Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2560

UPPCL - Complainant(s)

Versus

Puttu Lal - Opp.Party(s)

Isar Husain

31 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2560
( Date of Filing : 09 Oct 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. UPPCL
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Puttu Lal
Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Aug 2021
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2560/2006

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-751/2004 में पारित निणय/आदेश दिनांक 26.08.2006 के विरूद्ध)

                                    

1.  मैनेजिंग डायरेक्‍टर, केसको, सिविल लाइन्‍स, कानपुर (नगर)।

2.  असिस्‍टेण्‍ट जनरल मैनेजर, केसको, स्‍माल पावर सेल, कानपुर (नगर)।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

पुत्‍तू लाल मुन्‍ना लाल, 51/4, राम गंज कानपुर द्वारा हरि किशोर गुप्‍ता पार्टनर पुत्र स्‍व0 मुन्‍ना लाल गुप्‍ता।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री बी0के0 उपाध्‍याय, विद्वान अधिवक्‍ता।               

दिनांक:  06.10.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-751/2004, मै0 पुत्‍तू लाल मुन्‍नालाल बनाम प्रबंध निदेशक, कानपुर इलेक्ट्रिक सप्‍लाई कम्‍पनी लिमटेड तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 26.08.2008 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण द्वारा निर्गत डिमाण्‍ड नोटिस दिनांकित 16.06.2004 निरस्‍त किया गया है।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी संस्‍थान में एक विद्युत कनेक्‍शन संख्‍या-0060 लगा हुआ था। दिनांक 18.09.1992 को नगर महापालिका द्वारा इस उद्योग को बन्‍द करने का आदेश दिया गया। परिवादी ने दिनांक 18.11.1993 को विद्युत कनेक्‍शन को समाप्‍त करने के साथ अंतिम बिल बनाने की मांग की, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई तथा कुछ समय पश्‍चात मीटर उखाड़ लिया गया, परन्‍तु मीटर उखाड़ने के बाद भी दिनांक 09.10.2003 एवं 21.01.1994 को अंकन 16,000/- रूपये का भुगतान वसूला गया, लेकिन अंतिम बिल जारी नहीं किया गया। दिनांक 18.02.1997 को अंकन 65,925/- रूपये का बिल जारी किया गया और पूर्व की जमा राशि को समायोजित करते हुए अंकन 27,546/- रूपये का बिल बनाया गया, जिसे तहसीलदार द्वारा 10 प्रतिशत वसूली शुल्‍क के साथ वसूल कर लिया गया। इसके पश्‍चात भी दिनांक 16.06.2004 को अंकन 1,46,525/- रूपये का डिमाण्‍ड नोटिस जारी कर दिया गया। इसी डिमाण्‍ड नोटिस को निरस्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षीगण का कथन है कि दिनांक 08.02.1997 को मीटर रीडिंग 26191 अंकित थी। परिवादी को दिनांक 18.02.1997 को अंकन 65,925.60 पैसे का बिल प्रेषित किया गया था। परिवादी ने एक वाद संख्‍या-165/1997 प्रस्‍तुत किया था। उसी वाद के निर्णय के अनुसार आरसी प्रेषित की गई थी। परिवादी का अंतिम बिल अंकन 65,925.60 पैसे का बनाया गया था, परन्‍तु तहसील से जानकारी प्राप्‍त नहीं हुई थी। बिलिंग बन्‍द नहीं हुई थी, इसीलिए अंकन 1,46,525/- रूपये का बिल निर्गत हो गया।

4.         दोनों पक्षों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा अंतिम बिल का भुगतान किए जाने के बावजूद डिमाण्‍ड नोटिस जारी किया गया, जो अवैध है। तदनुसार यह डिमाण्‍ड नोटिस निरस्‍त कर दिया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना, अनुचित है तथा तथ्‍य एवं साक्ष्‍य की गलत व्‍याख्‍या पर आधारित है। स्‍वंय परिवादी ने अंकन 65,925.60 पैसे की राशि होना स्‍वीकार किया है, इसलिए अंकन 1,46,425/- रूपये का डिमाण्‍ड नोटिस भी उचित है।

6.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी0के0 उपाध्‍याय की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थीगण की ओर से प्रस्‍तुत किए गए लिखित कथन में स्‍वंय उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी पर बकाया बिल अंकन 65,925.60 पैसे की वसूली के संबंध में तहसील से जानकारी नहीं मि‍ली, इसलिए बिलिंग जारी रही। आरसी जारी करने के पश्‍चात बिलिंग जारी रखने का कोई औचित्‍य नहीं था। आरसी की प्रगति की रिपोर्ट प्राप्‍त करनी चाहिए थी। चूंकि यह तथ्‍य स्‍वीकार्य है कि आरसी के माध्‍यम से अंकन 65,925.60 पैसे वसूल कर लिए गए हैं। अत: इस वसूली के पश्‍चात किसी प्रकार का बिल जारी करना विधिसम्‍मत नहीं है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग के निर्णय में कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित प्रतीत नहीं होता है। अपील तदनुसार खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

 

8.         प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

                   

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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