Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2791

Hindustan Coca Cola - Complainant(s)

Versus

R N Shukla - Opp.Party(s)

R K Gupta

30 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2791
( Date of Filing : 04 May 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Hindustan Coca Cola
A
...........Appellant(s)
Versus
1. R N Shukla
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Aug 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                      (मौखिक)

अपील सं0 :- 2791/2006

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0- 275/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28/09/2006 के विरूद्ध)

 

M/s Hindustan Coca Cola Beverages Pvt. Ltd, Mehndiganj, Raja Talab, District Varanasi through Managing Director.

 

  •                                                                             

 

Versus

 

  1. Rajendra Nath Shukla S/o Sri L.P. Shukla R/O 681, Civil Lines, Kalyani Devi Mandir, City & District- Unnao
  2. M/S Dixit Restaurant, Zila Panchayat Campus, District-Unnao through Manager.

 

  •                                                                                      Respondents  

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       श्री आर0के0 गुप्‍ता 

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-      श्री इसार हुसैन तथा श्री गोपाल

                                       जी शुक्‍ला

दिनांक:- 10.12.2021   

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

  •         
  1.     परिवाद सं0 275/2004 राजेन्‍द्र नाथ शुक्‍ला बनाम मेसर्स हिन्‍दुस्‍तान कोका कोला प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.09.2006 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि पेय पदार्थ में तम्‍बाकू शुदा पाउच मिलने पर अंकन 90,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति अदा की जाये तथा इस राशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज अदा किया जाये।
  2.      प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 मेसर्स हिन्‍दुस्‍तान कोका कोला बिवयरेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित थम्‍बसअप ब्रांड का शीतल पेय के निर्माता है और विपक्षी सं0 2 विपक्षी सं0 1 द्वारा निर्मित शीतल पेय विक्रेता है। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 2 मेसर्स दीक्षित रेस्‍टोरेंट जरिए प्रबन्‍धक जिला पंचायत कार्यालय परिसर शहर व जिला उन्‍नाव की दूकान से दिनांक 14.08.2003 को नकद 144/- रूपया अदा करके खरीदी थी, जिनमें से एक बोतल में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल शुदा पाउच पड़ा हुआ पाया गया। विक्रेताविपक्षी सं0 2 से शिकायत पर विपक्षीगण में से किसी ने कोई ध्‍यान नहीं दिया। अत: यह परिवाद योजित किया गया।
  3.     अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 हिन्‍दुस्‍तान कोका कोला बिवरेज प्राइवेट लिमिटे ने ने अपने प्रतिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को उपभोक्‍ता न बताते हुए इस फोरम के क्षेत्राधिकार को उसी आधार पर चुनौती दी। यह भी कहा गया कि प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को कोई हानि या क्षति नहीं हुई। प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी का एक मात्र इरादा विपक्षी कम्‍पनी की साख को नुकसान पहुंचाकर अनाधिकृत लाभ उठाना है जो कानूनी प्रक्रिया के अनुचित लाभ की परिधि में आता है कम्‍पनी अपनी शीतल पेय को स्‍वच्‍छ प्रक्रिया से बोतलों में भरती हैं प्रत्‍येक बोतल अच्‍छी तरह से साफ की जाती है और शीतल पेय भरने से पहले बोतलों को वैज्ञानिक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता है। बोतलों को आटोमेटिक स्‍वचालित मशीनों द्वारा पेय भरकर शील किया जाता है जिसमें से किसी भी बाहरी पदार्थ को आने का अवसर प्राप्‍त नहीं होता। कम्‍पनी बोतलों में शीतल पेय भरने के लिए हर सम्‍भव एहतियात बरतती है। प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा परिवादित बोतल के पेय का परीक्षण अधिकृत प्रयोगशाला द्वारा नहीं कराया गया है। परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत पेय खरीदने का बिल भी फर्जी मालूम होता है। प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 हिन्‍दुस्‍तान कोका कोला बिवरेज कम्‍पनी को दिए गये नोटिस में एक बोतल खरीदने की बात कही है जबकि फोरम के समक्ष पूरी पेटी खरीदे जाने की बात कही गयी है। क्षतिपूर्ति धनराशि भी प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी ने किसी ठोक आधार पर नहीं मांगी है और वह धनराशि कानूनन दिये जाने योग्‍य नहीं है। इसलिए परिवाद मय खर्चा खारिज किये जाने योग्‍य है।
  4.    दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला      उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विपक्षीगण द्वारा निर्मित पेय पदार्थ में लापरवाही बरतते हुए तम्‍बाकू से भरा हुआ पाउच छोड़ दिया गया है, जिसके कारण प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति आशंका और आघात पहुंचा, इसलिए तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया।
  5.     इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य एवं विधि के विपरीत है।
  6.     प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, इसलिए 90,000/- रूपये  क्षतिपूर्ति तथा 2,000/- रू0 वाद खर्च अधि‍रोपित करना गलत है। क्रय करने की रसीद फर्जी एवं बनावटी है और चूंकि किसी प्रकार की क्षति कारित नहीं हुई है इसलिए क्षतिपूर्ति का आदेश विधि विरूद्ध है।
  7.     दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍ता को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
  8.     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि यह साबित नहीं है कि प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा क्रय की गयी बोतल अपीलार्थीगण द्वारा भी उत्‍पादित की गयी थी तथा बोतल को विधि विज्ञान प्रयोगशाला नहीं भेजा गया है, इसलिए बाहरी तत्‍व मौजूद होने का तथ्‍य साबित नहीं है यह भी बहस की गयी है चूंकि किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है। इसलिए क्षतिपूर्ति का आदेश देना विधि विरूद्ध है।
  9.      प्रस्‍तुत केस में प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा क्रय की गयी बोतल की रसीद जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी, तत्‍समय ही अपीलार्थी को ज्ञात हो चुका था कि उनके द्वारा उत्‍पादित बोतल में बाहरी पदार्थ मिलने का आरोप लगाया गया है, इसलिए यदि उनको यह आशंका थी कि किसी व्‍यक्ति द्वारा नकली पेय पदार्थ में उनके नाम का प्रयोग करते हुए बनाया जा रहा है तब आपराधिक शिकायत दर्ज करायी जा सकती थी, परंतु ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता था कि जो बोतल क्रय की गयी वह नकली हो सकती है।
  10.      अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी नजीर पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम होटल प्रताप व अन्‍य III (2015) CPJ 102(NC) में व्‍यवस्‍था दी गयी है कि पेय पदार्थ में बाहरी पदार्थ में फोटोग्राफ बहुत डिम थे और स्‍पष्‍ट पिक्‍चर्स सामने नहीं आ रही थी, इसलिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला को भेजा जाना चाहिए था। प्रस्‍तुत केस में यह स्थिति मौजूद नहीं है। प्रस्‍तुत केस में पेय पदार्थ के अंदर तम्‍बाकू से भरा हुआ पाउच मिला है। यह बोतल जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने बोतल का स्‍वयं अवलोकन किया और स्‍पष्‍ट रूप से पाया कि तम्‍बाकू का खाली पाउच स्‍पष्‍ट रूप देखाई दे रहा है इसलिए जिला उपभोक्‍ता मंच ने स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई दिये बाहरी पदार्थ के आधार पर अपना निष्‍कर्ष दिया है। प्रस्‍तुत केस में डिम फोटोग्राफ जैसी कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए उपरोक्‍त नजीर में दी गयी व्‍यवस्‍था प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों के आधार पर सुसंगत नहीं है।
  11.      अपील के ज्ञापन में यह भी उल्‍लेख है कि परिवाद पत्र में पूरी पेटी खरीदने की बात कही है और नोटिस में केवल एक बोतल क्रय करने के लिए कहा गया है, इसलिए यह नहीं माना जाना चाहिए कि प्रश्‍नगत बोतल उसी पेटी में से निकली है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने इस बिन्‍दु पर निष्‍कर्ष दिया है कि चूंकि 23 बोतल में किसी प्रकार की शिकायत नहीं पायी गयी थी, इसलिए उनके सम्‍बंध में शिकायत नहीं की गयी और जिस बोतल में बाहरी पदार्थ पाया गया, उसी के संबंध में नोटिस दिया गया इसलिए इस बिन्‍दु पर कोई भिन्‍नता नहीं है। इस पीठ को भी यह आभास होता है कि यह भिन्‍नता आज से पूर्वक कारित करने का प्रयास किया गया है। यर्था‍थ में इस बिन्‍दु पर कोई भिन्‍नता नहीं है। प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा पेटी क्रय की गयी, परंतु एक बोतल में बाहरी पदार्थ मिलने के कारण विधिक नोटिस में उसी बोतल की चर्चा की गयी।   
  12.     अब इस बिन्‍दु पर चर्चा किया जाता है कि उपभोक्‍ता को यर्थाथ में कोई हानि कारित नहीं हुई, इसके बावजूद प्रतिकर का आदेश देना विधिसम्‍मत है या नहीं और यदि हां तब प्रतिकर की राशि क्‍या होनी चाहिए। अपीलार्थी द्वारा निर्मित पेय पदार्थ क्रय करने पर यदि उपभोक्‍ता की दृष्टि बोतल में मौजूद बाहरी पदार्थ पर जाती है और वह तब इस पेय पदार्थ का उपभोग नहीं करता तब यह नहीं कहा जा सकता कि चूंकि प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी ने पेय पदार्थ का उपभोग नहीं किया है, इसलिए कोई हानि नहीं हुई है। पेय पदार्थ में तम्‍बाकू का पाउच मिलना देखने मात्र से        प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को मानसिक क्षति कारित हुई है, यद्यपि 90,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश विधिसम्‍मत प्रतीत नहीं होता, इस मद में मात्र 20,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश देना उचित है। इसी प्रकार इस राशि पर 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश दिया गया है। यह ब्‍याज राशि भी अत्‍यधिक है। 18 प्रतिशत की बजाय 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश देना विधिसम्‍मत है।

       

  •  
  •                  अपील आंशिक रूप से की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को अंकन 20,000/- रूपये प्रतिकर तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष का साधारण ब्‍याज देय होगा। शेष निर्णय पुष्‍ट किया जाता है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(विकास सक्‍सेना)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

संदीप आशु0 कोर्ट 2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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