राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1969 सन 1999 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, मथुरा के परिवाद संख्या-125/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27-05-1999 के विरूद्ध)
1-युनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, एन.ई. रेलवे, गोरखपुर।
2-डिवीजनल रेलवे मैनेजर, एन.ई. आर. इज्जतनगर, बरेली।
3-स्टेशन मास्टर, मथुरा रेलवे स्टेशन, मथुरा। ....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
कैसर अली पुत्र मोहम्मद अली निवासी-27, भरतपुर गेट, खारीकुऑ, मथुरा।
...प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक:01-01-2015
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, मथुरा द्वारा परिवाद संख्या-125/1997 कैसर अली बनाम जी.एम. एन.ई. रेलवे गोरखपुर एवं अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27-05-1999 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें वादी का वाद विपक्षीगण से 5,000-00 रूपये अंकन और उस पर वार्षिक वादकालीन और भविष्य ब्याज सहित स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह वादी को उक्त धनराशि और उसके ब्याज का भुगतान एक माह के अन्दर कर दें।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि वादी ने दिनांक-09-03-1997 को उसने मथुरा जंक्शन से लखनऊ रेलगाड़ी से यात्रा करने हेतु गाड़ी संख्या-5314 की द्वितीय श्रेणी ( सेकेन्ड स्लीपर) से एक बर्थ का आरक्षण कराया था। उसकी
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यात्रा हेतु विपक्षीगण ने शायिका एस0-2 कोच में बर्थ सं0-48 का आवंटन किया था और उसकी पी.एन.आर.नं. 2304482474 थी। वादी के साथ उसके अन्य साथी भी यात्रा कर रहे थे, जिसका बर्थ सं0-45 था। वादी अपने वाद के सिलसिले में लखनऊ बहस हेतु गया था। बर्थ नं0-48 फटी हुई थी तथा उसकी कीलें बाहर निकली हुई थी। वादी के बैठते समय सीट में निकली हुई कीलें वादी की पीठ और कमर में चुभ गई, जिसके कारण उसे काफी तकलीफ हुई और जिस सुखद यात्रा की कामना की गई थी, वह दुखद यात्रा बन गई। उक्त गाड़ी में चल रहे टी.टी.ई. महोदय से वादी ने शिकायत की तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षी की सेवाओं में लापरवाही और शिथिलता है, जिसके कारण वादी को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षति हुई। अत: वादी ने यह वाद मानसिक और शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति हेतु 50,000-00 रूपये और इलाज में हुए व्यय 4,000-00 रूपये और टिकट के मूल्य कुल 54,176-25 पैसे प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया है।
प्रतिवादी द्वारा दाखिल अपने प्रतिवादपत्र में वादी द्वारा किये गये यात्रा को स्वीकार किया है तथा शेष कथनों को इंकार किया गया है। प्रतिवादी ने यह भी कहा है कि यदि वादी की सीट में खराबी थी तो उसे मथुरा से पड़ने वाले किसी भी स्टेशन पर स्टेशन मास्टर या गार्ड से शिकायत करनी चाहिए थी और उन्हें रेलवे के किसी स्टेशन पर प्राथमिक उपचार की याचना नहीं की। अत: वादी किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति का अधिकारी नहीं है।
अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री एम.एच.खान उपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने अत्याधिक 5,000-00 रूपये की धनराशि दिलाये जाने का आदेश पारित किया है, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया गया। विद्वान जिला मंच ने अत्याधिक 5,000-00 रूपये की धनराशि लगा दी है, जिसे कि वर्णित
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परिस्थितियों में लगाया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है। हम यह समीचीन पाते है कि अपीलार्थीगण परिवादी/प्रत्यर्थी को 5,000-00 रूपये के स्थान पर 1,000-00 रूपये (एक हजार रूपये) की धनराशि अपील के निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर अदा करें, अन्यथा इस धनराशि पर भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित होगा। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थीगण की अपील आंशिक रूप से की जाती है तथा विद्वान जिला मंच मथुरा के परिवाद संख्या-125/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27-27-05-1999 को संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण परिवादी/प्रत्यर्थी को 5,000-00 रूपये के स्थान पर 1,000-00 ( एक हजार रूपये) की धनराशि इस अपील के निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर भुगतान करें, अन्यथा भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3