JAYANT RAJBHAR filed a consumer case on 22 Feb 2021 against PURVANCHAL ELEC. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/21/2014 and the judgment uploaded on 04 Mar 2021.
1
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 21 सन् 2014
प्रस्तुति दिनांक 21.01.2014
निर्णय दिनांक 22.02.2021
जयन्ती राजभर पुत्री स्वo रामनाथ, ग्राम+पोस्ट- बेनूपुर, तहसील- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड तृतीय आजमगढ़ (उoप्रo)।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह अपने कनेक्शन संख्या 3517/251730 को परमानेन्ट डिस्कनेक्ट (पी.डी.) करने हेतु फीस के रूप में रुपया 125/- दिनांक 07.02.2002 को विपक्षी के यहां जमा की थी। इस सन्दर्भ में दिनांक 01.04.2002 का विच्छेदन प्रमाण-पत्र भी परिवादिनी को विपक्षी द्वारा प्राप्त कराया गया था। दिनांक 10.05.2013 तथा 09.11.2013 को बकाया विद्युत बिल के सन्दर्भ में परिवादिनी को रसीद भेजी गयी। रसीद मिलने पर परिवादिनी ने विभागीय कर्मचारियों से सम्पर्क किया तो उनके द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। दिनांक 16.12.2013 को परिवादिनी ने विपक्षी को आर.टी.आई. आवेदन भेजकर जानकारी लेने का प्रयास किया। लेकिन कोई उसे सूचना प्राप्त नहीं हुई। विच्छेदन के पश्चात् विपक्षी द्वारा परिवादिनी से जो धनराशि मांगी गयी है उसके कारण परिवाद का वाद कारण उत्पन्न हुआ। परिवादिनी ने अपने अनुतोष में यह कहा है कि उसका जो कनेक्शन काटा गया था उसके पश्चात् की सभी बिल भेजने से विपक्षी को रोका जाए। दिनांक 10.05.2013 तथा 09.11.2013 को प्रेषित विद्युत बकाया की रकम क्रमशः रुपया 34736/- तथा 37507/- को वापस लेने तथा अपने रिकार्डों में शून्य दर्शाने हेतु विपक्षी को आदेशित किया जाए तथा परिवादिनी को मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्ट हेतु 1,50,000/- विपक्षी से दिलवाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 6/1 अधिशासी
P.T.O.
2
अभियन्ता को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2व6/3 विद्युत बकाए के रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 पी.डी. का प्रमाण पत्र तथा कागज संख्या 6/5 पी.डी. कराए जाने हेतु जो धनराशि परिवादिनी ने जमा किया था उसकी रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 6/4 के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी का कनेक्शन सन् 2002 में काट दिया गया था। बावजूद उसके 2013 में विपक्षी द्वारा बकाया दिखाकर परिवादिनी से वसूली का प्रयास किया जा रहा है।
विपक्षी द्वारा कागज संख्या 11क जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवाद निराधार तथ्यों पर दाखिल किया गया है। शिकायतकर्ता ने अपने कनेक्शन संख्या 3517/251730 का स्थायी विच्छेदन हेतु फीस 125/- रुपया दिनांक 07.02.2002 को जमा किया लेकिन अपना बकाया विद्युत बिल जमा नहीं किया। शिकायतकर्ता द्वारा पी.डी. फीस जमा कर देने के बाद अपने विद्युत बिल का फाइनल हिसाब-किताब कराने कभी नहीं आया। जिससे लेजर में वादी का उक्त कनेक्शन चल रहा है। जबकि वादी अपना हिसाब-किताब फाइनल नहीं कराता और फाइनल रिपोर्ट नहीं लगवाता तब तक वादी को कोई नोड्यूज प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाता है। वादी को उसके बकाया विद्युत बिल के फाइनल हिसाब-किताब के लिए पी.डी. फीस की रसीद कटवाते समय ही बताया गया और उसने आश्वासन भी दिया कि वह जल्द ही आकर अपना फाइनल हिसाब-किताब कराकर जो बकाया निकलेगा उसे जमा कर देगा, लेकिन वह आजतक नहीं आया और टालमटोल करता रहा। वादी ने झूठे व मनगढ़ंत कथन के साथ न्यायालय में शिकायत दर्ज करा दिया और विपक्षी को हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से परिवाद पत्र प्रस्तुत कर दिया था। विपक्षी को शिकायतकर्ता का कोई भी प्रार्थना पत्र नहीं मिला। शिकायतकर्ता की ऐसी दशा में शिकायतकर्ता का यह कर्तव्य था कि वह विभाग पर आता और पी.डी. का फाइनल रिपोर्ट लगवाए जिससे उसके बकाए के सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही की जा सके। परिवादी अपने जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहा है और न ही हिसाब-किताब करवा रहा है। परिवाद पोषणीय नहीं है अतः निरस्त किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 6/2 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी को दो माह की बिल 2013 में प्रस्तुत की गयी थी, कागज संख्या 6/3 के भी अवलोकन से यह स्पष्ट है कि 2013 में दो माह की बिल उसे भेजी गयी थी।
P.T.O.
3
बहस के समय परिवादिनी अनुपस्थित और विपक्षी उपस्थित आए। विपक्षी द्वारा बहस की गयी। विपक्षी की बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड आजमगढ़ ने एक सम्बन्ध विच्छेदन हेतु आदेश दिनांक 08.03.2002 को पारित किया है, जिसमें जयन्त राजभर को नोटिस जारी की गयी थी। इस नोटिस में यह कहा गया था कि ‘उपभोक्ता ने स्थायी सम्बन्ध विच्छेदन हेतु शुल्क मात्र 125/- रुपए की रसीद नं. 01/085854 दिनांक 07.02.2002 को जमा कर दिया है। जिसके लिए स्थाई सम्बन्ध विच्छेदन का दो नम्बर प्रारूप संलग्न किया जा रहा है। इन प्रारूप पर स्थाई सम्बन्ध विच्छेदन की सूचना इस कार्यालय को पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अन्दर देने का कष्ट करें।’ परिवादी ने इसकी सूचना विपक्षी को किया अथवा नहीं इस सम्बन्ध में उसने कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। कनेक्शन काटने हेतु परिवादी ने 125/- रुपए की रसीद जमा किया है। परिवाद का यह कर्तव्य था कि वह फाइनल हिसाब-किताब के लिए पी.डी. फीस की रसीद कटवाते समय ही बताया गया और उसने आश्वासन दिया कि वह जल्द ही आकर अपना फाइनल हिसाब-किताब कर जो बकाया निकलेगा वह जमा कर देगा। लेकिन परिवादी ने आजतक टालमटोल करते रहे। और अन्त में न्यायालय में झूठे आधार पर मुकदमा कर दिया है। कागज संख्या 6/5 पी.डी. फीस की रसीद और कागज संख्या 6/4 अधिशासी अभियन्ता द्वारा जारी सूचना है जिसके तहत परिवादी को सूचित किया गया था कि वह विपक्षी के यहाँ उपस्थित होकर अपना हिसाब-किताब कर सारा बकाया जमा कर दे। जिसके बाद पी.डी. किया जाएगा। उपरोक्त विवेचना से हम इस मत के हैं कि परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.