HRIDAY NARAYAN SINGH filed a consumer case on 30 Jan 2021 against PURVANCHAL ELEC. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/03A/2008 and the judgment uploaded on 04 Feb 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 03 सन् 2008
प्रस्तुति दिनांक 04.01.2008
निर्णय दिनांक 30.01.2021
हृदयनरायन सिंह पुत्र स्वo ठाकुर प्रसाद सिंह, आयु लगभग 42 साल, साकिन ग्राम- चेवार गोबर्धनपुर, परगना- देवगांव, तहसील- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके पिता के खेतों कि सिंचाई हेतु 1990 में एक नलकूप लगवाया था। जिसकी मोटर को चलाने हेतु विद्युत विभाग ने कनेक्शन संख्या 7625/000005 के माध्यम से चालू हुआ। परिवादी के पिता की मृत्यु के बाद परिवादी लगातार विद्युत बिल जमा करता रहा। नलकूप को चलाने हेतु तीन हॉर्स पॉवर का कनेक्शन लिया गया था। उसके गांव के कुछ लोगों ने रंजिश व साजिश करके विपक्षी संख्या 04 एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों से मिल कर एक कूट रचना किए और गलत फर्जी सूचना देकर फर्जी रिपोर्ट तैयार कराकर परिवादी के उक्त नलकूप के कनेक्शन को गलत ढंग से आटा चक्की चलना दिखाकर अनावश्यक रूप से परिवादी के पिता के विरुद्ध बकाया बिल व जुर्माना की रिपोर्ट तैयार कर उसकी वसूली हेतु राजस्व विभाग को अग्रसारित कर दिया गया। उपरोक्त स्थिति में परिवादी के विरुद्ध उनके स्वo पिता के नाम वसूली प्रमाण पत्र लम्बित है। जब परिवादी को तथ्यों की जानकारी हुई तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 04 एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों से सम्पर्क कर वास्तविकता की जाँच कराने का निवेदन किया और जाँच हुई। लेकिन आटा चक्की आदि नहीं पाई गई। सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से अनुनय-विनय किया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अतः परिवादी के विरुद्ध चलाए जा रहे अनावश्यक वसूली की कार्यवाही जरिए वसूली प्रमाण पत्र संख्या 164/28-11.2007 की कार्यवाही को
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निरस्त किया जावे तथा परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में तीस हजार रुपया दिलवाया जाए।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 उपखण्ड अधिकारी प्रथम लालगंज के जाँच रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड तृतीय की चक्की आदि चलाने की रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का पर्चा की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि ठाकुर प्रसाद सिंह पुत्र मुकुर सिंह के नाम तीन हॉर्स पॉवर का विद्युत चालित मोटर का कनेक्शन था, जो कि कृषि कार्य हेतु स्वीकार किया गया था। उपभोक्ता का परिसर दिनांक 26.12.2007 को पुलिस प्रवर्तन दल एवं चेकिंग एथार्टी द्वारा चेक किया गया तो मौके पर तीन हॉर्स पॉवर के बजाए पांच हॉर्स पॉवर का विद्युत मोटर कनेक्शन से आटा चक्की चलाते हुए पाया गया। चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 26.12.2007 पर निरीक्षक प्रवर्तन दल एवं सहायक अभियन्ता का हस्ताक्षर चेकिंग रिपोर्ट पर है। लेकिन चेकिंग के समय उपभोक्ता अपना परिसर छोड़कर भाग गया। जिसकी वजह से चेकिंग रिपोर्ट उपभोक्ता को नहीं दी जा सकी। तद्नुसार नियमानुसार आंकलन रिपोर्ट प्राप्त होने पर राजस्व धनराशि निर्धारित करते हुए वसूली हेतु डिमांड नोटिस पत्र संख्या 305 दिनांक 23.05.2007 को भेजा गया जो कि 23825/- रुपया था। लेकिन उपभोक्ता ने जमा नहीं किया तो वसूली हेतु डिमाण्ड नोटिस के बाद आर.सी. भेजी गयी। ठाकुर प्रसाद सिंह की मृत्यु के विषय में कोई सूचना परिवादी ने नहीं दिया। इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट 2003 की धारा 126 के अन्तर्गत असेसमेन्ट का अधिकार नियत प्राधिकारी को प्राप्त है। तद्नुसार निर्धारण किया गया है। जिसके विरुद्ध परिवाद मेन्टनेबुल नहीं है। परिवादी तीन हॉर्स पॉवर के स्थान पर पांच हॉर्स पॉवर का विद्युत मोटर लगाकर अवैध ढंग से विद्युत चोरी कर रहा था। जिसके विरुद्ध सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस पत्रावली में कागज संख्या 5/1 उपखण्ड अधिकारी प्रथम लालगंज के जाँच रिपोर्ट तथा कागज संख्या 5/2 अधिशासी अभियन्ता की रिपोर्ट है। कागज संख्या 5/1 में उपखण्ड अधिकारी ने
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अपने रिपोर्ट में यह कहा है कि परिवादी के यहाँ केवल तीन हॉर्स पॉवर का मोटर लगा था और वहाँ कोई आटा चक्की नहीं पायी गयी। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह अनावश्यक वसूली की कार्यवाही को अन्दर तीस दिन स्थगित कर दें तथा विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को मुo 5,000/- रुपया (रु. पांच हजार मात्र) क्षतिपूर्ति हेतु अदा करें।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 30.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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