(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1223/2005
मिश्रा कोल्ड स्टोरेज उरूवा बाजार जिला गोरखपुर द्वारा मालिक श्री ईश्वर मिश्रा
बनाम
रामदीन दूबे पुत्र श्री जगदेव दूबे, निवासी रामपुर तप्पा नकौडी पोस्ट आफिस बराव, जिला गोरखपुर
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री कन्हैया मणि त्रिपाठी।
दिनांक : 07.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-1/1998, रामदीन दूबे बनाम मिश्रा कोल्ड स्टोरेज में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.5.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. मिश्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री कन्हैया मणि त्रिपाठी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 4.3.1997 को कुल 145 बोरा आलू विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया था और रसीद प्राप्त की थी, जिनका कुल वजन 137 कुन्टल था तथा अंकन 300/-रू0 प्रति कुन्टल की दर से कुल मूल्य
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अंकन 41,000/-रू0 था। दिनांक 7.10.1997 को आलू निकासी के लिए परिवादी विपक्षी के शीतगृह में गया, परन्तु विपक्षी ने बताया कि 73 बोरा आलू विपक्षी के शीतगृह में मौजूद नहीं है, केवल 72 बोरा आलू देने के लिए कहा गया, परन्तु इसमें से 25 – 30 बोरे आलू सढ़ चुके थे, इसलिए परिवादी ने 145 बोरा आलू की कीमत की मांग की, जो अदा नहीं की गयी। विपक्षी ने दिनांक 7.11.1997 को आलू निकालने और विफलता पर बाजार में विक्रय करने का नोटिस जारी किया, जबकि 73 बोरा आलू उपलब्ध ही नहीं था और 72 बोरे आलू में से अधिकांश आलू सढ़ चुका था।
3. विपक्षी ने 145 बोरा आलू भण्डारित करना स्वीकार किया, परन्तु यह कथन किया कि आलू का भाव गिर जाने के कारण स्वंय परिवादी आलू लेने नहीं आया, इसलिए दिनांक 21.10.1997 को शीतगृह से निकालकर परिषद में आलू रख दिया गया और पत्र भेजकर परिवादी को सूचित किया गया, इसके बाद सूचना को प्रकाशित भी कराया गया, परन्तु परिवादी आलू लेने नहीं आया।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी को 137 कुन्टल आलू कभी भी वापस नहीं लौटाये गये। तदनुसार परिवाद स्वीकार करते हुए आलू की कीमत अंकन 1,37,000/-रू0 अदा करने हेतु आदेशित किया गया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि भाड़ा अदा नहीं किया गया और स्वंय नोटिस के बावजूद भी परिवादी आलू लेने नहीं आया। परिवादी ने अपने परिवाद में भी अग्रिम रूप से भाड़ा देने का कोई उल्लेख नहीं किया। अत: तत्समय देय भाड़ा समायोजित
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होने योग्य है, जो पक्षकारों के मध्य सुनिश्चित हुआ है, परन्तु आलू की कीमत अदा करने के संबंध में दिये गये निष्कर्ष में किसी प्रकार के परिवर्तन का कोई आधार नहीं है, सिवाय इसके कि ब्याज 9 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत किया जाय। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.5.2005 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को जो राशि देय होगी, उसमें से तत्समय प्रचलित प्रति कुन्टल भाड़े की राशि समायोजित की जाएगी तथा ब्याज की गणना परिवादी को देय राशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से की जाएगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3