complainant(s)

Versus

R.D.Vyas - Opp.Party(s)

S K Srivastav

05 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/654
( Date of Filing : 17 Mar 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Alliance builders
Bareily
...........Appellant(s)
Versus
1. R.D.Vyas
Bareily
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jun 2024
Final Order / Judgement

     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 654/2006

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, (प्रथम) बरेली द्वारा परिवाद सं0-79/03 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13/02/2006 के विरूद्ध)

M/S Alliance Builders & Constructors Ltd Having its registered office at, Stadium Road, Barailly through its Director Sr. A.S. Bagga

  1.                                                                                  Appellant  

Versus

Ram das Vyas (dead)

Substitution legal heir

  1. Laxmi Narain Vyas S/O R.D. Vyas R/O 10-A Vaibhav Sun City P.S. Izzatnagar Distt. Bareilly
  2.  Sushila Devi W/o R.D. Vyas
  3. Shashi D/O R.D. Vyas
  4. Tripti Kumar D/o R.D. Vyas

                                                                             …………… Respondents

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री अनिल कुमार मिश्रा

दिनांक:-05.06.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, (प्रथम) बरेली द्वारा परिवाद सं0 79/2003 आर.डी. व्‍यास बनाम एलाइन्‍स बिल्‍डर्स एण्‍ड कान्‍ट्रैक्‍टर्स में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 13.02.2006 के विरूद्ध योजित की गयी है।                
  2.          जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्‍नगत आवास को ध्‍वस्‍त कर पुनर्निर्माण से संबंधित धनराशि अंकन 10,90,750/-रू0 एक माह के अंदर 06 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करें।
  3.          परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी भवन सं0 10 ए वैभव नगर सनसिटी विस्‍तार बरेली का मालिक है। यह भवन 8,72,600/-रू0 में विपक्षी से क्रय किया है तथा दिनांक 02.03.2002 को कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया है। निवास करने पर ज्ञात हुआ कि निम्‍न श्रेणी की भवन निर्माण सामग्री का प्रयोग किया। सीमेण्‍ट, सरिया, लोहा, लकड़ी, ईंटे, पत्‍थर अत्‍यधिक घटिया किस्‍म की लगायी गयी। पानी का बहाव भी गलत बनाया गया। जगह-जगह पानी भरता है। छत और लिण्‍टर में दरारें पड़ गयी। लिण्‍टर सही से सेट नहीं हुआ। छत का फ्लोरिंग भी नहीं की गयी, जिसके कारण छत में पानी रिसने लगा। दीवारें नीचे धसने लगी। दिनांक 14.07.2003 को नोटिस दिया गया, लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  4.          विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया। अंकन 8,72,600/-रू0 का भुगतान स्‍वीकार किया गया, परंतु कथन किया गया कि उत्‍तम श्रेणी का सामान प्रयोग किया गया है। छत टपकने के लिए स्‍वयं परिवादी उत्‍तरदायी हो सकते हैं क्‍योकि उसके द्वारा मकान का रख-रखाव ठीक नहीं किया।
  5.          पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि आर्किटेक्‍ट द्वारा दिये गये विवरण क अनुसार 10,90,750/-रू0 का खर्च इस जर्जर भवन को गिराने और नये भवन का निर्माण करने में होगा, इसलिए इस राशि को अदा करने का आदेश दिया गया है।
  6.           इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य एवं विधि के विपरीत अपना निर्णय पारित किया है। परिवादी को मकान का कब्‍जा दिया जाना चाहिए। कब्‍जा प्राप्‍त करते समय कोई आपत्ति नहीं की गयी, इसलिए बाद मे उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई आधार नहीं था। एकतरफा सुनवाई की गयी। एकतरफा रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी। जिला उपभोक्‍ता आयोग को केवल 5,00,000/-रू0 की सुनवाई का अधिकार प्राप्‍त था, परंतु अंकन 10,00,000/-रू0 से अधिक की अदायगी का आदेश पारित किया गया है।
  7.           अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि याचिका सं0 1885/2008 के0एन0 कंडपाल बनाम एलायंज बिल्‍डर्स तथा अन्‍य  10,000/-रू0 हर्जे पर खारिज की गयी, जो इसी योजना से संबंधित मकान के लिए थी। इसके अलावा अपील सं0 1574/2005, 345/2005 तथा 536/2005 इसी कमीशन द्वारा खारिज की गयी है। यह सभी अपील भी प्रश्‍नगत योजना में स्थित भवन के संबंध में थी, इसलिए इस अपील को भी खारिज किया जाना चाहिए। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क इस आधार पर ग्राह्य नहीं है कि जिन अपीलों के विरूद्ध ऊपर उल्‍लेख किया गया है, उन अपीलों से संबंधित मकान की स्थिति का इस केस से संबंधित मकान की स्थिति के बराबर तुलना नहीं की जा सकती। एक योजना में निर्मित होने के बावजूद कोई मकान निम्‍न श्रेणी का हो सकता है और कोई अच्‍छी श्रेणी का, इसलिए प्रत्‍येक मकान से संबंधित तथ्‍य  भिन्‍न-भिन्‍न प्रकृति के हैं। जिला उपभोक्‍ता  आयोग ने अपना निर्णय एडवोकेट कमिश्‍नर रिपोर्ट तथा आर्किटेक्‍ट रिपोर्ट पर आधारित किया है तथा आवास के स्‍तर क्षीण होने तथा छत टपकना, मकान में पानी भरने तथा घटिया निर्माण सामग्री के संबंध में साक्ष्‍य पर आधारित निष्‍कर्ष पारित किया है।
  8.           अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के इस तर्क में भी कोई बल नहीं है कि एकतरफा निर्णय पारित किया गया है, क्‍योंकि अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया, परंतु उसके बाद स्‍वयं कार्यवाही में भाग नहीं लिया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि अपीलार्थी को सुनने का अवसर प्रदान नहीं किया गया, जब अपीलार्थी ने स्‍वयं सुनवाई में भाग नहीं लिया तब यह तर्क प्रस्‍तुत करने का कोई अवसर नहीं है कि उन्‍हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। अत: इस स्थिति में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। जिन अपीलों में पारित निर्णय की चर्चा की गयी है, वह इसलिए सुसंगत नहीं है कि परिवादी के मकान की स्थिति एडवोकेट कमिश्‍नर तथा आर्किटेक्‍ट रिपोर्ट से साबित है कि यह मकान दयनीय स्थिति में है, जिसका निर्माण कराया जाना आवश्‍यक है, इसलिए मकान के संबंध में दिये गये निष्‍कर्ष पर अपील खारिज होने योग्‍य है, परंतु चूंकि तत्‍समय जिला उपभोक्‍ता आयोग का आर्थिक क्षेत्राधिकार 5,00,000/-रू0 की सीमा तक था, इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि केवल 5,00,000/-रू0 की सीमा तक की जानी चाहिए। अंकन 5,00,000/-रू0 की राशि पर अपीलार्थी द्वारा उसी दर से ब्‍याज की अदायगी की जायेगी, जो दर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा निर्धारित की गयी है।  

आदेश

           अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को पुननिर्माण से संबंधित धनराशि केवल 5,00,000/-रू0 (अंकन पांच लाख रू0 मात्र) अपीलार्थी द्वारा अदा की जाए, जिस पर जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय के अनुसार ब्‍याज देय होगा और ब्‍याज की गणना परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जायेगी।

        उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

       सदस्‍य सदस्‍य

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

  

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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