राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण सं0-६६/२०२२
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-११०/२०१६ में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ०८-०८-२०२२ के विरूद्ध)
रूप चन्द्र पुत्र स्व0 बलदेव, ग्राम- बघावर (बक्शीपुर) पोस्ट-ताहिरपुर, थाना-रौनापार, तहसील – सगड़ी, जिला – आजमगढ़।
........... पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी।
बनाम
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय, आजमगढ़ (उ0प्र0)। …….. प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :- श्री पारस नाथ तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- १९-१०-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस आयोग के सम्मुख पुनरीक्षणकर्ता रूप चन्द्र द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-११०/२०१६ रूप चन्द्र बनाम पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ०८-०८-२०२२ के विरूद्ध योजित की गई है। उक्त आदेश दिनांक ०८-०८-२०२२ द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है :-
‘’ पत्रावली प्रस्तुत। पुकार कराई गयी। परिवादी उपस्थित है। विपक्षी अनुपस्थित है। परिवादी के तरफ से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 14 ग 6 वर्ग व धारा- 38 (8) वास्ते अन्तरिम आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवादी के प्रार्थना पत्र 14 ग के साथ प्रस्तुत साक्ष्य - 15 गमें जो विद्युत विच्छेदन नोटिस है, उसमें बुक संख्या, क्रम संख्या, मीटर नम्बर एवं मीटर रीडिंग का
-२-
स्थान रिक्त है तथा संयोजन संख्या भी परिवाद में कथन से भिन्न है, इसके अलावा जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर एवं सील भी अंकित नहीं है, ऐसी स्थिति में प्रस्तुत तथाकथित विद्युत विच्छेदन नोटिस (कागज सं0 15 ग) संदिग्ध अविश्वसनीय है ऐसा प्रतीत होता है।
अत: उपर्युक्त के आलोक में प्रार्थना पत्र 14 ग निरस्त किया जाता है।
पत्रावली दिनांक 11-10-22 को वास्ते बहस प्रस्तुत किया जाय। ‘’
मेरे द्वारा पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री पारस नाथ तिवारी को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
उक्त आदेश में विद्वान जिला फोरम द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि पत्रावली दिनांक ११-१०-२०२२ को वास्ते बहस प्रस्तुत की जाए। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका के साथ कोई अन्य प्रपत्र नहीं प्रस्तुत किया है, मात्र उक्त आदेश दिनांक ०८-०८-२०२२ की प्रमाणित प्रति व टाइप कापी ही प्रस्तुत की गई हैं। यह स्पष्ट पाया जाता है कि विद्वान जिला फोरम द्वारा अनेकों विसंगतियॉं एवं कमियॉं पाई गई हैं, जिनका उल्लेख स्पष्ट रूप से किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका सारहीन एवं बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.