Uttar Pradesh

Chanduali

CC/25/2016

Tribhuwan - Complainant(s)

Versus

Purvanchal Vidoot Vitaran Nigam Limited - Opp.Party(s)

Ram Singh

31 Dec 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/25/2016
 
1. Tribhuwan
Fagueeya Post-Khagawal Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Purvanchal Vidoot Vitaran Nigam Limited
Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 31 Dec 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 25                                सन् 2016ई0
त्रिभुवन पुत्र राम निहोर निवासी फगुइयॉ पो0 खगवल जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
अधिशासी अभियन्ता वितरण खण्ड प्रथम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से ग्रामीण विद्युत कनेक्शन सं0 0170/008756 के स्थान पर वाणिज्यिक कनेक्शन देने के कारण माह दिसम्बर 2014 के बाद जारी सभी विद्युत बिलो को निरस्त करने तथा शारीरिक,मानसिक आर्थिक क्षति,वाद व्यय आदि  हेतु रू0 83150/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी द्वारा संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने अपने खेतों की सिंचाई हेतु सन् 2013 में दो हार्सपावर के नलकूप कनेक्शन हेतु विपक्षी के यहॉं आवेदन दिया। जो दिनांक 12-6-2013 को विपक्षी द्वारा रू0 3950/- परिवादी से जमा कराकर 2 हार्सपावर का विद्युत कनेक्शन स्वीकृत किया। जिसमे जमानत राशि,प्रोसेसिग फीस,मीटर चार्जेज आदि शामिल था, जिसका विद्युत कनेक्शन संख्या 0170/008756 है। विपक्षी द्वारा परिवादी से विद्युत  मीटर का पैसा लिया गया किन्तु विद्युत मीटर नहीं लगाया गया और परिवादी से फिक्स बिल की वसूली विपक्षी द्वारा की गयी और परिवादी को नलकूप विद्युत कनेक्शन न देकर मनमाने तरीके से वाणिज्यिक कनेक्शन दिया गया। जिसका माहवार बिल नलकूप कनेक्शन से पांच गुना ज्यादा आता रहा। परिवादी के ऊपर पैसे का भार महसूस होने पर परिवादी ने विपक्षी विद्युत विभाग के अधिकारियों से अपने उपरोक्त विद्युत कनेक्शन के स्थायी विच्छेदन हेतु बात किया तो उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण बिल का भुगतान करके कभी भी स्थायी विद्युत विच्छेदन करा सकते है। तत्पश्चात परिवादी ने दिनांक 31-12-2014 को सम्पूर्ण विद्युत बिल का भुगतान करके दिनांक 2-1-2015 को रू0 400/-जमा करके स्थायी विच्छेदन हेतु आवेदन किया जो स्वीकृत हो गया और दिनांक 3-1-2015 को परिवादी के विद्युत कनेक्शन को स्थायी रूप से विच्छेदित किया गया और पी0 डी0 की रिर्पोट बनाकर विद्युत विभाग में एवं परिवादी को दिया गया। जिसमे लिखा है’’लाइन डिसकनेक्ट आन डेट 3-1-2015 एण्ड रिमूभड15 मीटर ब्रन्ट एण्ड डैमेज केबिल फ्राम साइट’’। परिवादी ने स्थायी विच्छेदन के बाद दिनांक 20-2-2015 को विपक्षी से नो ड्यूज देने तथा जमानत की धनराशि रू0 2000/- एवं मीटर की धनराशि रू0 1150/- वापस करने की मांग किया तो विपक्षी ने परिवादी को एक माह बाद आने को कहा। किन्तु विपक्षी द्वारा न तो नो ड्यूज दिया गया एवं न ही उपरोक्त धनराशि दी गयी। विपक्षी द्वारा परिवादी के स्थायी विद्युत विच्छेदन के एक वर्ष बाद दिनांक 
2
22-3-2016  को एक विद्युत बिल जो दिनांक 31-1-2016 से 29-2-2016 तक का रू0 16739/- का था, प्राप्त हुआ। परिवादी दिनांक 5-4-2016 को विपक्षी के अधिकारियों को स्थायी विद्युत विच्छेदन के बाद के विद्युत बिल के बारे में बताया तो विपक्षी के अधिकारियों द्वारा परिवादी को अवगत कराया गया कि जनवरी 2015 से अब तक के विद्युत बिल को जमा करना पडेगा अन्यथा आर0सी0 के द्वारा वसूली की जायेगी।इस प्रकार विपक्षी द्वारा लापरवाही एवं सेवा में कमी की गयी है,अतः परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया।
3-    विपक्षी को इस फोरम द्वारा रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो उन पर तामिल भी हुई किन्तु न तो विपक्षी हाजिर आये एवं न ही कोई जबाबदावा दाखिल किये। अतः यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय सुना गया। 
4-    परिवादी की ओर से परिवादी त्रिभुवन का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में स्थाई विद्युत विच्छेदन की छायाप्रति, विद्युत विभाग के पी0डी0केस की छायाप्रति,विद्युत कनेक्शन कटवाने के आवेदन पत्र की छायाप्रति,स्थाई विद्युत विच्छेदन का पत्र की छायाप्रति,विद्युत बिल की छायाप्रति,विद्युत रसीद की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
5-    परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल की गयी है तथा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एक पक्षीय बहस भी सुनी गयी, तथा पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।  
6-    परिवादी की ओर से तर्क दिया गया है कि विद्युत विभाग द्वारा परिवादी के विद्युत कनेक्शन का मनमाना तरीके से गलत बिल प्रेषित किया जाता था और सेवा में कमी की जाने लगी जिसके कारण परिवादी ने अपना विद्युत कनेक्शन कटवाने हेतु विपक्षी विद्युत विभाग में प्रार्थना पत्र दिया और रू0 400/- फीस जमा किया तब विद्युत विभाग द्वारा दिनांक 3-1-2015 को परिवादी का विद्युत कनेक्शन स्थायी रूप से विच्छेदित कर दिया गया और विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा एक पी0डी0 रिर्पोट भी परिवादी को दिया गया है जिसमे इस बात का उल्लेख है कि दिनांक 3-1-2015 को विद्युत कनेक्शन काट दिया गया है और 15 मीटर जला हुआ केबिल भी मौके से हटाया गया। विद्युत विच्छेदन के पूर्व का सारा बिल परिवादी ने अदा कर दिया था और उस पर कोई बकाया नहीं था। परिवादी द्वारा विद्युत विभाग से नोड्यूज प्रमाण पत्र की मांग की गयी और परिवादी द्वारा जमा जमानत राशि रू0 2000/-वापस करने तथा मीटर मूल्य रू0 1150/-वापस करने की मांग की गयी लेकिन काफी दिनों तक परिवादी को दौडाया गया लेकिन न तो नोड्यूज दिया गया और न ही जमानत राशि व मीटर का मूल्य वापस किया गया और विद्युत कनेक्शन के स्थाई विच्छेदन के एक वर्ष बाद दिनांक 22-3-2016 को विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को रू0 16739/- का बिल भेजा गया जिससे परिवादी को काफी मानसिक क्लेश पहुंचा। परिवादी द्वारा उक्त बिल अदा न करने पर आर0सी0 जारी करने की धमकी दी गयी है। विपक्षी के उपरोक्त कृत्यों से
3
परिवादी को रू0 20000/- का आर्थिक नुकसान हुआ है तथा शारीरिक,मानसिक क्षति पहुंची है अतः उसे कुल रू0 83150/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलायी जाय।
7-    प्रस्तुत मामले में पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी न तो उपस्थित हुए है और न ही जबाबदावा या साक्ष्य दाखिल किया गया जबकि परिवादी द्वारा अपने अभिकथनों के समर्थन में अपना शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है भी दाखिल किया गया है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन दिनांक 3-1-2015 को ही स्थायी रूप से काट दिया गया और उसका केबिल तार भी हटा दिया गया है। परिवादी द्वारा दाखिल कागज संख्या 5ग/7 के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को रू0 16739/- का बिल मार्च सन् 2016 में भेजा गया है और जिसमे विद्युत उपभोग की अवधि दिनांक 31-1-2016 से 29-2-2016 दिखाई गयी है जबकि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह बात भलीभांति सिद्ध हो जाती है कि दिनांक 3-1-2015 को ही परिवादी का विद्युत कनेक्शन विद्युत विभाग द्वारा स्थायी रूप से विच्छेदित कर दिया गया था तब उसके द्वारा सन् 2016 में विद्युत उपभोग किये जाने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है और इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन काटने के बाद भी विद्युत विभाग द्वारा गलत ढंग से परिवादी को विद्युत बिल भेजा गया है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी का मामला स्पष्ट रूप से बनता है। परिवादी द्वारा दाखिल किये गये साक्ष्य अखण्डित है और इन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है और परिवादी द्वारा दिये गये साक्ष्य से उसके परिवाद के कथनों की पुष्टि होती है और इस प्रकार फोरम की राय में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है। दिनांक 3-1-2015 जिस दिन परिवादी का विद्युत कनेक्शन काटा गया उसके बाद की तिथि का विद्युत बिल अदा करने हेतु परिवादी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता । इसी प्रकार परिवादी को जमानत राशि का रू0 2000/- तथा मीटर हेतु जमा किये गये रू0 1150/- वापस दिलाया जाना तथा नोड्यूज प्रमाण पत्र दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। विपक्षी के कृत्य से परिवादी को जो शारीरिक व मानसिक क्षति हुई है तथा भाग-दौड करनी पडी है उसके एवज में परिवादी को रू0 5000/-क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। इस प्रकार उसका परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह 2 माह के अन्दर परिवादी को उसके द्वारा जमा की गयी जमानत की धनराशि रू0 2000/-(दो हजार) मीटर का रू0 1150/-(ग्यारह सौ पचास) तथा शारीरिक मानसिक क्षति एवं भागदौड के एवज में रू0 5000/-(पांच हजार)  तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात
4
 कुल रू0 9150/-(नव हजार एक सौ पचास) अदा करें।परिवादी को यह भी आदेशित  किया जाता है कि  यदि परिवादी ने दिनांक 3-1-2015 अर्थात जिस दिन उसका कनेक्शन काटा गया है उसके पूर्व का विद्युत बिल अदा कर दिया हो तो उसे नोड्यूज प्रमाण पत्र भी इसी अवधि में जारी किया जाय तथा दिनांक 3-1-2015 के बाद के किसी विद्युत बिल की वसूली न की जाय। यदि विपक्षी द्वारा इस अवधि में परिवादी को उपरोक्त धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो विपक्षी को निर्णय की तिथि से पैसा अदा करने की तिथि तक उपरोक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज भी अदा करना होगा।

(लक्ष्मण स्वरूप)                                      (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                  दिनांकः 31-12-2016 
 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.