Rajasthan

Churu

248/2014

SMT VIDHYA DEVI - Complainant(s)

Versus

PWD RAJGARH & Ors - Opp.Party(s)

NARENDRA SHARMA

23 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 248/2014
 
1. SMT VIDHYA DEVI
VPO KANDHRAN THANMUTHAI RAJGARH CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री हनुमान स्वामी अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से श्री नरेन्द्र सिहाग अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से श्री विनोद दनेवा अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां अपना बचत खाता संख्या 64701500022 खुलवा रखा है जिसमें प्रार्थी लेनदेन करता है। इसी क्रम में प्रार्थी ने एक चैक संख्या 366525 राशि 50,000 रूपये का अप्रार्थी संख्या 1 के यहां भुगतान हेतु प्रस्तुत किया। जिसकी अप्रार्थी संख्या 1 ने दिनांक 27.08.2011 को गुम होने की सूचना प्रार्थी को दी। उक्त चैक गुम होने से प्रार्थी चैक जारीकर्ता के विरूद्ध वाद नहीं कर सका। जिस कारण प्रार्थी को 50,000 रूपये का नुकसान हो गया। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के प्रश्नगत चैक को गुम करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वास्तव में प्रश्नगत चैक प्रार्थी को सुरजमल शर्मा जो कि तत्समय अप्रार्थी संख्या 2 के बैंक में शाखा प्रबन्धक के रूप में कार्यरत था, के द्वारा दिया गया था। उक्त चैक समाशोधन हेतु अप्रार्थी बैंक में कभी भी प्राप्त नहीं हुआ। उक्त सूरज शर्मा द्वारा स्वंय अपने स्तर पर चैक के भुगतान को रोकने के सम्बंध में चैक गुम होने का पत्र जारी किया गया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि उक्त सूरज शर्मा इस प्रकरण में एक आवश्यक पक्षकार है क्योंकि उक्त सूरज शर्मा के द्वारा बैंक के साथ छल-कपट व सेवादोष किया गया था जिस कारण उसे बरखास्त कर दिया गया। इसलिए उक्त सूरज शर्मा को इस परिवाद में आवश्यक पक्षकार के नाते संयोजित करना चाहिए था जो प्रार्थी द्वारा नहीं किया गया परिवाद केवल इसी आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।

           प्रार्थी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 27.08.2011 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से अशोक कुमार व अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से ओम प्रकाश का शपथ-पत्र व कुल 9 दस्तावेज पत्रावली पर दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये गये है। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार से है।

           वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी व अप्रार्थीगण अधिवक्ताओं के तर्कों से स्पष्ट है कि प्रश्नगत चैक अप्रार्थी संख्या 2 के तत्कालीक शाखा प्रबन्धक सूरज शर्मा द्वारा जारी किया गया था। पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजों के अवलोकन के अनुसार उक्त सूरज शर्मा के विरूद्ध बैंक में बड़े पैमाने पर अपनी सेवा के दौरान गबन किया गया था। जिसे दिनांक 11.01.2014 को बैंक हित व जनहित में सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया। बहस के दौरान प्रार्थी अधिवक्ता ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उक्त सूरज शर्मा के विरूद्ध विभिन्न न्यायालयों में चैक अनादरण के सम्बंध में विभिन्न मूकदमें विचाराधीन है। पक्षकारान के तर्कों व पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजों से स्पष्ट है कि वर्तमान प्रकरण में धोखाधड़ी का बिन्दु निहित है। प्रश्नगत चैक के गुम होने पर बैंक का सेवादोष है या नहीं तथ्य को सिद्ध करने से पूर्व उक्त प्रकरण की जांच पुलिस अन्वेक्षण अधिकारी के द्वारा की जानी आवश्यक है जिस हेतु प्रार्थी को सूरज शर्मा के विरूद्ध फौजदारी मुकदमा करना चाहिए। यदि पुलिस अन्वेक्षण अधिकारी द्वारा अपनी जांच में यह पाया जाता है कि प्रश्नगत चैक के गुम होने में चैक जारीकर्ता सूरज शर्मा की कोई भूमिका नहीं है तो प्रार्थी बैंक के सेवादोष हेतु मंच में पुनः अपना परिवाद लाने हेतु स्वतन्त्र रहेगा। चूंकि इस मंच की कार्यवाही संक्षिप्त प्रक्रिया के माध्यम से सम्पन्न की जाती है जबकि वर्तमान प्रकरण में वास्तविक तथ्यों की जानकारी हेतु विस्तरित साक्ष्य की आवश्कता है इसलिए मंच में राय में यह परिवाद सक्षम सिविल न्यायालय में विचारण हेतु प्रार्थी को प्रस्तुत करना चाहिए। यदि किसी प्रकरण में फ्रोड या चीटिंग का बिन्दु निहित हो तो ऐसे प्रकरण का विचारण जिला मंच नहीं कर सकता। ऐसा ही मंच माननीय राष्ट्रीय आयोग अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 196 राकेश कुमार बनाम आई.सी.आई.सी.आई. प्रुडेन्शियल लाईफ इन्श्यारेन्स में दिया है। उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में प्रार्थी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है इसलिए परिवाद क्षैत्राधिकार के आभाव में खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध क्षैत्राधिकार के अभाव में खारिज किया जाता है। यदि पुलिस अन्वेक्षण अधिकारी द्वारा अपनी जांच में यह पाया जाता है कि प्रश्नगत चैक के गुम होने में चैक जारीकर्ता सूरज शर्मा की कोई भूमिका नहीं है तो प्रार्थी बैंक के सेवादोष हेतु मंच में पुनः अपना परिवाद लाने हेतु स्वतन्त्र रहेगा। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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