राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1234/2008
(जिला उपभोक्ता फोरम, झांसी द्वारा परिवाद संख्या-183/2006 में पारित निर्णय दिनांक 31.05.2008 के विरूद्ध)
ब्रांच मैनेजर पंजाब नेशनल बैंक पारीछा जिला झांसी व
एक अन्य। ........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
पुष्पेन्द्र सिंह पुत्र श्री लच्छी राम निवासी बनौल, तहसील
ठहरौली एवं जिला झांसी। ..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0एम0 बाजपेयी, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 21.04.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 183/2006 पुष्पेन्द्र सिंह बनाम शाखा प्रबंधक पी0एन0बी0 व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 31.05.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने कृषि फसल बीमा योजना के अंतर्गत अंकन रू. 94800/- अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने 06.03.2000 को रू. 50000/- किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया था, जिसका नवीनीकरण रू. 90000/- के लिए वर्ष 2003 में किया गया। परिवादी किसान कार्ड योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्त कर कृषि कार्य करता है। भारत सरकार की योजना के अंतर्गत सभी किसान कार्डधारक की फसल का बीमा
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कराया जाता है, परन्तु विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी का बीमा नहीं कराया गया, इसलिए परिवादी को राष्ट्रीय कृषि योजना का लाभ नहीं मिल सका। परिवादी द्वारा गाटा संख्या 251/10052 हेक्टेयर के एक चौथाई भाग में फसल बोई गई थी, जो क्षतिग्रस्त हो गई, इसलिए 80 हजार प्रति एकड़ की दर से अंकन 10 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति बनती है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. पी.एन.बी. द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि परिवादी ने रू. 50000/- किसान क्रेडिट कार्ड लिया था तथा इस बावत प्रस्तुत बीमा योजना लागू है, परन्तु स्वयं परिवादी ने लिखकर दिया था कि उसकी फसल का बीमा कराया जाए, क्योंकि परिवादी कृषि कार्य नहीं करता है, बल्कि ठेकेदारी करता है, नजायज लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष द्वारा परिवाद खारिज गया किया गया, परन्तु दो सदस्यों द्वारा अंकन रू. 94800/- अदा करने का आदेश दिया गया है।
5. इस निर्णय व आदेश बैंक द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने इस बिन्दु पर विचार नहीं किया है कि स्वयं परिवादी ने बीमा पालिसी प्राप्त नहीं की थी और अपने इस अधिकार का स्वयं त्याग किया था। इस संबंध में पत्र लिखकर दिया, इसलिए स्वयं परिवादी के कृत्य के लिए अपीलार्थी बैंक को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
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6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. जिला उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ने अपने निर्णय में यह निष्कर्ष दिया है कि वर्ष 2000 से 2004 तक 5 वर्ष की अवधि में कारित दो फसलों की नुकसानी के उपरांत 01.07.2006 को परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिस वर्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया उस वर्ष फसल के नुकसान का उल्लेख नहीं किया गया। पूर्व में जिन वर्षों में बीमा योजना का उल्लेख किया गया है तथा उनमें फसल का नुकसान माना जाता तब परिवाद दो वर्ष के पश्चात प्रस्तुत किया गया, इसलिए अधिनियम की धारा 24(ए) से बाधित होने के कारण खारिज कर दिया गया, जबकि दो सदस्यों द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि जो पत्र परिवादी द्वारा लिखना बताया जाता है, उसमें कोई तिथि अंकित नहीं है, इसलिए यह निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता कि यह पत्र यथार्थ में कब लिखा गया, इसलिए इस पत्र पर कोई विश्वास नहीं किया गया, परन्तु चूंकि स्वयं परिवादी ने बीमा बीमा न किए जाने का पत्र लिखा, इसलिए तिथि महत्वपूर्ण नहीं है। यदि परिवादी ने बीमा न किए जाने का पत्र स्वयं लिखा है तब वह बाद में बीमा क्लेम प्राप्त करने का दावा नहीं कर सकता, इसलिए सदस्यों द्वारा जो निष्कर्ष दिया गया है वह विधिसम्मत नहीं है। आयोग के सदस्यों द्वारा इन बिन्दुओं पर भी विचार नहीं किया गया कि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में दो बार फसल के नुकसान का उल्लेख किया है, परन्तु यह उल्लेख नहीं है कि उसके द्वारा कौन सी फसल बोई गई थी, किस कारण से फसल का नुकसान हुआ, फसल के नुकसान की सूचना उसके द्वारा किस
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अधिकारी को दी गई। यह भी उल्लेख नहीं है कि बैंक को सूचना दी गई या नहीं दी गई, यदि नहीं दी गई तब क्यों नहीं दी गई, इसलिए परिवादी द्वारा एक भ्रामक परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जिस पर आयोग के दो सदस्यों द्वारा भ्रामक आदेश पारित किया गया है, इसलिए दो सदस्यों द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त होने योग्य है।
आदेश
8. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3