Uttar Pradesh

StateCommission

A/927/2022

Siddh Nath Mishra - Complainant(s)

Versus

Punjab National Bank - Opp.Party(s)

R.K. Mishra

13 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/927/2022
( Date of Filing : 09 Sep 2022 )
(Arisen out of Order Dated 02/08/2022 in Case No. C/2016/444 of District Kanpur Nagar)
 
1. Siddh Nath Mishra
A 242 Govinpuram Ghaziabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Punjab National Bank
Jawahar nagar Kanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-927/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-444/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.8.2022 के विरूद्ध)

सिद्ध नाथ मिश्रा, ए.242 गोविन्‍द पुरम गाजियाबाद।

                                             .......... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम              

प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक, जवाहर नगर, कानपुर।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य                        

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री आर0के0 मिश्रा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :-13-9-2022           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-444/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.8.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 मिश्रा को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उसका प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के बैंक में खाता सं0-13185 है एवं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक से एक लॉकर किराये पर प्राप्‍त किया था, जिसके संबंध में अपीलार्थी/परिवादी ने रू0 10,000.00 दिनांक 23.02.1998 को जमा किये तथा अपीलार्थी/परिवादी के पक्ष में रू0 3,000.00 व रू0 7,000.00 की एफ0डी0 निर्गत की गई। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उक्‍त एफ0डी0 बैंक द्वारा लॉकर रेंट स्‍कीम के अन्‍तर्गत निर्गत की गई, जिस पर नंम्‍बर-QIJ-586691 अंकित था तथा बैंक द्वारा

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अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र को बताया गया कि अपीलार्थी/परिवादी का लॉकर तोड़ दिया गया है, परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी को कोई सूचना नहीं दी गई, अत्एव अपीलार्थी/परिवादी द्वारा सूचना के अधिकार के अन्‍तर्गत दिनांक 23.5.2016 को सूचना मॉगी गई, जो दिनांक 15.6.2016 को प्राप्‍त हुई तथा जब अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक से लॉकर में पाये गये सामानों की सूची मॉगी तब दिनांक 01.8.2016 को अपीलार्थी/परिवादी से जबर्दस्‍ती रू0 8,700.00 जमा कराकर सूची दी गई, जिससे स्‍पष्‍ट हुआ कि मौके पर कोई सामान लॉकर में नहीं पाया गया, जबकि लॉकर में अपीलार्थी/परिवादी की पत्‍नी का 70 ग्राम का हार रखा था, लॉकर तोड़ने की कोई पूर्व सूचना अपीलार्थी/परिवादी को नहीं दी गई, जिससे अपीलार्थी/परिवादी की आत्‍मग्‍लानि व बेइज्‍जती हुई है, अत: विवश होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि परिवाद गलत तथ्‍यों पर आधारित है। बैंक द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र को कोई मौखिक या लिखित सूचना नहीं दी गई। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी से जो रू0 8,700.00 जमा कराया गया, वह लॉकर का किराया था। यह भी कथन किया गया कि सूची में सब तथ्‍य सही दर्शाये गये हैं। यह भी कथन किया गया कि खाता खोलते समय अपीलार्थी/परिवादी ने अपना पता हाउस नं0-105/731 गॉधी नगर कानपुर दिया था, उसके बाद कभी पता परिवर्तन की कोई सूचना नहीं दी। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा वर्ष-2009 से लॉकर का किराया जमा नहीं किया गया, जिसके संबंध में अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 13.7.2013 को रजिस्‍टर्ड सूचना भेजी गई, परन्‍तु वह अपीलार्थी/परिवादी को नहीं मिली की आख्‍या के साथ वापस आ गई। अत: बैंक की गाइड लाइन व मानक के अनुसार सीनियर मैंनेजर व दो अन्‍य स्‍वतंत्र गवाहों के समक्ष लॉकर को तोड़ा गया और सूची तैयार की गई। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा खाता व लॉकर को आगे चलाया नहीं गया, क्‍योंकि उसके खाते में बैलेंस शून्‍य था। यह कथन गलत है कि लॉकर में

-3-

अपीलार्थी/परिवादी की पत्‍नी का हार था, क्‍योंकि इतनी कीमती वस्‍तु यदि अपीलार्थी/परिवादी लॉकर में रखता तो उसे लावारिस नहीं छोड़ता, अत: परिवाद आधारहीन है और खारिज होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद को खारिज किया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के लॉकर तोड़कर सेवा में कमी की गई है, जिसके कारण अपीलार्थी को हुई क्षति की सम्‍पूर्ण क्षतिपूर्ति हेतु प्रत्‍यर्थी बैंक जिम्‍मेदार है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया है जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांतों के विरूद्ध निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक के अभिकथनों पर विचार करते निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है तथा अपील स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।   

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों के परिशीलनोंपरांत निर्विवादित रूप से यह पाया गया कि अपीलार्थी को प्रत्‍यर्थी/बैंक द्वारा एक लॉकर आवंटित किया गया तथा अपीलार्थी द्वारा लॉकर का किराया जमा नहीं किया और अपीलार्थी द्वारा लॉकर रेंट स्‍कीम के अन्‍तर्गत 10,000.00 रू0 की एफ0डी0 प्रत्‍यर्थी/बैंक द्वारा की गई थी एवं उपरोक्‍त लॉकर का किराया वर्ष-2009 से 2013 तक बकाया था, जिस पर अपीलार्थी के 105/731 गॉधीनगर कानपुर के दर्ज पते पर नोटिस बैंक द्वारा प्रेषित की गई, जो

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कि पता बदले जाने के कारण बैंक को अदम तामील वापस प्राप्‍त हुई और इन परिस्थितियों में चार वर्ष का किराया बाकी होने पर बैंक की गाइड लाइन के अनुसार लॉकर तोड़ा गया है।

वर्तमान प्रकरण में जहॉ तक अपीलार्थी की पत्‍नी के गले का हार लॉकर में रखे जाने का प्रश्‍न है उक्‍त के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग एवं राज्‍य आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो सके कि उपरोक्‍त हार की कीमत 2,00,000.00 रू0 थी तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा लॉकर तोड़ने की कार्यवाही करते समय दो स्‍वतंत्र साक्षियों व बैंक के अधिकारियों के द्वारा नियमानुसार इन्‍वेन्‍ट्री तैयार की गई, जिसको तैयार करते समय लॉकर में कोई हार उपलब्‍ध होना नहीं पाया गया है।

यहॉ यह तथ्‍य भी उल्लिखित किया जाना आवश्‍यक है कि अपीलार्थी के अधिवक्‍ता का यह कथन कि उसके द्वारा जो एफ0डी0 रू0 10,000.00 का बनवाया गया था, में से लॉकर का रेन्‍ट भुगतान किया जाना चाहिये था, भी अनुचित प्रतीत होता है।

इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में जो निष्‍कर्ष विधि व्‍यवस्‍थाओं को दृष्टिगत रखते हुए अंकित किया गया है एवं परिवाद खारिज करते हुए जो स्‍वतंत्रता अपीलार्थी को प्रदान की गई है, वह इस पीठ के अभिमत में तथ्‍य और विधि के अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)        

               अध्‍यक्ष                                              सदस्‍य                                                                        

 

हरीश आशु., कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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