Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/145/2015

VIGHYAN BHUSHAN LAL - Complainant(s)

Versus

PURVANCHAL ELEC. - Opp.Party(s)

PRABHAKAR MISHRA

16 Sep 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 145 सन् 2015

प्रस्तुति दिनांक 11.08.2015

                                                                                              निर्णय दिनांक 16.09.2021

  1. मृतक विज्ञान भूषण लाल उम्र लग. 70 साल पुत्र स्वo विक्रमाजीत लाल निवासी ग्राम- गुरेहथा, पोस्ट- खरगपुर, जनपद- आजमगढ़।

1/1.सुमिन्ता देवी उम्र लगभग 60 वर्ष, बेवा- विज्ञान भूषण लाल।

½. शान्ति स्वरूप लाल श्रीवास्तव पुत्र विज्ञान भूषण लाल।

1/3. ब्रह्म स्वरूप श्रीवास्तव पुत्र विज्ञान भूषण लाल

    निवासीगण- ग्राम गुरेहथा, पोस्ट- खरगपुर, जनपद- आजमगढ़।      

     ....................................................................................परिवादीगण।

बनाम

  1. प्रबन्धक, निदेशक “पूर्वांचल, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, डी.एल. डब्ल्यू. वाराणसी।
  2. अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड तृतीय, आजमगढ़।      
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके गांव क्षेत्र में दिनांक 29.05.1997 को तेज आंधी तूफान के आने से विद्युत के खम्भे गिर गए। परिणामस्वरूप याची तथा गांव के अन्य लोगों की बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो गयी। खम्भे गिर जाने से विद्युत आपूर्ति में बाधा पड़ने लगी तो याची ने इसकी सूचना खरिहानी विद्युत केन्द्र को विद्युत पोल ठीक करने तथा बिजली आपूर्ति व्यवस्थित करने का प्रार्थना पत्र विभाग को दिया, परन्तु उसे ठीक नहीं किया जा सका। पुनः याची ने दिनांक 23.09.1997, 19.03.1998, 05.03.2007 एवं 03.05.2007 को अधीक्षण अभियन्ता तथा अधिशासी अभिन्ता प्रथम एवं तृतीय को बार-बार प्रार्थना पत्र देक खम्भा ठीक करे तथा बिजली आपूर्ति सही/चालू करने का आग्रह किया, परन्तु उसे ठीक नहीं किया जा सका। विद्युत कनेक्शन ठीक कराने के लिए याची दौड़ता रहा। इसी बीच अप्रैल 1999 में विभाग द्वारा याची को बताया गया कि बिजली का बिल उस पर काफी बाकी हो गया है। कुछ जमा कर दे तो विभाग खम्भा ठीक करा देगा। याची विश्वास कर दिनांक 19.04.1999 को 700/- रुपया बिजली का बिल जमा कर दिया। बावजूद इसके विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। याची द्वारा बार-बार और कई बार विद्युत खम्भा ठीक करने तथा विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से करने का प्रार्थना पत्र दिया गया, परन्तु उस पर विभाग ने कोई कतम नहीं उठाया और न ही विभाग के किसी कर्मचारी या अधिकारी ने उसमें कोई रुचि ही ली। विभाग द्वारा बिजली आपूर्ति तो ठीक नहीं किया गया, परन्तु बार बिल आता रहा। बिजली खम्भा लगने तथा आपूर्ति होने के इन्तजार में 15 वर्ष गुजर कए। परिवादी बार-बार समय-समय पर प्रार्थना पत्र देता रहा। आखिर में वर्ष 2014 के अक्टूबर माह में गांव को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युत सेवा से जोड़ा गया तो याची ने विभाग को सूचना देकर अपना कनेक्शन भी दिनांक 15.10.2014 को खम्भा से सम्बद्ध करा लिया तब जाकर 15-16 वर्षों बाद याची को बिजली प्राप्त हो सकी। मई 1997 से सितम्बर 2014 तक याची बिजली की सुविधाओं से पूरी तरह वंचित रहा है, परन्तु विभाग द्वारा बिजली का बिल देना जारी रखा गया, जो वर्तमान में 50,000/- रुपया से ज्यादा का बिजली बिल हो गया है। विभाग द्वारा दिनांक 05.08.2015 को बताया गया कि बिल जमा करो, वरना आर.सी. जारी कर दी जाएगी। अतः विपक्षीगण की सेवा में कमी किए जाने के फलस्वरूप दिनांक 29.05.1997 से दिनांक 15.10.2014 तक का बिजली शुल्क न लिया जाए और न दिनांक 15.10.2014 को पूर्व का कोई सरचार्ज या अन्य मद परिवादी से न लिया जाए। परिवादी को भागदौड़ में हुए शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु 15,000/- रुपए विपक्षीगण से दिलाया जाए।  

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 7/1व7/2 अधीक्षण अभियन्ता विद्युत वितरण मण्डल, आजमगढ़ को लिखे पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4 अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- तृतीय आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 7/5 अधीक्षण अभियन्ता विद्युत वितरण मण्डल आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

  

विपक्षीगण द्वारा कोई भी जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है।

परिवादी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि बिजली विभाग ने उसके खिलाफ 50,000/- रुपए वसूली वारण्ट जारी कर दिया है, लेकिन पत्रावली में उसके द्वारा कोई भी बिल प्रस्तुत नहीं की गयी है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।

 

                                                                                                       आदेश

                                                            परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                    गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                 (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

     दिनांक 16.09.2021

                                          यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                      गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                        (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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