न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मऊ।
परिवाद संख्या - 117/2014
प्रस्तुति दिनांकः-
निर्णय दिनांकः-
राजेश संगवानी पुत्र स्व0 मोहन दास संगवानी निवासी मुह0 निजामुददीनपुरा, मऊ
.......................... परिवादी
बनाम
1- पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. बजरिये चेयरमैन पूर्वांचज विद्युत निगम उ0प्र0 लखनऊ
2- अधिशासी अभियन्ता (मिटर) महोदर, विद्युत वितरण खण्ड प्रथम बजरिये अधिशाषी
अधिकारी महोदय पूर्वांचल विद्युत वितरण खण्ड प्रथम सहादतपुरा पो. मऊ, जनपद. मऊ।
3- अधीक्षक अभियन्ता महोदय, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत वितरण खण्ड
प्रथम सहादतपुरा, मऊ बजरिये अक्षीक्षक अभियंता महोदय विद्युत खण्ड प्रथम,
सहादतपुरा, मऊ जनपद- मऊ।
........................विपक्षीगण
उपस्थितिः- जनार्दन सिंह लाल मुन्नी यादव राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
आदेशः- जनार्दन सिंह
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत इस आशय की प्रार्थना के साथ योजित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा स्थापित विद्युत कनेक्शन सं0 802130 बुक सं0 426222-4120616 के तहत स्थापित मी0 की तकनीकी खराबी के कारण अनुचित भुगतान परिवादी से न लिय जाये तथा सक्षम व सही मी0 स्थपित कर सेंसर मी0 हटाया जाय। साथ ही साथ विपक्षी के नकारात्मक रवैये के कारण बतौर क्षतिपूर्ति 50000.00 रू0, व्यर्थ भागदौड व मुकदमा खर्चा 25000.00 रू0 तथा शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 20000.00 रू0 परिवादी को विपक्षी द्वारा दिलाया जाये।
परिवाद पत्र मे संक्षिप्त कथन इस प्रकार है कि परिवादी विपक्षी विभाग का उपभोक्ता है। परिवादी का विद्युत कनेक्शन सं0 882130 व बुक सं0 426224120616 है। परिवादी विद्युत संबंध की तारिख से अनवरत विद्युत बिल के जरिये भुगतान करता चला आ रहा है कोई शेष देय नही है। परिवादी के आवास पर लगे मीटर के संबंध मे विपक्षी सं 02 के अधीनस्थ कर्मचारी परिवादी से 1000.00 रू0 माहवार अतिरिक्त सुुविधा शुल्क की मांग किये न देने पर माह माार्च 2014 में मीटर धीमा चलने का कारण बताते हुए मी0 के पैरतल दुसरा सेंसर मी0 लगा दिये जो काफी दूत गती से चल रहा है। पूछने पर विपक्षी द्वारा कहा गया कि यह एक सप्ताह से 15 दिन तक रहेगा और पुनः हटाकर आपका मी0 बदल दिया जायेगा। यह कार्य नियमतः किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 6ग/1 दिनांक 27.03.2014 प्रस्तुत किया गया परन्तु कोई कार्यवाही नही की गयी। परिवादी का कथन है कि जब वह विपक्षी सं0 3 से व्यक्तिगत रूप् से मिला तो विपक्षी सं0 3 ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत जो विवाद सूचना आयुक्त लखनऊ के यहा लंबित है उसे उठा लो तो चेक मी0 हटाकर दूसरा मी0 लगाकर सब मामला रफा दफा कर दिया जायेगा। ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा अभी तक सेंसर चेक मी0 नही हटाया गया है जिसके संबंध में परिवादी द्वारा पुनः एक प्रार्थना पत्र 6ग/2 दिनांक 19.06.2014 विपक्षी सं0 2 के समक्ष पंजीकृत डाक व व्यक्तिगत रूप् से प्रस्तुत किया गया लेकिन विपक्षीगण द्वारा समाधान आज तक नही किया गया।
परिवादी द्वारा अपने अभिकथन की पुष्टि के संबंध में बतौर साक्ष्य, शपथ पत्र, कनेक्शन की रसीद, बिल रसीद की छायाप्रति, विद्युत प्रदाय संहिता 2005 की छायाप्रति तथा विपक्षी के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्रो की छायाप्रति प्रस्तुत की जिसके आधार पर परिवादी द्वारा किये गये कथन की पुष्टि होती है। न्यायालय द्वारा जारी सम्मन दिनांक 09.09.2014 के बावजूद तीनो विपक्षीगण की ओर से किसी प्रकार की कोई उपस्थिति व प्रस्तुति न्यायालय के समक्ष आज तक नही हुई है। न ही नोटिस वापस प्राप्त हुआ है अतः विपक्षीगणो पर तामिला पर्याप्त माना जाता है। आदेश दिनांक 09.12.2014 के अनुसार विपक्षीगण पर तामिला पर्याप्त मानते हुए एक पक्षीय कार्यवाही किये जाने हेतु आदेशित किया गया।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत उ0प्र0 विद्युत प्रदाय संहिता 2005 यथा संसोधित (चतुर्थ संशोधन) 2007 दिनांक 14.09.2006 से प्रभावी के नियम 5.5, 5.6, 5.7 के अनुसार चूकि विद्युत विभाग द्वारा सेंसर मी0 लगाये जाने के बाद जब परिवादी सेंसर मी0 के परिणाम को स्वीकार नही किया। ऐसी दशा मे विद्युत विभाग को सेंसर मी0 या तो स्थपित कर देना चाहिए था अथवा उसका पुराना मी0 यदि सही था तो चलने देना चाहिए था और यह कार्यवाही नियत 5.6 के अनुसार सेंसर मी0 के लगाने के 30 दिन के भीतर सुनिश्चित किया जाना चहिए था।
विपक्षीगण द्वारा अभी तक सेंसर मी0 हटाया नही गया है अतः परिवाद एक पक्षीय रूप् में विपक्षी सं0 1, 2 व 3 के विरूद्ध आंशिक रूप् से स्वीकार किये जाने योग्य है और विपक्षीगण के लापरवाही से क्षतिपूर्ति के रूप मे 5000.00 रू0 पाने का अधिकारी है।
विपक्षीगण सं0 1, 2 व 3 की तरफ से आज तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित न होने के कारण एक पक्षीय कार्यवाही किया जाना न्यायसंगत है।
आदेश
अतः परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु 2000.00 रू0 शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 2000.00 रू0 तथा वाद व्यय हेतु 1000.00 रू0 आदेश की तिथि से 30 दिन के अन्दर अदा करे। ऐसा न करने पर समस्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण व्याज भी देय होगा। विपक्षी सं0 2 व 3 को आदेशित किया जाता है कि आदेश से 30 दिन के अन्दर परिवादी का मी0 विधि संगत स्थापित कर तदनुसार विद्युत बिल को संशोधित करते हुए उचित प्रविष्टि सुनिश्चित की जाय।
उपस्थितिः- जनार्दन सिंह लाल मुन्नी यादव राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
दिनांकः-