Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/1063

Bank Of Baroda - Complainant(s)

Versus

R K Jain - Opp.Party(s)

S M Furquan Isar Husain

03 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/1063
( Date of Filing : 22 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bank Of Baroda
a
...........Appellant(s)
Versus
1. R K Jain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1063/2012

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-180/2004 में पारित निणय/आदेश दिनांक 23.2.2012 के विरूद्ध)

 

बैंक आफ बड़ौदा, हेड आफिस मांडवी बड़ोदा, स्‍टेट आफ गुजरात एण्‍ड ब्रांचेस एल्‍सवियर इंक्‍लूडिंग द वन आफ मेरठ सिटी, यू.पी., मेन ब्रांच स्थित 177,एबी-9, रंग राज मोहल्‍ला, अबू लेन मेरठ, यू.पी. द्वारा अथराइज्‍ड आफिसर/कंस्‍टीट्यूटेड पी.ओ.ए. होल्‍डर श्री कमलेश सिंह पुत्र स्‍व0 एस.बी. सिंह, सीनियर मैनेजर, वर्तमान पोस्‍टेड एट निशातगंग ब्रांच, लखनऊ।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

1. आर.के. जैन पुत्र स्‍व0 बी.एस. जैन, निवासी 41-बी, शान्ति नगर, रेलवे रोड, मेरठ-यू.पी.।

2. श्रीमती सरोज बाला जैन पत्‍नी श्री आर.के. जैन, निवासी 41-बी, शान्ति नगर, रेलवे रोड, मेरठ-यू.पी.।

3. असीम जैन पुत्र श्री आर.के. जैन, निवासी 41-बी, शान्ति नगर, रेलवे रोड, मेरठ-यू.पी.।

                                      प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री इसार हुसैन।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित       : श्री शिशिर जैन के सहायक श्री

                                                        लक्ष्‍य दीप श्रीवास्‍तव।

दिनांक:   03.07.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-180/2004, आर.के. जैन तथा अन्‍य बनाम बैंक आफ बड़ौदा तथा अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 23.2.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.         विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए परिवादीगण की अवशेष राशि का भुगतान ब्‍याज सहित अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी सं0-1 एवं 3 ने अंकन 25,000/-रू0 की एफडीआर दिनांक 25.6.1997 को बनारस स्‍टेट बैंक लिमिटेड, मेरठ से 14 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर पर बनवाई थी, जिसकी परिपक्‍वता राशि अंकन 51,485/-रू0 थी और परिपक्‍वता तिथि दिनांक 25.9.2002 थी। इसी प्रकार परिवादी सं0-1 एवं 2 ने अंकन 30,000/-रू0 एवं परिवादी सं0-2 एवं तीन ने अपने नाम से एक एफडीआर दिनांक 12.7.1996 को बनारस स्‍टेट बैंक लिमिटेड, मेरठ से 15 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर पर बनवाई थी। उक्‍त एफडीआर की परिपक्‍वता अवधि दिनांक 12.7.2006 तथा परिपक्‍वता राशि अंकन 1,30,811/-रू0 प्रत्‍येक निर्धारित थी। इस बैंक का विलय विपक्षी बैंक में हो गया है। विपक्षी सं0-3 द्वारा अंकन 25,000/-रू0 की एफडीआर के लिए अंकन 43,956/-रू0 का एक चेक दिनांक 27.9.2002 को दिया और शेष राशि बाद में देने के लिए कहा, इसके बाद अंकन 6,371/-रू0 दिए गए तथा अंकन 1,158/-रू0 कम दिए गए। परिवादी सं0-1 एवं 2 अंकन 1,30,811/-रू0 की एफडीआर पर 15 प्रतिशत के स्‍थान पर 8 प्रतिशत ब्‍याज देने के लिए कहा गया, जिसे विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्‍तानुसार आदेशानुसार स्‍वीकार किया है।

4.         अपील के ज्ञापन में परिवादीगण द्वारा जमा राशि को स्‍वीकार किया गया है और बैंक विलय को भी स्‍वीकार किया गया है तथा कथन किया गया है कि 85.85 प्रतिशत राशि विलय के समय देने के लिए तत्‍पर थे, इसके बाद अवशेष राशि किस्‍तों में अदा करनी थी। परिवादीगण द्वारा अनावश्‍यक रूप से समस्‍त राशि एक साथ देने का दबाव बनाया गया, जबकि समस्‍त राशि आर.बी.आई के निर्देशानुसार एक साथ अदा नहीं की जा सकती थी। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

5.         चूंकि अपीलार्थी बैंक को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवादीगण द्वारा उस बैंक में अपनी राशि जमा की गई है, जिसका विलय अपीलार्थी बैंक में हुआ है। विलय के साथ समस्‍त देयों का भी अपीलार्थी बैंक द्वारा निर्वहन करने का वचन दिया गया है, इसलिए परिवादीगण को जिस ब्‍याज दर पर परिपक्‍वता राशि प्राप्‍त होनी थी, परिवादीगण उसी ब्‍याज दर पर परिपक्‍वता राशि प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत हैं। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

6.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

दिनांक  03.07.2024

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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