न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 20 सन् 2016ई0
हबीबन पत्नी जलालूद्दीन निवासिनी वार्ड नं. 10 मुगलचक अलीनगर जिला चन्दौली।
...........परिवादिनी बनाम
1-अधिशासी अभियन्ता पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-उपखण्ड अधिकारी पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लि0 चन्धासी,मुगलसराय जिला चन्दौली।
............विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण से रू0 99000/-शारीरिक,मानसिक,व आर्थिक क्षति के क्षतिपूर्ति,एवं अन्य अनुतोष दिलाये जाने प्रस्तुत किया है।
2- परिवादिनी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादिनी एल0एम0बी0-1 विद्युत कनेक्शन संख्या 3964840 खाता संख्या 1240981000 के स्थायी विद्युत कनेक्शन की धारक है। जिसका पी0डी0 कराने हेतु विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं दिनांक 15-2-2016 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। विपक्षी संख्या 2 ने परिवादिनी के उक्त प्रार्थना पत्र पर एच0डी0सी0 को समुचित कार्यवाही हेतु इन्डोर्स किया किन्तु परिवादिनी को तंग करने की नियत से वगरज नफा नाजायज परिवादिनी के प्रार्थना पत्र पर नियमानुसार कार्यवाही न करके गलत विद्युत बिल का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि रू0 67832/- विद्युत बिल जमा करने के बाद ही स्थायी विद्युत विच्छेदन की कार्यवाही की जायेगी। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रेषित बकाया विद्युत बिल रू0 67852/- पूर्णतया गलत एवं निराधार है। परिवादिनी को मीटर रीडर द्वारा जो बकाया रीडिंग दिखाई गयी है वह दिनांक 7-2-2016 तक मात्र 4528 रीडिंग है। परिवादिनी एक किलोवाट का विद्युत कनेक्शन विपक्षी से लिया है किन्तु गरीबी के कारण एवं मकान खण्डहर हो जाने के कारण विद्युत बिल जमा नहीं कर पायी। परिवादिनी अपने नाम से लिये गये विद्युत कनेक्शन को स्थायी रूप विद्युत विच्छेदन (पी0डी0) करवाना चाहती रही किन्तु ऐसे वैधानिक कार्य के लिए भी विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को काफी दौडाया और हीला-हवाली किया गया। मजबूर होकर परिवादिनी ने दिनांक 1-9-2015 को तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया किन्तु विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं किये, तब परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 1-3-2016 को वैधानिक नोटिस दिया किन्तु विपक्षीगण सुनवा नहीं और दिनांक 16-3-2016 को इन्कार कर दिये तब परिवादिनी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
3- विपक्षी की ओर से जबाबदावा दाखिल करके परिवादिनी के परिवाद के लगभग सभी कथनों को इन्कार करते हुए अतिरिक्त कथन में कहा गया है कि
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परिवादिनी ने परिवाद विपक्षी को परेशान करने की गरज से दाखिल किया गया है जिसमे कोई सच्चाई नहीं है,जो खारिज किये जाने योग्य है। परिवादिनी अपने बकाया विद्युत बिल को जमा करने से बचने के गरज से यह परिवाद दाखिल किया है। स्थायी विद्युत विच्छेदन हेतु आवेदन करने एवं उसकी फीस जमा करने के बाद ही विच्छेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और समस्त बकाया विद्युत बिल जमा कर देने के बाद ही विच्छेदन की प्रक्रिया पूर्ण मानी जाती है और उपभोक्ता का नाम लेजर से डिलीट कर दिया जाता है। परिवादिनी ने अपने परिवाद के प्रस्तर-6 में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि उसने विद्युत बिल जमा नहीं किया है और बिना विहित प्रक्रिया को अपनाये एवं समस्त देय विद्युत का बकाया जमा किये किसी भी सूरत में विद्युत कनेक्शन डिलीट नहीं किया जा सकता है एवं समस्त बकाये की वसूली भू-राजस्व की भांति उपभोक्ता से की जायेगी। परिवादिनी यदि अपना कनेक्शन समाप्त कराना चाहती है तो उसे विपक्षी के कार्यालय में उपस्थित होकर समस्त विद्युत बकायों को जमा करना होगा। अतः विपक्षी द्वारा परिवादिनी की सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है और उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
4- परिवादिनी की ओर से स्वयं परिवादिनी हबीबन का शपथ पत्र दाखिल किया गया है और दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में रजिस्ट्री रसीद की मूलप्रति, परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित लीगल नोटिस की कार्बन प्रति,उप खण्ड अधिकारी चन्धासी को अपने विद्युत कनेक्शन के पी0डी0 हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र की मूल प्रति,विद्युत बिल की प्रति,मीटर के रसीद की छायाप्रति,विद्युत कनेक्शन के रसीद की छायाप्रति,तहसील दिवस पर दिये गये प्रार्थना पत्र का पर्चा,करेन्ट रीडिंग का पर्चा,काशी ग्रामीण बैंक के पासबुक की छायाप्रति, राशन कार्ड की छायाप्रति,दाखिल किया गया है। विपक्षी की ओर से मात्र ए0एस0 रघुवंशी अधिशासी अभियन्ता विद्युत का शपथ दाखिल किया गया है।
5- परिवादिनी की ओर से तर्क दिया गया है कि उसने दिनांक 15-2-2016 को विपक्षी के यहाॅं अपना विद्युत कनेक्शन स्थाई रूप से विच्छेदित किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया और इस प्रार्थना पत्र पर विपक्षी संख्या 2 ने एच0डी0सी0 को समुचित कार्यवाही हेतु इडोर्स भी किया है लेकिन परिवादिनी से नाजायज फायदा उठाने की गरज से इस प्रार्थना पत्र पर नियमानुसार कार्यवाही नहीं की गयी और यह कहा कि रू0 67852/- विद्युत बिल का बकाया जमा करने पर ही स्थाई विद्युत विच्छेदन की कार्यवाही की जायेगी। परिवादिनी का तर्क है कि यह बिल पूर्णतया गलत है क्योंकि मीटर रीडर द्वारा जो मीटर रीडिंग दिनांक 7-2-2016 तक की दिखाई गयी है वह केवल 4528 यूनिट है और परिवादिनी का विद्युत कनेक्शन केवल 1 किलोवाट का है। परिवादिनी गरीबी के कारण समयानुसार बिल जमा नहीं कर पायी और उसका मकान खण्डहर हो चुका है एवं रहने लायक नहीं है और तभी से वह बिल जमा नहीं का पा रही है। विपक्षीगण जानबूझकर विद्युत कनेक्शन को विच्छेदित नहीं कर रहे है और टाल-मटोल कर रहे है। इस प्रकार
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सेवा में उनके द्वारा कमी की गयी है। परिवादिनी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भी दिया था और तहसील दिवस में भी प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अतः परिवादिनी की ओर से शारीरिक,आर्थिक एवं मानसिक क्षति तथा वाद व्यय के रूप में रू0 99000/- बतौर क्षतिपूर्ति की मांग की गयी है।
6- इसके विपरीत विपक्षी की ओर से यह तर्क दिया गया है कि परिवादिनी ने केवल विद्युत बिल को जमा करने से बचने हेतु यह मुकदमा दाखिल किया है। स्थाई विद्युत विच्छेदन हेतु आवेदन करने पर पहले उसकी फीस जमा करनी होती है और तब विच्छेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और जब समस्त बकाया विद्युत बिल जमा कर दिया जाता है तभी विच्छेदन की प्रक्रिया पूर्ण मानी जाती है और उपभोक्ता का नाम लेजर से डिलीट कर दिया जाता है। परिवादिनी ने अपने परिवाद में स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया है कि उसने एक किलोवाट का विद्युत कनेक्शन लिया है और गरीबी के कारण विद्युत बिल जमा नहीं कर सकी है। बिना समस्त विद्युत देय जमा किये किसी भी हाल में विद्युत कनेक्शन डिलीट नहीं किया जा सकता है और विद्युत बिल के बकाया रकम की वसूली भू-राजस्व की भांति की जाती है। परिवादिनी यदि अपना कनेक्शन समाप्त कराना चाहती है तो उसे विद्युत कार्यालय में उपस्थित होकर समस्त विद्युत बकाया जमा करना होगा और इसके उपरान्त ही उसका विद्युत कनेक्शन डिलीट किया जा सकता है। इस प्रकार विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और परिवादिनी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी ने अपने परिवाद में ही यह स्वीकार किया है कि उसने एक किलोवाट का विद्युत कनेक्शन लिया है और उसने यह भी स्वीकार किया है कि वह काफी दिनों से विद्युत बिल गरीबी के कारण जमा नहीं कर पा रही है उसने अपने परिवाद में कहा है कि जब उसने विद्युत विच्छेदन हेतु दिनांक 15-2-2016 को प्रार्थना पत्र दिया तो उस पर विपक्षी संख्या 2 ने एच0डी0सी0 को समुचित कार्यवाही हेतु इडोर्स किया है। परिवादिनी की ओर से प्रार्थना पत्र दिनांकित 15-2-2016 मूल रूप से दाखिल किया गया है जिस पर विद्युत विभाग के अधिकारी द्वारा पी0डी0 फीस जमा करने हेतु परिवादिनी को निर्देशित किया गया है लेकिन परिवादिनी की ओर से उपरोक्त फीस जमा करने का कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। इसी प्रकार परिवादिनी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है कि उसने अपना बकाया विद्युत बिल अदा किया हो। बिना समुचित फीस जमा किये और बिना बकाया विद्युत बिल जमा किये परिवादिनी का स्थाई रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित किया जाना कानूनी रूप से सम्भव नहीं है। इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी ने स्वयं कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया है। अतः ऐसी स्थिति में यदि विपक्षी ने उसके विद्युत कनेक्शन का विच्छेदन नहीं किया है तो इसे सेवा में कमी नहीं माना जा सकता है। विपक्षी द्वारा जो भी आदेश किया गया वह विधिक आदेश है। यदि बकाया बिल में किसी प्रकार की गलती है तो परिवादिनी
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उसके सम्बन्ध में नियमानुसार कार्यवाही कर सकती थी लेकिन उसने ऐसी कोई कार्यवाही नहीं किया है। अतः विपक्षी के कृत्य से परिवादिनी को कोई शारीरिक,मानसिक या आर्थिक क्षति होने का कोई न्यायोचित आधार नहीं पाया जाता है और इस प्रकार परिवादिनी को कोई क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का कोई न्यायोचित आधार भी नहीं पाया जाता है। अतः परिवादिनी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद निरस्त किया जाता है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगे।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः 19-6-2017