Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/29/2012

Smt. Naseem Jahan - Complainant(s)

Versus

Punjab National Bank - Opp.Party(s)

Shri B.R Dhawan

05 Nov 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/29/2012
 
1. Smt. Naseem Jahan
Mugalpura Doiyam Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Punjab National Bank
Branch Lajpat Nagar Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादिनी ने अनुरोध किया है  कि चैक  जमा  करने की  तिथि से  वास्‍तविक भुगतान की  तिथि तक  की अवधि  हेतु 18  प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज  सहित विपक्षीगण से उसे 1,23,650/- रूपये की धनराशि दिलाई जाऐ। 1,00,000/- रूपया परिवादिनी ने  क्षतिपूर्ति के  रूप  में  अतिरिक्‍त  मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में  परिवाद कथन  इस प्रकार हैं  कि मुख्‍य  डाकघर, मुरादाबाद  में  परिवादिनी  का एक  रेकरिंग डिपाजिट खाता था  उसे अपनी पुत्री के  विवाह के लिए धन  की  आवश्‍यकता हुई। परिवादिनी  के अनुरोध  पर  डाकघर से  उसे 1,23,650/- रूपया का एक  चैक  सं0-432849 दिनांकित 04/08/2011 जो  स्‍टेट  बैंक आफ  इण्डिया  का  था  मिला। विपक्षी सं0-1  के यहॉं परिवादिनी और  उसके पति  का एक संयुक्‍त  बचत  खाता संख्‍या- 3928000100027931 है। परिवादिनी  के पति  ने  डाकघर से  प्राप्‍त उक्‍त  चैक  विपक्षी  सं0-1  के यहॉं जमा  किया।  चैक  जमा  करने  के  बाद  कई  बार  परिवादिनी के  पति  ने  विपक्षी  सं0-1 के यहॉं मालूमात  की, कि उसके खाते  में  पैसा आ  गया  है  अथवा  नहीं,  किन्‍तु   विपक्षी  सं0-1  के  कर्मचारियों ने  कोई  सन्‍तोषजनक उत्‍तर  नहीं  दिया। बार-बार अनुरोध किऐ जाने पर  भी  परिवादिनी को  न तो चैक  वापिस किया गया  और  न ही  उसके खाते में  पैसा जमा  हुआ। ज्‍यादा दबाव डालने पर  विपक्षी सं0-1  के कर्मचारियों ने  परिवादिनी के पति  को  बताया कि  उनका चैक  खो  गया  है।  परिवादिनी के  अनुसार  विपक्षी सं0-1  ने  सेवा प्रदान करने  में   लापरवाही  और  कमी  की। रूपया खाते में  जमा  न हो  पाने की  बजह  से परिवादिनी की  पुत्री का  रिश्‍ता टूट  गया। परिवादिनी ने  अपने अधिवक्‍ता  के माध्‍यम  से  विपक्षी सं0-1  को  नोटिस देकर चैक अथवा चैक  की राशि वापिस करने का अनुरोध  किया, किन्‍तु  विपक्षी सं0-1  ने  नोटिस का  गलत  उत्‍तर  दिलवाया। परिवादिनी के  अनुसार अब परिवाद योजित करने के  अतिरिक्‍त  उसके पास  कोई  विकल्‍प  नहीं है उसने परिवाद  में  अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के समर्थन  में  परिवादिनी ने  सूची कागज सं0-3/6  के माध्‍यम  से  अपने और  अपने पति  के संयुक्‍त  खाते की  पासबुक, परिवादिनी के पति  द्वारा विपक्षीगण के कस्‍टमर  केयर को  भेजी गई  शिकायत, विपक्षी सं0-1  से  प्राप्‍त  उत्‍तर,  विपक्षी सं0-1  के  शाखा  प्रबन्‍धक  द्वारा चैक  खो  जाने के  प्रमाण पत्र, पंजाब नेशनल बैंक की  और  से  परिवादिनी के पति  को भेजा गया  उत्‍तर,  विपक्षी सं0-1  के शाखा प्रबन्‍धक द्वारा  भारतीय स्‍टेट  बैंक, मुरादाबाद को भेजे गऐ  पत्र, मुख्‍य  डाकघर, मुरादाबाद  के अधीक्षक द्वारा भारतीय स्‍टेट  बैंक, मुरादाबाद को  चैक  का भुगतान रोकने विषयक भेजे गऐ  पत्र, विपक्षी सं0-1  की ओर  से एस0बी0आई0 मैन  ब्रांच को चैक ढ़ूढ़ने हेतु भेजे गऐ पत्र की  फोटो प्रतियों, परिवादिनी की ओर से विपक्षीगण को  भेजे गऐ  कानूनी नोटिस की  कार्बन प्रति, नोटिस भेजे जाने की  डाकखाने की असील रसीद तथा विपक्षी सं0-1  की ओर  से  परिवादिनी  को  प्राप्‍त  जबाब नोटिस की  फोटो प्रति को  दाखिल किया गया  है,  यह  प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/16 हैं।
  4.   विपक्षी सं0-1  की ओर  से  प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/7 दाखिल  हुआ।  प्रतिवाद पत्र में  परिवादिनी और  उसके पति  का  एकसंयुक्‍त  बचत  खाता विपक्षी सं0-1  के यहॉं होना तथा  इस  खाते में 1,23,650/- रूपये का भारतीय स्‍टेट  बैंक का  एक चैक सं0-432849 दिनांक  04/8/2011 भुगतान प्राप्‍त  करने  हेतु  परिवादिनी   की  ओर  से उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1  ने जमा  किया  जाना तो स्‍वीकार  किया गया  है, किन्‍तु  शेष  कथनों  से इन्‍कार  किया  गया  है।  विशेष कथनों में  उत्‍तरदाता विपक्षी  सं0-1  की  ओर से  कहा  गया  है  कि परिवादिनी द्वारा जमा  किया गया  उक्‍त  चैक कोरियर सर्विस की सहायता से  दिनांक 06/8/2011 को पी0एन0बी0 के रीजनल कलैक्‍शन सेन्‍टर में भिजवाया गया था। परिवादिनी के खाते में जब चैक की धनराशि नहीं आयी तो रीजनल कलैक्‍शन सेन्‍टर  के प्रबन्‍धक से जानकारी की गई उन्‍होंने बताया कि उक्‍त चैक बिना कलैक्‍शन  किऐ मधुर कोरियर सर्विस के एजेन्‍ट / मैनेजर जितेन्‍द् सिंह को दिनांक 08/8/2011 को इस निर्देश के साथ वापिस कर दिया गया था कि चैक  विपक्षी  सं0-1 को  सौंप दें, किन्‍तु जितेन्‍द्र सिंह ने उक्‍त चैक उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 को वापिस नहीं किया बल्कि चोरी कर लिया। विपक्षी सं0-1 ने  चोरी  हुऐ  उक्‍त  चैक  का  पेमेन्‍ट  रोकने  हेतु पोस्‍ट  आफिस तथा भारतीरय स्‍टेट  बैंक, मुरादाबाद  को  सूचित   किया  तब  विपक्षी  सं0-1 को  सूचना मिली की  खोऐ  हुऐ चैक  की धनराशि का भुगतान कैनरा बैंक कलकत्‍ता की शाखा से  दिनांक 02/9/2011 को  हो चुका है।  उत्‍तरदाता विपक्षी के अनुसार कोरियर के एजेन्‍ट /मैनेजर जितेन्‍द्र  सिंह ने  परिवादिनी से सांठगांठ करके कैनरा बैंक की कलकत्‍ता  शाखा में  परिवादिनी के नाम  से खाता खुलवाकर चैक  की धनराशि  प्राप्‍त  कर ली। इस सम्‍बन्‍ध  में  पी0एन0बी0 के रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर  के वरिष्‍ठ  प्रबन्‍धक  ने  न्‍यायालय के माध्‍यम  से  धोखाधड़ी की एफ0आई0आर0 थाना सिविल  लाइन्‍स में  दर्ज कराई जिसकी जॉंच विचाराधीन है।  उत्‍तरदाता विपक्षी के अनुसार चैक  का  चोरी हो जाना और  कलकत्‍ता  में  दूसरा खाता खोलकर उसका भुगतान प्राप्‍त  लिया जाना एक अपरिहार्य घटना थी  जो उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 के  नियन्‍त्रण से  बाहर थी।  उत्‍तरदाता  विपक्षी ने  सेवा प्रदान करने  में  न कोई  लापरवाही बरती और  न ही  कोई  कमी  की।  अग्रेत्‍तर  यह भी  कथन किया गया  कि  कोलकाता स्थित कैनरा बैंक द्वारा एन0आई0 एक्‍ट  के प्राविधानों  के  विरूद्ध चैक की  राशि   का  भुगतान किया गया  है  जिसके लिए  कैनरा बैंक चैक की राशि पंजाब नेशनल बैंक को  वापसि करने के लिए बाध्‍य  है।  यह भी  कहा  गया  कि  आर0बी0आई0  के सकुर्लर दिनांकित 01/7/2011के अनुसार चैक  की राशि परिवादिनी के खाते में  जमा  कराऐ जाने  का गम्‍भीरतापूर्वक प्रयास किया जा रहा  है।  उक्‍त  कथनों के आधार पर परिवाद खारिज  किऐ  जाने  की  प्रार्थना की  गई।
  5.   विपक्षी  सं0-2 की ओर  से  प्रतिवाद पत्र दाखिल  नहीं हुआ।  दिनांक 06/8/2012 के आदेश से  विपक्षी सं0-2  के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई  एकपक्षीय की गई।
  6.   परिवादिनी ने  साक्ष्‍य  शपथ  पत्र कागजसं0-9/1  लगायत 9/11  प्रस्‍तुत  किया। विपक्षी सं0-1  की ओर  से विपक्षी के वरिष्‍ठ  प्रबन्‍धक  श्री राजेश पाण्‍डेय ने  अपना साक्ष्‍य  शपथ  पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/5  प्रस्‍तुत  किया। विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक की ओर  से  सूची कागज सं0-28/1 के माध्‍यम  से चैक  चोरी हो जाने के सम्‍बन्‍ध  में धारा-156(3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अधीन न्‍यायालय द्वारा मुकदमा दर्ज किऐ  जाने सम्‍बन्‍धी आदेश तथा  थाना सिविल  लाइन्‍स जिला मुरादाबाद में  दर्ज धारा- 420, 406 व 379 आई0पी0सी0 के अधीन दर्ज हुई  एफ0आई0आर0  की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया  है।
  7.  परिवादिनी ने लिखित बहस  कागज सं0-30/1 लगायत 30/4 तथा विपक्षी सं0-1 की ओर  से लिखित बहस कागज सं0-31/1 लगायत 31/18 दाखिल हुई।
  8.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को  सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  9.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई  विवाद नहीं है  कि परिवादिनी  ने स्‍टेट  बैंक आफ  इण्डिया, मुरादाबाद  का 1,23,750/- रूपये का एक  चैक  सं0-432849 दिनांक 04/8/2011 विपक्षी सं0-1 की शाखा में  अपने और  अपने पति के बचत  खाते में  क्रेडिट करने के लिए  जमा  किया था।  विपक्षी सं0-1 ने उस चैक को कोरियर सर्विस के माध्‍यम  से कलैक्‍शन हेतु पंजाब नेशनल बैंक के रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर  को दिनांक 06/8/2011 को भिजवाया। चैक रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर को प्राप्‍त  हो गया। विपक्षी सं0-1 को यह स्‍वीकार है कि पंजाब नेशनल बैंक के रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर  द्वारा परिवादिनी का  उक्‍त चैक दिनांक 08/8/2011 को मधुर कोरियर सर्विस के एजेन्‍ट/ मैनेजर जितेन्‍द्र  सिंह को इस निर्देश के साथ  सौंपा था  कि उक्‍त चैक विपक्षी सं0-1 को वापिस कर दे  किन्‍तु  जितेन्‍द्र  सिंह ने  उक्‍त  चैक  विपक्षी सं0-1  को वापिस नहीं किया बल्कि बीच  में  ही  चोरी कर  लिया। विपक्षी सं0-1 ने अपने  प्रतिवाद  पत्र  में  यह  भी  स्‍वीकार  किया  है  कि परिवादिनी के  चोरी उक्‍त चैक की धनराशि  का  भुगतान  दिनांक  2/9/2011  को  कैनरा  बैंक  की किडडर  पौरे, कोलकाता  स्थित शाखा से हो गया है।  स्‍वीकृत रूप  से परिवादिनी द्वारा  विपक्षी सं0-1  की शाखा  में  जमा किऐ  गऐ  चैक  की धनराशि उसके संयुक्‍त  बचत  खाते में  क्रेडिट नहीं हुई।
  10.   विपक्षी सं0-1  के विद्वान अधिवक्‍ता  ने  पत्रावली में अवस्थित पत्राचार का  हवाला देते हुऐ  तर्क दिया कि चैक कोरियर सर्विस के एजेन्‍ट/ मैनेजर द्वारा चोरी कर  लिया जाना एक अपरिहार्य घटना थी जिसमें विपक्षी सं0-1  का कोई दोष  नहीं है। उन्‍होंने यह भी  कहा  कि चैक  चोरी हो  जाने और कैनरा बैंक की  किडडर पौरे शाखा से भुगतान हो जाने की उक्‍त  घटना Force majure है ऐसी  दशा  में  विपक्षी सं0-1 परिवादिनी को  चैक  की धनराशि वापिस करने के लिए तब तक उत्‍तरदायी नहीं है  जब तक कि चैक की राशि बैंक को प्राप्‍त  न हो जाये। अपने तर्क के समर्थन  में विपक्षी सं0-1  के विद्वान अधिवक्‍ता  द्वारा अपनी लिखित बहस  के पृष्‍ठ-31/7 एवं 31/8 पर दृष्‍टव्‍य दिशा निर्देशों को  इंगित किया है।
  11.   परिवादिनी के  विद्वान अधिवक्‍ता ने विपक्षीगण के इन  तर्कों का विरोध किया कि चैक  कोरियर सर्विस के एजेन्‍ट/ मैनेजर द्वारा चोरी कर  लिया जाना और चैक का कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा से  भुगतान हो  जाना ऐसी  घटना थी  जो  Force majure की श्रेणी में  आती है। परिवादिनी पक्ष का  कथन  है  कि उक्‍त घ्‍टना Force majure नहीं बल्कि जानबूझकर किऐ गऐ  मानवीय आपराधिक कृत्‍यों  का परिणाम थी  जिसके लिए  विपक्षी सं0-1 एवं  विपक्षी सं0-2 पूर्ण रूप  से  उत्‍तरदायी हैं  क्‍योंकि पंजाब नेशनल बैंक का रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर और मधुर कोरियर सर्विस का  एजेन्‍ट/  मैनेजर जितेन्‍द्र  सिंह विपक्षी सं0-1  के क्रमश: एजेन्‍ट  एवं  सब  एजेन्‍ट  के  रूप में  कार्य कर  रहे थे और उनके कृत्‍यों के लिए विधानत: विपक्षी सं0-1 जिम्‍मेदार है। हम परिवादिनी की ओर से  प्रस्‍तुत  तर्कों से सहमत हैं।
  12.  Force majure का  तात्‍पर्य दैवीय/ प्राकृतिक आपदा से  है। चैक चोरी हो  जाने की घटना और चैक का  भुगतान कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा से हो  जाना किसी भी दृष्टि से दैवीय  अथवा प्राकृतिक आपदा नहीं कहा  जा  सकता। यह  घटनाऐं विशुद्ध रूप  से  जानबूझकर किऐ  गऐ मानवीय आपराधिक  कृत्‍य  हैं। हमारे इस  मत  की  पुष्टि  पंजाब  नेशनल बैंक के रीजनल कलैक्‍शन  सेन्‍टर  के वरिष्‍ठ  प्रबन्‍धक  द्वारा दण्‍ड प्रक्रिया संहिता की धारा-156 (3) के अधीन  कोरियर  सर्विस के  एजेन्‍ट/ मैनेजर जितेन्‍द्र  सिंह के  विरूद्ध धारा- 420/405/379 आई0पी0सी0 के अधीन दर्ज  कराई गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट जिसकी फोटो प्रति पत्रावली  का  कागज सं0- 28/4  है, से होती  है।
  13.   विपक्षी सं0-1  की  ओर  से  अपनी लिखित बहस  के  साथ  दाखिल आर0बी0आई0  के  निर्देशों कागज सं0-31/7 और 31/8  में  ऐसा  कोई  उल्‍लेख  नहीं है  कि  बैंक के स्‍तर  से  चैक  खो  जाने  की  दशा  में खाताधारक के खाते में  चैक  की धनराशि क्रेडिट करने के उत्‍तरदायित्‍व से विपक्षी सं0-1 बच जाऐगा।इन निर्देशों में  मात्र यह  उल्‍लेख  है  कि किस  दशा  में  किस  प्रकार और किस  दर  से  चैक  राशि पर  बैंक खाताधारक को  ब्‍याज  अदा  करेगा।  
  14.   विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा द्वारा चैक राशि का भुगतान करने में निगोशियेबिल इन्‍सट्रूमेन्‍ट एक्‍ट की धारा 126,127 एवं 128 के प्राविधानों का उल्‍लंघन किया गया अत: कैनरा बैंक एवं स्‍टेट बैंक आफ  इण्डिया को परिवादिनी के चैक  की  राशि वापिस करने के लिए उत्‍तरदायी ठहराया जाना चाहिये। हम विपक्षी सं0-1 की ओर से दिऐ गऐ उक्‍त तर्क से भी सहमत नहीं हैं। पत्रावली पर  ऐसा कोई साक्ष्‍य संकेत नहीं है जिससे आभास हो कि परिवादिनी ने कोलकाता की किडडर पौरे स्थित कैनरा बैंक की शाखा में जाकर अपना दूसरा खाता खुलवाया और चैक की राशि का भुगतान प्राप्‍त कर लिया ऐसी दशा में यदि  किसी स्‍तर पर चैक के भुगतान में विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इंगित प्राविधानों का उल्‍लंघन हुआ है तो उसके लिए परिवादिनी को  दोषारोपित करना अथवा उसका भुगतान रोका जाना कदाचित न्‍यायोचित नहीं कहा जा सकता।
  15.   उपरोक्‍त  विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादिनी को उसके चैक दिनांक 04/8/2011 की धनराशि परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की  तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित एक निर्धारित समयावधि में विपक्षी सं0-1 से  दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। मामले के तथ्‍यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 से क्षतिपूर्ति की मद में  10,000/- (दस हजार रूपया्) एकमुश्‍त  अतिरिक्‍त  दिलाया जाना भी  हम  उपयुक्‍त  एवं  न्‍यायोचित समझते हैं। परिवादिनी विपक्षीगण से  परिवाद व्‍यय  की  मद  में  2500/- (दो  हजार पाँच सौ  रूपया) भी पाने की  अध्किारी होगी। परिवाद तदानुसार  स्‍वीकार होने  योग्‍य  है।

 

  परिवाद योजित  किऐ  जाने  की  तिथि से  वास्‍तविक  वसूलली  की  तिथि तक  की अवधि  हेतु 9  प्रतिशत  वार्षिक  ब्‍याज  सहित  1,23,650/- ( एक लाख तेईस हजार छ: सौ पचास रूपये) की धनराशि की  वसूली हेतु यह  परिवाद विपक्षी सं0-1  के  विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है।  विपक्षी सं0-1 से परिवादिनी  क्षतिपूर्ति की  मद में  एकमुश्‍त 10,000/- (दस हजार रूपये) और परिवाद व्‍यय  की मद  में 2500/- (दो हजार पांस सौ रूपये) अतिरिक्‍त पाने की अधिकारिणीं होगी। इस आदेशानुसार  समस्‍त  धनराशि का  भुगतान दो  माह  में  किया जाये।

 

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

          05.11.2015             05.11.2015              05.11.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 05.11.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      05.11.2015                05.11.2;15           05.11.2015

      

 

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