राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-670/2021
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या 230/2018 में पारित आदेश दिनांक 09.08.2021 के विरूद्ध)
1. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, देहात, मैनपुरी
2. जूनियर इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, औछा फीडर, मैनपुरी
........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
पुष्पेन्द्र सिंह पुत्र सत्य भान सिंह, निवासी- ग्राम नसीरपुर, पोस्ट आफिस पंचावर, पी0एस0 औछा, तहसील घिरोर, जिला-मैनपुरी
...................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 03.03.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना।
प्रस्तुत अपील अपीलार्थीगण द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या-230/2018 पुष्पेन्द्र सिंह बनाम अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.08.2021 के विरूद्ध योजित की गयी।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि पत्रावली पर उपलब्ध जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश फलक के परिशीलन से यह सुस्पष्ट होता है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त परिवाद अनेकों तिथियों पर जिला उपभोक्ता आयोग का कोरम अपूर्ण होने के कारणवश स्थगित होता रहा तथा नवीन अग्रिम तिथियॉं निश्चित होती रही। दिनांक 09.10.2020 को विद्वान जिला उपभोक्ता
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आयोग द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया, जो प्रस्तुत अपील की पत्रावली के पृष्ठ-15 पर उपलब्ध है:-
''दीवानी न्यायालय सैनेटाइज होने के कारण कोई उपस्थित नही है। परिवादी पैरवी अन्दर 07 दिन करे। तत्पश्चात दिनांक 08.12.2020 नियत करके प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु विपक्षी को नोटिस जारी हो।''
उक्त आदेश दिनांक 09.10.2020 का अनुपालन विपक्षी द्वारा सुनिश्चित किया जाना था, परन्तु पुन: विपरीत परिस्थितियों की वजह से तथा कोविड 19 के द्वितीय चरण के प्रकोप की वजह से परिवाद स्थगित होता रहा तथा दिनांक 04.03.2021 को विपक्षी अर्थात् अपीलार्थी विद्युत विभाग की ओर से वकालतनामा प्रस्तुत किया गया, जिस पर अगली तिथि दिनांक 13.04.2021 निश्चित की गयी।
दिनांक 13.04.2021 को पुन: कोरोना के प्रकोप के कारणवश अवकाश घोषित हो गया तथा पत्रावली वास्ते प्रतिवाद पत्र हेतु दिनांक 18.05.2021 को सूचीबद्ध करने हेतु आदेशित हुई।
दिनांक 18.05.2021 को अधिवक्तागण की हड़ताल के कारण सुनवाई स्थगित रही तदोपरान्त पुन: दिनांक 25.06.2021 को पक्षकारगण अनुपस्थित थे तथा अगली तिथि दिनांक 04.08.2021 को निम्न आदेश पारित करते हुए अगली नियत तिथि दिनांक 07.08.2021 आदेशित हुई:-
''पुकार पर परिवादी के योग्य अधिवक्ता उपस्थित। विपक्षी पर सूचना के बावजूद WS दाखिल नहीं किया। विपक्षी ने स्थगन भी 23.1.21 को लिया था।
अत: परिवाद एकपक्षीय चलेगा। एकपक्षीय बहस सुनी गई। निर्णय हेतु 07.8.21 नियत।''
दिनांक 07.08.2021 को पुन: लॉकडाउन के कारणवश वाद स्थगित हुआ तथा दिनांक 09.08.2021 को उपरोक्त परिवाद को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा एक पक्षीय रूप से निर्णीत किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिनांक 09.08.2021 को आदेश फलक पर निम्न तथ्य अंकित किये गये:-
''आज निर्णय खुली फोरम में सुना गया आदेश हुआ।
परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को
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आदेश दिया जाता है कि वह एक माह के अन्दर परिवादी को रू0 60,000/- (साठ हजार रू0) मृत भैंस की कीमत अदा करे तथा परिवाद दाखिल करने से वास्तविक भुगतान की दिनांक तक इस धनराशि पर 05 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करें। शेष अनुतोष हेतु परिवाद निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर होवे।''
मेरे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया, पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया तथा जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश फलक के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत परिवाद में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण विद्युत विभाग को सम्यक अवसर प्रदान नहीं किया गया, यद्यपि 1-2 तिथियों पर अपीलार्थी विद्युत विभाग की ओर से उपस्थित न होना पाया गया, परन्तु विगत 2 वर्षों की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में अपीलार्थीगण को अवसर प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है।
अतएव प्रस्तुत अपील अन्तिम रूप से निर्णीत करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी को परिवाद संख्या-230/2018 पुष्पेन्द्र सिंह बनाम अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड व एक अन्य को पुन: उभय पक्ष के अधिवक्तागण/पक्षकारों को सुनने के उपरान्त बिना किसी उचित कारण के स्थगन प्रदान न करते हुए 03 माह की अवधि में अन्तिम रूप से निस्तारित किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है।
अपीलार्थीगण की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को 01 माह में विधि के अनुसार अवमुक्त की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1