(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2553/2012
The Oriental Insurance Co. Ltd
Versus
Smt. Pushpa Devi W/O Ugrasen & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आलोक कुमार सिंह, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित: श्री आर0डी0 क्रांति, विद्धान
अधिवक्ता
दिनांक :20.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-35/2012, पुष्पा देवी बनाम दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, पीलीभीत द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.09.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित भैंस की मृत्यु पर अंकन 16,500/-रू0 की बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी तथा अन्य 11 महिलाओं ने मिलकर पूजा सेल्फ हेल्पग्रुप नाम से ग्राम संतोषपुरा परगना तहसील व जिला पीलीभीत में समूह को चलाने के लिए विपक्षी सं०- 2 बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा नकटाबाना पीलीभीत से ऋण प्राप्त किया था तथा परिवादिनी पुष्पा देवी ने 16,000/-रु. का ऋण प्राप्त करके दिनाँक 13-09-2009 को 16,500/-रु मैं एक भैंस क्रय की थी जिसका दूधविक्री करके परिवादिनी ऋण की किस्त अदा करती रही। उक्त भैंस का बीमा विपक्षी सं0 1 ओरियण्टल इंशोरेंस कामनी, गाँधी स्टेडियम रोड़ पीलीभीत से कराया गया था, किन्तु परिवादिनी की भैंस बीमार होने के कारण दिनाँक 17-12-2010 को मर गई। इस बावत परिवादिनी ने विपक्षीगण को सूचित किया, उसके उपरांत पशुचिकित्साधिकारी द्वारा दिनाँक 18-12-2010 को मृतक भैंस का पोस्ट मार्टम किया गया। बीमा कराते समय भैंस के कान में टैग नं0 1429 डाला गया था, जो जंगल में चरते समय कहीं गिर गया, जिसकी सूचना शाखा प्रबंधक को दी गई तब भैंस के कान में टैग संख्या-3430 डाला गया, किन्तु विपक्षी सं0 1 कम्पनी द्वारा बीमित भैंस की बीमित धनराशि परिवादिनी को अदा नहीं की, जिस कारण इस परिवाद को प्रस्तुत करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। इन तथ्यों के साथ परिवादिनी द्वारा बीमित धनराशि 16,500/-रु. ब्याज सहित तथा परिवाद शुल्क व क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि दिलाए जाने की याचना की गई है।
4. बीमा कम्पनी का कथन है कि भैंस का टैग नम्बर 1429 था। इस तथ्य को स्वीकार किया गया है। बीमा अंकन 16,500/-रू0 के लिए था। भैंस की मृत्यु की सूचना दिनांक 17.12.2010 को प्राप्त होना भी स्वीकार किया गया है, परंतु आगे कथन किया गया है कि सर्वेयर श्री अनिल कुमार गुप्ता द्वारा टैग नम्बर 1429 मृतक भैंस के कान में लगा हुआ नहीं पाया गया। इसी आधार पर बीमा क्लेम नकारा गया है क्योंकि टैग सं0 1429 के टैग वाली भैंस की मृत्यु नहीं हुई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में निष्कर्ष दिया है कि पोस्टमार्टम के समय टैग सं0 1429 लगा हुआ था। इसी आधार पर क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
5. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। सर्वेयर द्वारा मौके पर मृतक भैंस के कान में टैग नहीं पाया गया था, परंतु यह तर्क इस आधार पर स्वीकार होने योग्य नहीं है कि भैंस की मृत्यु होने के पश्चात पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ टैग को संलग्न किया गया था और इसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी गयी, इसलिए जिस समय सर्वेयर मौके पर मौजूद आया, उस समय भैंस का पोस्टमार्टम हो चुका था। पोस्टमार्टम राजकीय डॉक्टर द्वारा किया गया है, जिन्होंने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि मृतक भैंस के कान में सं0 1429 का टैग मौजूद था। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2