UDAYBHAN PRASAD filed a consumer case on 11 May 2022 against PURVANCHAL ELEC. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/121/2016 and the judgment uploaded on 08 Jun 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 121 सन् 2016
प्रस्तुति दिनांक 27.06.2016
निर्णय दिनांक 11.05.2022
उदयभान प्रसाद जायसवाल आयु लगभग 57 साल, पुत्र स्वo शिवनारायन जायसवाल निवासी मुo फराशटोला (घमण्डीदास का हाता) शहर व जिला- आजमगढ़ हाल निवास पता 56, सीताराम (मुहल्ला) पोस्ट- सदर, शहर व जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत वितरण खण्ड प्रथम आजमगढ़ द्वारा अधिशासी अभियन्ता, पता हाइडिल कालोनी सिधारी पोस्ट- सदर शहर व जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह मुहल्ला फराशटोला (घमण्डीदास का हाता) में किराएदार रहते हुए बिजली उपयोग-उपभोग हेतु विद्युत कनेक्शन संख्या 0760/605259 को आवश्यक सिक्योरिटी धनराशि मुo 600/- रुपया व अन्य शुल्क दिनांक 23.10.2009 को जमा करके प्राप्त किया था। परिवादी जनवरी 2013 में अपने निजी मकान 56, मुहल्ला सीताराम शहर आजमगढ़ चला गया, जिस कारण से परिवादी ने विपक्षी कार्यालय आजमगढ़ में उक्त विद्युत कनेक्शन के स्थायी विच्छेदन हेतु आवेदन पत्र दिनांक 11.02.2013 को स्थायी विच्छेदन फीस जमा कर, दिया। दिनांक 20.02.2013 को विपक्षी के कर्मचारी मीटर और तार को निकालकर ले गए उसके उपरान्त सक्षम अधिकारी द्वारा स्थायी विच्छेदन रिपोर्ट दिनांकित 09.03.2013 को जारी किया गया, जिसमें मार्च 2013 तक का बकाया मुo 1500/- रुपया भी बताया गया। विपक्षी द्वारा बकाया मुo 1500/- रुपए के बाबत कार्यालय ज्ञापन दिनांक 31.03.2013 परिवादी को दिया गया। परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 02.04.2013 को आवेदन किया कि परिवादी की जमा सिक्योरिटी धनराशि मुo 600/- रुपए जो दिनांक 23.10.2009 से जमा है, को बकाया में समायोजित करने के पश्चात् शेष बकाया रुपया 900/- को परिवादी से जमा कर लिया जाए। विपक्षी कार्यालय द्वारा समायोजन हेतु कई बार बुलाया गया और समयाभाव को कहकर वापस कर दिया गया, लेकिन लगभग 03 वर्ष दौड़ाने के बाद बकाया मुo 1500/- रुपए में सिक्योरिटी धनराशि मुo 600/- रुपए को समायोजित करके शेष 900/- रुपए को जमा नहीं कराया गया। फरवरी 2016 में विपक्षी ने फर्जी व मनमाना बिल कम नोटिस पत्र मुo 11,914/- रुपए का देते हुए दिनांक 28.02.2016 तक जमा करने को कहा गया, जिसमें 51 यूनिट बिजली उपयोग होने को दर्शित किया गया। परिवादी विपक्षी के बिल को देखकर स्तब्ध रह गया और विपक्षी को प्रार्थना पत्र देकर निवेदन किया कि गलत बिल निरस्त करके मुo 1500/- रुपए में से सिक्योरिटी धनराशि मुo 600/- रुपए को समायोजित करके शेष मुo 900/- रुपया जमा करा लिया जाए, परन्तु विपक्षी द्वारा कतई फर्जी बिल निरस्त नहीं किया गया बल्कि जून 2016 के माह का नया बिल मुo 14,071/- रुपया का देकर उसे दिनांक 23.06.2016 तक जमा करने को कहा गया। दर्शित दोनों बिल में बिजली उपयोग करने व मीटर रीडिंग को दर्शाया गाय है जबकि विपक्षी कार्यालय द्वारा मीटर व विद्युत पोल से मीटर में लगा हुआ तार 20 फरवरी 2013 को उतार लिया गया, जिससे कतई बिजली उपयोग नहीं हो सकता। इसलिए विपक्षी काल्पनिक व मनमाना बिजली की कन्ज्यूम्ड यूनिट दिखाकर फर्जी बिल भेजा है, जो विधि विरुद्ध है और जो सेवा में कमी व अनुचित व्यापार-व्यहार है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह कार्यालय ज्ञापन में दर्शित विद्युत बकाया मुo 1500/- रुपए में जमा सिक्योरिटी धनराशि मुo 600/- रुपए को समायोजित करके शेष बकाया मुo 900/- रुपए परिवादी जमा कराए। साथ ही विपक्षी द्वारा जारी विद्युत बिल मुo 14,071/- रुपए का निरस्त किया जाए और विपक्षी से शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व शिकायत आवेदन, विधिक फीस हेतु कुल क्षतिपूर्ति मुo 80,000/- रुपए परिवादी को दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 जमा विद्युत मूल्य की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम आजमगढ़ द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 परिवादी द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 व 6/5 विद्युत बिल की छायाप्रति, कागज संख्या 19/1 अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम आजमगढ़ द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन की छायाप्रति, कागज संख्या 19/2 मुo 900/- के भुगतान रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 23/5 पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, वाराणसी द्वारा जारी आई.डी.एफ. चेकिंग रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 23/6 बकाया विद्युत बिल सम्बन्धी ई-मेल मैसेज की छायाप्रति तथा कागज संख्या 23/7 परिवादी द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति व रजिस्ट्री के ट्रैक कन्साइनमेन्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 14क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र की धारा-1 के कथन को स्वीकार किया है और परिवाद पत्र के शेष सभी कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याची को याचिका प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है। याची विपक्षी का उपभोक्ता है और बार-बार सूचना के बावजूद भी आवश्यक कागजात एवं बकाया विद्युत मूल्य का भुगतान नहीं किया और न ही विपक्षी के पास कोई आवेदन ही दिया। याची अन्तिम बिल जमा करने की रसीद व पी.डी. फीस जमा करने की रसीद की छायाप्रति के साथ कनेक्शन लेने की मूल रसीद सरेन्डर करते हुए इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि उसकी सिक्योरिटी की रकम उसके अन्तिम बिल में समायोजित कर दिया जाए तो उसका समायोजन उसके अन्तिम बिल में कर दिया जाएगा तथा याची मात्र 900/- रुपए जमा कर अपने विद्युत कनेक्शन पी.डी. फाईनल करा सकता है। याची उपरोक्त सभी कागजातों को जब तक विपक्षी के कार्यालय में जमा नहीं करता तब तक पी.डी. फाईनल नहीं हो सकती है और याची के विरुद्ध विद्युत बिल जारी होती रहेगी। याची के विद्युत कनेक्शन की पी.डी. फाईनल हो जाने के पश्चात् उसकी सारी बिलें स्वतः निरस्त हो जाएंगी। विपक्षी द्वारा याची के विरुद्ध कोई ऐसा कार्य नहीं किया गया है जिससे याची की आर्थिक, शारीरिक व मानसिक क्षति हो। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने उपस्थित होकर अपना बहस सुनाया, जबकि विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित रहे। पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी विपक्षीगण ने अपना बहस नहीं सुनाया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली एवं साथ में संलग्न प्रलेखीय साक्ष्यों का अवलोकन किया। परिवादी द्वारा परिवाद में किए गए कथनों का विपक्षी द्वारा अपने लिखित कथन के पैरा 04,05 व 06 में स्वीकार किया गया है तथा विपक्षी द्वारा यह कहा गया है कि परिवादी के विद्युत कनेक्शन के पी.डी. फाइनल हो जाने के पश्चात् उसके सारे बिल स्वतः निरस्त हो जाएंगे। जबकि प्रस्तुत साक्ष्यों से यह प्रमाणति होता है कि परिवादी ने अपने कनेक्शन, जिसका पी.डी. हो गया है, के सन्दर्भ में समस्त बकाया जमा कर दिया है। ऐसी स्थिति में उस पर कोई भी विद्युत बिल सम्बन्धी बकाया प्रमाणति नहीं होता है। ऐसी स्थिति में उसे विद्युत विभाग द्वारा नो ड्यूज सर्टिफिकेट (अदेयता प्रमाण पत्र) नहीं दिया जाना विपक्षी की सेवा में कमी को प्रदर्शित करता है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह अपने द्वारा जारी परिवादी को समस्त विद्युत बिलों को निरस्त करते हुए उसे अन्दर 30 दिन नो ड्यूज सर्टिफिकेट (अदेयता प्रमाण पत्र) प्रदान करे। तथा इसके अलावां विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को हुई मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 5,000/- रुपए (रु.पांच हजार मात्र) तथा खर्चा मुकदमा के रूप में मुo 3,000/- रुपए (रु.तीन हजार मात्र) भी अन्दर 30 दिन में अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 11.05.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.