राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, मऊ, द्वारा परिवाद संख्या 105 सन 2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.01.2021 के विरूद्ध)
अपील संख्या:-217/2021
श्रीमती प्रभावती पत्नी सदानन्द पाल निवासी बीबीपुर पोस्ट-बगली पिजड़ा तहसील-सदर जिला-मऊ।
बनाम
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्धारा अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम, मऊ।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता : श्री उमेश शर्मा
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता : श्री इशार हुसैन
दिनांक :- 22.07.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी श्रीमती प्रभावती द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मऊ द्वारा परिवाद सं0-105/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.01.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति ने दिनांक 28.10.2013 को विपक्षी से विद्युत कनेक्शन सं0 511640 बुक सं0-0261, 5 हार्सपावर का प्राप्त किया था जिसका मीटर सं०-EM 1640 है। प्रश्नगत मीटर विद्युत आपूर्ति की अनियमितता और हाई वोल्टेज के कारण फरवरी 2016 के प्रथम सप्ताह में जल गया, जिसके स्थान पर विपक्षी द्वारा दिनांक 19.02.2016 को नया मीटर लगाया गया।
परिवादिनी के परिसर में नया मीटर लगने के पश्चात विपक्षी मीटर रीडिंग हेतु कभी नही आये और अपने कार्यालय में बैठकर बिलींग करके गलत बिल भेजते रहे। इस सम्बन्ध में शिकायत करने पर विपक्षी ने बिल दुरूस्त नही किया और बकाया भुगतान न होने के कारण विद्युत कनेक्शन दिनांक 04.06.2016 को विच्छेदित कर दिया। विपक्षी द्वारा परिवादिनी के पति पर रू0 3,40,496/- का विद्युत बकाया प्रदर्शित करके जो बिल प्रेषित किया है, वह गलत है। परिवादिनी मीटर रीडिंग के अनुसार बिल जमा करने हेतु तैयार है तथा इस हेतु विपक्षी के यहां आवेदन भी दिया था कि उसके पति के नाम से संचालित विद्युत कनेक्शन का स्थाई विच्छेदन (पी०डी०) कर दिया जाय परन्तु विपक्षी ने इन्कार कर दिया और जून 2017 से फर्जी बिल के आधार पर बकाया धनराशि की वसूली करने की धमकी दे रहे है जिससे क्षुब्ध होकर परिवादिनी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षी ने प्रतिवाद-पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा है कि परिवादिनी के पति ने परिवाद में वर्णित विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया था जिसके सम्बन्ध में परिवादिनी के पति के परिसर में मीटर सं० EMI 1640 संस्थापित किया गया था। परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्ता नही है। परिवादिनी के अनुरोध पर उसका विद्युत बिल जॉच के उपरान्त माह अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक का संशोधित करते हुये दिनांक 21.08.2017 रू0 1,86,584/- का बनाकर परिवादिनी को सूचित कर दिया गया है किन्तु परिवादिनी बकाया धनराशि जमा करने हेतु तैयार नहीं है। परिवादिनी ने विपक्षी को हैरान-परेशान करने के लिये यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद सव्यय खारिज कर दिया।
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश शर्मा तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/ विद्युत विभाग द्धारा परिवादिनी के पति के विद्युत बिल को परिवादिनी द्धारा दिनांक 22.07.2017 को दिये गये आवेदन पर दिनांक 21.08.2017 को रू0 1,86,584/- का संशोधित करते हुये, परिवादिनी को भुगतान हेतु प्रेषित कर दिया है जिसका भुगतान आज तक परिवादिनी द्धारा नहीं किया गया। अतएव विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय पूर्णत: विधिक एवं तथ्यों पर निर्धारित है जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही ऐसा कोई तथ्य अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उल्लिखित किया गया जिससे विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार की कमी अथवा अवैधानिकता उल्लिखित की जा सके।
उपरोक्त समस्त विश्लेषण के प्रकाश में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हॅू कि इस अपील में कोई बल नहीं है और यह अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना अपना स्वयं वहन करेगें।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट नं.-01