मौखिक
पुनरीक्षण संख्या-106/2003
गाजियाबाद डेवलपमेंट अथारिटी बनाम आर.के. तिवारी
13.09.2021
पुकार कराई गई। पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पीयूष मणि त्रिपाठी उपस्थित आए। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। पीठ के आदेश दिनांक 15.03.2016 का अवलोकन किया गया, जो निम्न प्रकार है :-
'' रिवीजनकर्ता की ओर से श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी श्री सुशील कुमार मिश्रा उपस्थित हैं। उनके तर्क आंशिक रूप से सुने गए। प्रश्नगत रिवीजन याचिका परिवाद संख्या-1227/1994 में पारित आदेश दिनांक 21.09.1998 के विरूद्ध योजित की गयी है। दौरान तर्क श्री मिश्रा द्वारा यह सूचित किया गया। परिवाद में पारित उपरोक्त आदेश के विरूद्ध इस आयोग में अपील योजित की गयी थी, जो आयोग द्वारा निरस्त की गयी। आयोग द्वारा अपील में पारित आदेश के विरूद्ध रिवीजन मा0 राष्ट्रीय आयोग में योजित की गयी। यह रिवीजन भी निरस्त कर दी गयी। ऐसी परिस्थिति में प्रस्तुत रिवीजन किस प्रकार पोषणीय है, वह स्पष्ट नहीं कर सके। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने हेतु आगे समय दिए जाने की प्रार्थना की गयी। दिनांक 26.04.2016 मौखिक तर्क हेतु सूचीबद्ध हो। ''
पुनरीक्षण याचिका की प्रार्थना को देखा, जिसमें प्रार्थना की गई है कि परिवाद संख्या-1227/1994 में पारित आदेश दिनांक 21.09.1998 के अनुक्रम में जो भी निष्पादन निकल रहा हो, उसे अपास्त किया जाए। प्रार्थना विशिष्ठ न होकर व्यापक है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हा रहा है कि निष्पादन वाद का नम्बर क्या है और निष्पादन में पारित आदेश की तिथि क्या है।
माननीय एनसीडीआरसी के आदेश के बाद वर्तमान पुनरीक्षण इनफक्चुअस हो गई है। पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2