राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२०९१/२००१
(जिला फोरम/आयोग, झॉसी द्वारा परिवाद सं0-८२/१९९९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०८-२००१ के विरूद्ध)
१. हीरो हॉण्डा मोटर्स लिमिटेड, ३४, कम्युनिटी सेण्टर, बसंत लोक, बसंत विहार, नई दिल्ली-११० ०५७ द्वारा जनरल मैनेजर।
२. मैनेजर/पार्टनर, सूरी ट्रैक्टर्स एण्ड आटोमोबाइल्स, नेहरू मार्ग, सिविल लाइन्स, झॉंसी।
........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
आर0पी0 पाठक, ५७१/१२, प्रेमगंज, निकट जैन डेरी, सीपरी बाजार, झॉंसी।
........... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा विद्वान अधिवक्ता के सहयोगी
अधिवक्ता श्री सत्येन्द्र सिंह।
दिनांक :- २२-०७-२०२१.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला फोरम/आयोग, झॉसी द्वारा परिवाद सं0-८२/१९९९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०८-२००१ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपील के आधार हैं कि परिवादी ने परिवाद इस कथन के साथ जिला फोरम में दायर किया कि उसने अपीलार्थी सं0-२ से हीरो हॉण्डा मोटरसाईकिल दिनांक २१-०९-१९९८ को खरीदी थी और खरीदने वाले दिनांक से ही उसमें निर्माण सम्बन्धी दोष था और साथ ही साथ
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३५ किलोमीटर का कम माइलेज देने की शिकायत थी। उसने इस वाहन के बदले दूसरा वाहन देने के लिए याचना की और विकल्प के रूप में वाहन के कुल मूल्य में बीमा शुल्क सहित तथा उस पर १८ प्रतिशत ब्याज सहित दिलाए जाने का अनुतोष चाहा।
अपीलार्थी ने अपना उत्तर दिया और बताया कि वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं था। उसके द्वारा तीन नि:शुल्क सर्विस भी की गईं और जॉब कार्ड में कोई भी दोष नहीं बताया गया। केवल दूसरी सर्विस में क्लच प्लेट की शिकायत की थी और वह भी परिवादी द्वारा असावधानी से वाहन चलाने का निष्कर्ष था लेकिन उसे भी नि:शुल्क बदल दिया गया। परिवादी ने वारण्टी की शर्तों का उल्लंघन किया और अनधिकृत बाहरी व्यक्तियों से कार्य कराया। वारण्टी ०६ माह या ७५०० किलोमीटर इनमें से जो पहले हो, की थी। जिला फोरम ने आपत्तियों को देखते हुए परिवाद स्वीकार किया और गेयर बॉक्स तथा इंजन एक माह में बदलने का आदेश दिया तथा ३५००/- रू० बतौर हर्जाना देने का भी आदेश दिया। इसी निर्णय से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील प्रस्तुत की गई। प्रश्नगत निर्णय तथ्यों के परे, त्रुटिपूर्ण, विधि विरूद्ध, मनमाना तथा तथ्यों और विधि का बिना सही मूल्यांकन किए पारित किया गया है, जो अपास्त होने योग्य है। यह परिवाद ०६ माह की वारण्टी अवधि समाप्त होने के पश्चात् प्रस्तुत किया गया, अत: चलने योग्य नहीं है। परिवादी ने बाहरी अनधिकृत व्यक्तियों को वाहन दिखाया और उसने अकुशल कारीगरों से कार्य कराया। इस प्रकार उसने वारण्टी शर्तों का उल्लंघन किया।
वारण्टी में दोषयुक्त पुर्जों को बदलने का तथ्य निहित था। परिवादी यह बताने में असफल रहा कि वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष है और उसने जानबूझकर फर्जी और गलत दावा प्रस्तुत किया जिसका उद्देश्य अपीलार्थी को परेशान करना था।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह लिखा है कि हीरो हॉण्डा मोटरसाईकिल क्रय करते ही निर्माण सम्बन्धी दोषयुक्त रही है और आगे यह भी कहा कि निर्माण सम्बन्धी दोष के बारे में उसने विपक्षी से हमेशा शिकायत की है। परिवादी का पूरा कथन इसी पर आधारित है कि यह वाहन क्रय करने के समय से ही निर्माण सम्बन्धी दोष से युक्त था। परिवादी की ओर से जॉब कार्ड की फोटोकापियॉं प्रस्तुत की गई हैं जो पठनीय नहीं हैं और मूल प्रतियॉं प्रस्तुत नहीं की गई हैं। एक जॉब कार्ड दिनांक १०-१०-१९९८ का है जिसमें पहली सर्विस होने का उल्लेख है किन्तु
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इसमें कोई दोष नहीं पाया गया है। दूसरी सर्विस दिनांक १३-११-१९९८ को की गई जैसा कि जॉब कार्ड से मालूम हुआ कि इसमें क्लच खोला गया है और इस सम्बन्ध में किए गए कार्य का कोई भुगतान नहीं लिया गया है। दिनांक २३-१२-१९९८ का तीसरी सर्विस का जॉब कार्ड है जिसमें किसी प्रकार का कोई दोष अंकित नहीं है। एक जाब कार्ड दिनांक १३-०९-१९९९ का है जो वाहन के औसत परीक्षण के सम्बन्ध में है, जिसमें यह पाया गया कि १०० मिली लीटर पेट्रोल के साथ यह वाहन ७.८ कि0मी0 और ७.७ कि0मी0 चला अर्थात् इसका औसत ७७ – ७८ किलो मीटर प्रति लीटर हुआ। परिवादी द्वारा ऐसा कोई जॉब कार्ड प्रस्तुत नहीं किया गया जिसमें क्लच खोलने के अलावा अन्य कोई शिकायत का इन्द्राज हो। पहली सर्विस में कोई दोष नहीं पाया गया। दूसरी सर्विस में दोष का निराकरण कर दिया गया और तीसरी सर्विस में कोई दोष नहीं पाया गया। विपक्षी ने कहा है कि दूसरी सर्विस के समय जो क्लच प्लेट खराब हुई थी वह परिवादी द्वारा लापरवाही से वाहन चलाने के कारण खराब हुई थी जिसे नि:शुल्क बदला गया था। परिवादी की ओर से ऐसा कोई पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिसमें उसने निर्माण सम्बन्धी दोष के बारे में वाहन निर्माता कम्पनी अथवा डीलर को लिखा हो। निर्माण सम्बन्धी दोष कहने मात्र से नहीं माना जाता है। इस दोष को सिद्ध करने के लिए वाहन विशेषज्ञ से जांच कराया जाना आवश्यक होता है और यदि निर्माण सम्बन्धी दोष होता तब परिवादी वाहन चला ही नहीं सकता था। जॉब कार्ड के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि पहली सर्विस ७०० किलोमीटर पर हुई, दूसरी का कोई इन्द्राज नहीं है और तीसरी सर्विस ३००० कि0मी0 पर की गई। निर्माण सम्बन्धी दोष पर वाहन का ३००० कि0मी0 चलाया जाना सम्भव नहीं होता। विद्वान जिला फोरम ने लिखा है कि इंजन और गेयर बॉक्स खराब है और उसे बदला जाए किन्तु इस सम्बन्ध में कोई जांच रिपोर्ट और विशेषज्ञ साक्ष्य नहीं है।
मोहम्मद हसन खालिद हैदर बनाम जनरल मोटर्स प्रा0लि0 व अन्य, पुनरीक्षणसं0-५२५/२०१८ निर्णय दिनांक ०८-०६-२०१८ में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने अपने पहले निर्णय जो टाटा मोटर्स बनामराजेश त्यागी (निर्णय दिनांक ०३-१२-२०१३) पुनरीक्षण सं0-१०३०/२००८ का सन्दर्भ लिया जिसमें कहा गया था कि डिलीवरी लेने के कुछ समय बाद वाहन में कुछ दोष उत्पन्न हुआ और परिवादी को यह मालूम हुआ कि अगली सीट और फर्श में पानी एकत्र होता है जिसे
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विपक्षी ने नहीं हटाया किन्तु मोहम्मद हसन खालिद हैदर के केस में वाहन खरीदने के ९ – १० माह बाद दोषपूर्ण हो गया और तब तक २५०० कि0मी0 वाहन चल चुका था। मा0 राष्ट्रीय आयोग ने कहा यदि वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष होता तब वाहन इतने किलोमीटर नहीं चल सकता था। मा0 राष्ट्रीय आयोग ने इसे निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं पाया।
बलजीत कौर बनाम डिवाइन मोटर्स व अन्य [III(2017) CPJ 599 (NC)] में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि यदि किसी निर्माण सम्बन्धी दोष का कथन किया जाता है तो इसे सिद्ध करने का भार परिवादी का होगा। सन्दर्भित मामले में परिवादी ने ७ या ८ व्यक्तियों के शपथ पत्र अपने पक्ष में प्रस्तुत किए किन्तु मा0 राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि शपथ पत्र, विशेषज्ञ साक्ष्य का स्थान नहीं ले सकते हैं।
सुरेश चन्द्र जैन बनाम सर्विस इंजीनियर एण्ड सेल्स सुपरवाइजर, एम0आर0एफ0 लि0 व अन्य [I(2011) CPJ 63 (NC)] में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि जहॉं पर टायर में निर्माण सम्बन्धी दोष का तर्क लिया गया हो वहॉं पर इसको सिद्ध करने का भार परिवादी का है जो इसको सिद्ध नहीं कर सका। उसने कोई विशेषज्ञ साक्ष्य भी नहीं दिया, अत: वह इसे सिद्ध करने में असफल रहा कि टायर में निर्माण सम्बन्धी दोष था।
वर्तमान मामले में परिवादी ने बार-बार यह कहा कि वाहन क्रय करते ही वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष था किन्तु इस सम्बन्ध में परिवादी ने कोई भी विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, अत: ऐसी स्थिति में परिवादी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है। जिला फोरम ने इस सम्बन्ध में उचित तर्क नहीं दिया है। समस्त तथ्यों और न्यायिक दृष्टान्तों के परिप्रेक्ष्य में यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान मामले में निर्माण सम्बन्धी कोई दोष नहीं पाया गया और जो दोष पाया गया उसे नि:शुल्क ठीक कर दिया गया। अत: सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य है तथा जिला फोरम/आयोग का प्रश्नगत निर्णय अपास्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग, झॉसी द्वारा परिवाद सं0-८२/१९९९ में
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पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०८-२००१ अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-३.